उज्जैन के युवाओं को, जनप्रतिनिधियों ने छला ,महाकाल लोक से उज्जैन में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, क्या यह सिर्फ एक छलावा था?

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उज्जैन के युवाओं को,जनप्रतिनिधियों ने छला

महाकाल लोक से उज्जैन में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, क्या यह सिर्फ एक छलावा था?
उज्जैन, मध्यप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने महाकाल लोक के लोकार्पण के पूर्व बड़ी जिम्मेदारी से यह कहा गया था कि महाकाल लोक से उज्जैन में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उज्जैन के स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह वादा मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों द्वारा बिना होमवर्क के किया गया था, इसलिए वादे और हकीकत में जमीन आसमान का फर्क नजर आ रहा है।
पूरे उज्जैन शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का पूरा पैसा 600 करोड़ से अधिक महाकाल लोक के निर्माण में लगा दिया गया लेकिन ना तो उज्जैन शहर स्मार्ट बन पाया और ना ही उज्जैन शहर के युवाओं को रोजगार, लोकार्पण के पूर्व मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्रियों द्वारा जिम्मेदारी पूर्ण यह कहा गया था कि महाकाल लोक से उज्जैन के युवाओं को रोजगार उपलब्ध होगा लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल परे है।
आलम यह है कि महाकाल लोक को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं, और उसी के चलते अपने घर का चूल्हा जलने की आस में उज्जैन के युवाओं ने महाकाल लोक के बाहर लारिया लगाई ,जिसमें भजिया पकौड़ी, पानी पतासी, पाव भाजी इत्यादि बेंचकर दो पैसे कमाना चाहा, लेकिन इन युवाओं की आशा तब निराशा में बदल गई जब प्रशासन द्वारा इनके ठेलों को यहां से हटाकर नदी किनारे भेज दिया गया, जहां इन गरीबों का हजारों का खाने का सामान बेचे नहीं जाने की वजह से खराब हो गया।
स्थानीय लारी लगाने वाले युवा पिंटू लोदवाल ने कहा कि नगर निगम द्वारा ठेलों का शुल्क वसूला जा रहा है ,बावजूद इसके ऐन वक्त जब लोगों का महाकाल लोक में आना शुरू होता है,हमें यहां से हटा दिया जाता है,उज्जैन के महापौर को भी हमने अपना दर्द बयां किया ,लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, ऐसे में सवाल यह उठता है कि मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्रियों द्वारा उज्जैन की जनता को भरोसा दिलाया गया था कि महाकाल लोक से उज्जैन की जनता को रोजगार मोहिया होगा , तो क्या यह वादा महज हवा हवाई साबित होगा?
दूसरी तरफ महाकाल लोक प्रांगण में प्रशासन ने पक्की दुकानें बनाई है, लगभग 80 दुकाने यहां बनाई गई है जिस पर बड़े-बड़े व्यापारियों की नजर है स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक के अनुसार इन दुकानों का टेंडर प्रक्रिया द्वारा आवंटन होगा।
बताया जा रहा है कि टेंडर प्रक्रिया के चलते इन दुकानों का आवंटन होगा जिसमें दुकानों की कीमत लाखों में पहुंच सकती है, ऐसे में उज्जैन के गरीब लारी वालों के लिए इन दुकानों को लेने की सोचना भी संभव नहीं है, शासन प्रशासन को चाहिए कि दुकान के आवंटन प्रक्रिया में उज्जैन के गरीब बेरोजगार युवाओं को ही प्राथमिकता मिले इस तरह की व्यवस्था की जानी चाहिए।
बहर हाल प्रशासन इन लारी वालों के लिए नदी किनारे की बाजाय महाकाल लोक के समीप एक अन्य स्थान निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि उज्जैन के गरीब बेरोजगारों के घर का चूल्हा जल सके,
इसके लिए महाकाल लोक के समीप लारी वालों के लिए जिला पंचायत का नीलगंगा हाट बाजार क्षेत्र भी उपयुक्त साबित हो सकता है जहां सुव्यवस्थित रूप सैकड़ों दुकाने ,लारी आदि लगाकर एक चौपाटी का रूप दिया जा सकता है , जहां सैकड़ों वाहन भी पार्क किए जा सकते हैं ,वाहन पार्किंग करने के बाद चौपाटी का आनंद लेने के साथ-साथ पैदल महाकाल लोक यात्री जा सकते हैं, इससे महाकाल लोग की पार्किंग का लोड भी कम किया जा सकता है।


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