
उज्जैन में 170 परिवारों के साथ किसने की धोखेबाजी
सत्ता पक्ष ने की वादा खिलाफी,तो विपक्ष भी हुआ निष्क्रिय
उज्जैन में भू माफिया सक्रिय ,अरबों की जमीन महज कुछ करोड़ में खरीदी
उज्जैन, कैबिनेट मंत्री की बैठक में उज्जैन उत्तर के विधायक ने कुछ महीनों पहले कहा था की सिंहस्थ की जमीन पर अगर भू माफियाओं का कब्जा होता है तो उज्जैन की जनता जनप्रतिनिधियों को कभी माफ नहीं करेगी लेकिन विडंबना देखिए की 70 साल से विनोद मिल की चाल में निवास करने वाले मजदूरों के 170 परिवारों के लगभग 5000 लोग जिसमें बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं सभी को भरी ठंड में उनके घरों से बेघर करने के लिए प्रशासन एक पैर पर खड़ा हुआ है, मदद की गुहार के लिए क्या उत्तर के विधायक, क्या सांसद और क्या प्रशासनिक नुमाइंदे, दर-दर भटकने के बाद भी गरीब परिवारों को नहीं मिली मदद, बस मिला है तो सिर्फ दिलासा, ऐसे में उज्जैन की जनता इन जनप्रतिनिधियों को माफ करेगी?
लेकिन इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है ,क्योंकि जब लोकतंत्र में विपक्ष मजबूत नहीं है ,विपक्ष बिखरा हुआ है ,विपक्ष कमजोर है, ऐसे में सत्ता पक्ष और नौकरशाही की मनमानी और तानाशाही होना लाजमी है। विनोद मिल के 170 परिवार सहित क्षेत्र के पार्षद रवि राय ने आरोप लगाते हुए कहा कि वादाखिलाफी और धोखाधड़ी के माध्यम से इन गरीब परिवारों को घर से बेघर किया जा रहा है, क्षेत्र के विधायक दिलासा देकर उज्जैन शहर से बाहर चले गए, माहौल गर्माता हुआ देखकर और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा इस मुद्दे पर दखल न देने की सलाह के बाद सांसद महोदय भी उज्जैन से बाहर , वहीं विपक्ष के नाम पर सिर्फ क्षेत्र के पार्षद रवि राय जो इन गरीबों की मदद के लिए अकेले किला लड़ाते हुए नजर आ रहे हैं, ऐसे में सवाल यह है कि शहर के गरीब तबके के इन 170 परिवारों के लिए शहर कांग्रेस की कोई जिम्मेदारी नहीं है?, शहर कांग्रेस राहुल गांधी के द्वारा भारत जोड़ो यात्रा में इसी क्षेत्र में लगे मंच से गरीबों की आवाज बनने का मंत्र दिया था,सिर्फ एक दिन में कांग्रेस के नेता इस मंत्र को भूल गए , या सिर्फ राहुल गांधी की यात्रा के लिए ही औपचारिकता के लिए कांग्रेस के नेता एकजुटता का ढोंग मंच पर दिखा रहे थे, आज अगर विपक्ष एकजुट होकर इन गरीबों के साथ खड़ा होता है तो इन गरीबों को न्याय मिल सकता है।
सुदामा नगर क्षेत्र के पार्षद रवि राय ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ हमने मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव अभिषेक बैनर्जी एवं अन्य अधिकारियों से भोपाल में जाकर मुलाकात की और उनको इस बात से अवगत कराया कि विनोद मीट की जमीन को टेंडर के माध्यम से बेचा जा रहा है उसके दाम कलेक्टर गाइडलाइन से बहुत कम है जिसके चलते सरकार को लगभग 135 करोड रुपए की राजस्व हानि हो रही है इसलिए तत्काल इन टेंडरों को निरस्त किया जाए और अगर इतने ही कम रेट में अगर यह जमीन किसी और को बेंची जा रही है तब ऐसे में इस रेट में क्षेत्रवासियों को ही इस जमीन को खरीदने का मौका दिया जाना चाहिए, रवि राय ने आरोप लगाया कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक नहीं कई बार क्षेत्रवासियों को भरोसा दिलाया कि उन्हें उनके घरों से बेदखल नहीं किया जाएगा बल्कि उन्हें इस जगह का पट्टा दिया जाएगा क्षेत्र के विधायक पारस जैन एवं सांसद अनिल फिरोजिया ने भी कई बार क्षेत्र वासियों को दिलासा दिया और कहा कि क्षेत्रवासियों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन ऐन वक्त पर इन क्षेत्र वासियों के साथ कोई खड़ा हुआ नजर नहीं आ रहा है, जिसका नतीजा यह है कि अरबों रुपयों की जमीन को ओने पौने दामों पर बेचा जा रहा है जिसके चलते सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हो रही है और सुबे के मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी इन गरीब परिवारों को न्याय नहीं मिल पा रहा है, वहीं उज्जैन की शहर कांग्रेस निष्क्रिय है।
दरअसल आज सिर्फ नाम का स्मार्ट सिटी का तमगा पहनने वाला उज्जैन शहर एक समय में वास्तविक में स्मार्ट कह लाता था जब यहां इंदौर टेस्टाइल ,विनोद मिल, विमल मिल, हीरा मिल जैसे विश्व स्तरीय कपड़ा मिलें संचालित हुआ करती थी जिसमें हजारों की संख्या में लोग काम करते थे और इन मिलों में काम करने वाले कर्मचारियों के क्वार्टर भी मिल कंपाउंड में ही बने थे गुटबाजी और राजनीति के चलते एक-एक करके सभी मिलें बंद हो गई उन्हीं में से एक विनोद मिल था जिसमें सैकड़ों मजदूर काम करते थे और विनोद मिल में काम करने वाले कर्मचारी मिल कंपाउंड में ही रहते थे मिल बंद हुए को भी साल कई साल गुजर चुके हैं लेकिन जब से स्मार्ट सिटी का जिन्न उज्जैन शहर में आया है तब से शहर में भूमाफिया सक्रिय हो चुके हैं, शहर के बीच में 92 बीघा जमीन पर उज्जैन ही नहीं बल्कि अन्य जगहों के भू माफियाओं की पैनी नजर है, पूरी जमीन को नौ खंडों में बांटा गया है, रवि राय के बताया कि ताज्जुब की बात यह है अशोक मंडी मार्ग के नाम से यह पूरा एरिया कहलाता है जिसकी 8789रुपए प्रति स्क्वायर मीटर की गाइड लाइन होने के बावजूद महज 816 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से टेंडर के माध्यम से बेंच दिया गया, जिससे सरकार को 135 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हो रही है जिसके लिए स्थानीय लोगों के अनुसार जिम्मेदार उज्जैन का प्रशासन और जनप्रतिनिधि हैं , इतने कम रेट में बेचने के बाद भी शासन-प्रशासन इनको मुआवजा नहीं दे रहा है और घर से बेघर करने की तैयारी में है।
बहरहाल जरूरत इस बात की है कि सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि हवा हवाई दिलासे देने की बजाय गरीब मजदूरों के हक एवं इंसाफ के लिए आगे आएं और इनको न्याय दिलाने में मदद करें, वहीं शहर कांग्रेस को भी अपने विपक्ष की भूमिका को निभाने की आवश्यकता है, अन्यथा आने वाले चुनाव में उज्जैन की जनता न सिर्फ सत्ता पक्ष को बल्कि विपक्ष को भी माफ नहीं करेगी।
