
यात्रा का मर्म,
देश में कांग्रेस को खोजने और आत्ममंथन करने निकले राहुल,
क्या बिखरती कांग्रेस को संजो पाएंगे राहुल?
क्या देश को एक संगठित विपक्ष दे पाएगी भारत जोड़ो यात्रा?
उज्जैन, कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी कि भारत जोड़ो यात्रा उज्जैन पहुंची, राहुल गांधी ने पत्रकार वार्ता में भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य भारत के सभी वर्गों को जोड़ने,और समान अधिकार देना, नफ़रत,हिंसा और जो डर फेलाया जा रहा है उसके सामने खड़े होना, और इसका मुख्य उद्देश्य जनता की आवाज को सुनना, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर केंद्रित होना बताया ।
कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने कहा कि यह यात्रा राजनीति से परे है, यह एक तपस्या है लेकिन राहुल गांधी यह भली-भांति समझते हैं कि पूरे भारत में कांग्रेस पिछले कुछ सालों से कितनी शीघ्रता से सिमटी है, इन सब के पीछे कई कारणों का समायोजन है, भितरघात, राजनीतिक महत्वाकांक्षा, परिवारवाद जैसे कई कारण हैं जिसके चलते कांग्रेस पार्टी पूरे भारत में आज एक मजबूत विपक्ष के रूप में भी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रही है, राहुल गांधी कहते हैं कि इस यात्रा से मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है यह एक तपस्या है और तपस्या भी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से परे है और इस यात्रा का मकसद जनता से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित है लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि जनता की आवाज और जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाने के लिए एक मजबूत विपक्ष की हैसियत होना परम आवश्यक है, लेकिन पूरे भारत के कई राज्यों में कांग्रेस का लगभग सफाया हो चुका है, वहीं केंद्र में भी कांग्रेस महज कुछ सांसदों के साथ एक विपक्ष की भी हैसियत खो चुका है, लगातार गिरते हुए ग्राफ में लोकसभा, विधानसभा यहां तक की पंचायत और नगर निगम जैसे चुनावों में अपने अस्तित्व को नहीं बचा पाया है, इन सब परिस्थितियों के चलते आज कांग्रेस के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लग गया है जिसको भांपते हुए, राहुल गांधी की एक उपाध्यक्ष होने के नाते आत्म मंथन यात्रा पर चल पड़े हैं, क्योंकि राहुल गांधी भली-भांति समझते हैं कि जनता और जनता से जुड़े मुद्दों तक पहुंचने के लिए एक सशक्त और एकजुट राजनीतिक दल का होना बहुत आवश्यक है, एक बिखरता हुआ राजनीतिक दल कभी भी जनता की आवाज नहीं बन सकता, इसलिए इसे कांग्रेस बचाओ यात्रा कहने पर कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
यह यात्रा जब उज्जैन पहुंची है तो हमें मध्य प्रदेश और उज्जैन में कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को समझना परम आवश्यक है, मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां की जनता ने कांग्रेस को काम करने के लिए भरपूर समर्थन दिया, मौका भी दिया और समय भी दिया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लगभग पूरे कार्यकाल में बेरोजगारी, सड़क और बिजली प्रमुख मुद्दे रहे हैं, जिसका हल कांग्रेस की तत्कालीन सरकार नहीं कर पाई, जिसके कारण से मध्यप्रदेश में कांग्रेस जनता का विश्वास जीतने में कामयाब नहीं हो पाई, वहीं भितरघात के चलते राहुल गांधी के परम मित्र कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से जाने से कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा, वर्तमान परिदृश्य में उज्जैन की भारत जोड़ो यात्रा की राहुल गांधी की सभा के मंच को हम देखते हैं तो उज्जैन कांग्रेस पार्टी की महज कुछ औपचारिकताऐं ही नज़र आती हैं, उज्जैन जैसा छोटा शहर जो कांग्रेस का एक समय में गढ़ हुआ करता था वर्तमान स्थिति में एक विपक्ष कहलाने के लायक भी नहीं बचा है ऐसे में स्पष्ट है कि कांग्रेस उज्जैन मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में अपने अस्तित्व को तलाश रही है और आत्ममंथन को विवश है।
राहुल गांधी ने कहा कि नफरत और भेदभाव मिटाना इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य है लेकिन जब उनसे पूछा गया कि ईडब्ल्यूएस के तहत सुप्रीम कोर्ट ने गरीब स्वर्ण परिवारों को आरक्षण जारी रखने का आदेश दिया लेकिन इस आदेश के खिलाफ कांग्रेस के ही एक नेता ने पुनर्विचार याचिका दायर की ,ऐसे में सभी वर्गों के हितों के लिए कांग्रेस की मानसिकता और विचारधारा में भिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है , दूसरी ओर जेएनयू में टुकड़े टुकड़े गैंग का राहुल गांधी का समर्थन करना, कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद कांग्रेस के एक शीर्षस्थ नेता के द्वारा यह कहा जाना कि कांग्रेस की सरकार आने पर धारा 370 पर पुनर्विचार किया जाएगा, राम मंदिर बनाने के मुद्दे पर प्रश्नचिन्ह लगाना,CAA के मुद्दे पर विरोध दर्शना, अखलाक के मुद्दे पर पूर्ण समर्थन देना जबकि आफताब द्वारा श्रद्धा के 35 टुकड़े किए जाने के मुद्दे पर राहुल गांधी की चुप्पी , ऐसे कई मुद्दे हैं जिसने जनता के मन में कांग्रेस की छवि को प्रभावित किया है, और इन मुद्दों पर कांग्रेस को आत्ममंथन करने की आवश्यकता है।
राहुल गांधी ने उज्जैन की सभा में कहा की महंगाई ,बेरोजगारी, गरीबी एक प्रमुख मुद्दा है लेकिन यह मुद्दा भारत के लिए कोई नया नहीं है, भारत में जहां कांग्रेस की सरकार काफी लंबे समय तक रही है लेकिन हर एक चुनावों में यही सब मुद्दे मुख्य रूप से सभी राजनीतिक दल उठाते हैं और इन्हीं मुद्दों को देश से खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में काबिज होते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद फिर वही ढाक के तीन पात।
बहरहाल राहुल गांधी द्वारा देश की मीडिया पर यह आरोप लगाया कि उनकी भारत जोड़ो यात्रा पर मीडिया ने यह संभावना जताई कि भारत जोड़ो यात्रा को केरल और साउथ में अच्छा समर्थन मिलेगा लेकिन अन्य राज्यों में या यात्रा प्रभावहीन हो जाएगी, जबकि कड़वा सत्य यह है कि कांग्रेस दिल्ली और पंजाब की अपनी बनी बनाई सरकार को भी नहीं बचा पाई, सवाल यात्रा का प्रभावी या प्रभावहीन होना प्राथमिकता नहीं है, प्राथमिकता यह है कि अगर कांग्रेस को जनता से जुडकर और जनता से जुड़े मुद्दों के लिए काम करना है तो कांग्रेस का न सिर्फ राज्यों में बल्कि देश में भी एक मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित होना आवश्यक है इसके लिए कांग्रेस का एकजुट होना भी आवश्यक है, और कहीं ना कहीं इसी मंशा के चलते राहुल गांधी पूरे भारत में वास्तविक कांग्रेस को खोजने निकले हैं इनकी इस तपस्या का भविष्य में क्या फल मिलेगा कहना जल्दबाजी होगी लेकिन इतना जरूर है कि लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष का होना परम आवश्यक है एक मजबूत विपक्ष के बगैर लोकतंत्र महत्वहीन और अस्तित्वहीन है।
