सिटी बसों में एक और  नए भ्रष्टाचार की स्क्रिप्ट ,100 नई सिटी बस निगम द्वारा लाने की तैय्यारी

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सिटी बसों में एक और नए भ्रष्टाचार की स्क्रिप्ट
100 नई सिटी बस निगम द्वारा लाने की तैय्यारी


उज्जैन , नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा लगभग 35 करोड़ से अधिक कीमत की 89 सिटी बसों को भंगार करने के बाद अब नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी 50 करोड़ की 100 नई ई बस अर्थात इलेक्ट्रिक बस केंद्र सरकार की योजना के तहत लाने की तैयारी में जुटे हुए हैं जिसमें सिटी बसों में बड़ा भ्रष्टाचार होने की संभावना है, जिसमें वि जि ए , ग्रॉस कॉस्ट माडल योजना के तहत उज्जैन नगर निगम लगभग 50 करोड से अधिक कीमत की100 ई सिटी बस लाने की तैयारी में है, लेकिन विश्वस्त सूत्रों से जानकारी है कि इस योजना में भ्रष्टाचार की भी एक योजना को शामिल होने की संभावना जताई जा रही है
ज्ञात रहे कि नगर निगम के वर्तमान सिटी बस संचालक विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी जिसको की नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा 25 सिटी बस चलाने का महज 83 रुपए प्रति दिन में टेंडर पास किया हुआ है, इसमें बड़ी हास्यास्पद बात यह है कि 83 रुपए प्रति दिन में एक ऑटो रिक्शा को भी चलाने के लिए नहीं दिया जा सकता है उस कीमत में एक सिटी बस को चलाया जा रहा है, और बस ऑपरेटर द्वारा 25 बसों में से बमुश्किल 10 सिटी बस ही चलाई जा रही है और इन 10 बसों में से भी सिर्फ एक सिटी बस उज्जैन शहर में चलाई जा रही है बाकी सभी बसें ग्रामीण क्षेत्रों में चलाई जा रही है जिससे बस ऑपरेटर को हजारों रुपए प्रति दिन की कमाई हो रही है और बावजूद इसके बस ऑपरेटर द्वारा 83 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सिटी बस चलाने का पेमेंट भी नगर निगम को जमा नहीं किया गया है और यह सब नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी और सिटी बस संचालक की सांठगांठ से चल रहा है ।
गौरतलब है कि नगर निगम के पूर्व कमिश्नर अंशुल गुप्ता ने नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों और बस संचालक की सांठगांठ से हुए भ्रष्टाचार के तहत नगर निगम को करीब ढाई करोड़ से अधिक की राजस्व हानि का दोषी मानते हुए नगर निगम के तीन अधिकारियों जिसमें सुनील जैन विजय गोयल और पवन लोढ़ा को नोटिस जारी किया था, लेकिन इन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने करने वाले निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता को आनन-फानन में शासन ने उज्जैन नगर निगम से विदाई कर दी और हालात यह है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त इन अधिकारियों का राजनीतिक बाहुबलियों की सरपरस्ती के चलते अभी तक बाल भी बांका नहीं हुआ है इससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार की नीव कितनी अंदर तक और कितनी मजबूत है।
बता दें कि नगर निगम द्वारा सिटी बसों को टेंडर धारी कंपनी को पूरी तरह से रिपेयरिंग करा कर दीया जाना था लेकिन खंडवा वाले भ्रष्टाचार को अमलीजामा नहीं पहनाए जाने के कारण नगर निगम को कंगाली हालत में होने का हवाला देते हुए नियमों में बदलाव करके सिटी बसों को टेंडर धारी कंपनी द्वारा ही रिपेयरिंग का खर्च वहन करना तय किया गया, नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों ने नगर निगम डिपो में रखी 89 बसों के कलपुर्जे जिसमें बैटरी टायर भी गायब करवा दिए , जिसके चलते नगर निगम के डिपो में रखी सिटी बसें भंगार हो गई ,कहीं की ईंट और कहीं का रोड़ा जोड़कर 10 सिटी बस में तैयार की गई।
बहर हाल नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने बस संचालक के साथ सांठगांठ करके नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई , बावजूद इसके नगर निगम के यह भ्रष्ट अधिकारी अब 50 करोड़ से अधिक कीमत की नई ई सिटी बस वि जि ए , ग्रॉस कॉस्ट माडल योजना के तहत लाने की तैयारी में है, विश्वस्त सूत्रों से जानकारी है कि इसमें भ्रष्टाचार पूर्व की तरह ही किया जा सकता है पूर्व में सिटी बसों के टेंडर प्रक्रिया में विनायक टूर्स एंड ट्रैवल्स कंपनी के अतिरिक्त एक अन्य ट्रैवल्स कंपनी द्वारा भी भाग लिया गया था, जिसमें प्रति बस 389 रुपए का रेट कोड किया गया था, नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने नियम में बदलाव करके मात्र 83 रुपए प्रति दिन में प्रति बस का टेंडर जारी कर दिया जिससे नगर निगम को राजस्व की हानि हुई, अब इसमें आगे का भ्रष्टाचार की योजना है जिसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है जिसके अंतर्गत नगर निगम के पास अभी चलने लायक स्थिति में सिटी बस उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते नगर निगम 100 नई ई सिटी बस मंगाने की तैयारी में है और इसी टेंडर धारी कंपनी को इसी ₹83 प्रतिदिन के रेट के हिसाब से नई ई बसें देने की संभावना है, जिसके चलते टेंडर धारी कंपनी को बिना मेंटेनेंस के नई बसें पुराने रेट में मिल जायेंगी, जिसके चलते टिंडर धारी कंपनी को लाखों रुपए की कमाई हो जाएगी और वहीं नगर निगम को लाखों रुपए की राजस्व हानि होगी।
विजय गोयल कार्यपालन यंत्री ने बताया कि वि जि ए , ग्रॉस कॉस्ट माडल योजना के तहत 100 सिटी बसों का प्रस्ताव बनाया गया है, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग के बाद फाइनल हो पाएगा, यहां बता दें कि यह वही अधिकारी हैं जिनका नाम सिटी बसों में नगर निगम को करोड़ों की राजस्व हानि में है।
बहर हाल जरूरत इस बात की है कि अब नगर निगम में महापौर और सभापति दोनों विराजमान है और नवागत निगमायुक्त भी मौजूद है ऐसे में सिटी बसों के मामले में भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई हो, और नई बसों के संचालन एवं टेंडर प्रक्रिया के तकनीकी बिंदुओं पर पुनर्विचार किया जाए ताकि नई बसें भ्रष्टाचार की भेंट ना चढ़े और उज्जैन नगर की जनता को सिटी बसों में सफर का लाभ मिल सके।


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