
राजनीति से उम्मीद मत कीजिएगा,क्योंकि राजनीति हमेशा जनता का उपयोग अपनी शक्ति के लिए करती आई है
एक ही जगह के अतिक्रमण पर ,अमीरों और गरीबों पर अलग अलग नीतियां कैसे?
उज्जैन, आज यह प्रश्न उज्जैन की जनता के मन में है कि आखिर एक ही जगह पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने पर अमीरों और गरीबों के लिए अलग-अलग नीतियां कैसे संभव है, सवाल यह भी है कि गोवर्धन सागर की जमीन पर अमीरों को बिल्डिंग खड़ी करने की इजाजत आखिर किसने दी आखिर वह कौन लोग हैं किस विभाग के लोग हैं? जिन्होंने गोवर्धन सागर की जमीन पर मार्केट बनाने की इजाजत दी, सवाल यह भी है कि जब गोवर्धन सागर की जमीन पर निर्माण अवैध था ऐसे में शुरुआती दौर में ही जिम्मेदार विभाग द्वारा इसे रोका क्यों नहीं गया, और सबसे बड़ा सवाल है कि आज राजनीतिक दल सत्ताधारी और विपक्ष दोनों ही मुंह पर पट्टी बांधे क्यों बैठे हुए हैं, आखिर क्यों गरीबों के घरौंदे आनन-फानन में तोड़ दिए गए लेकिन अमीरों की बिल्डिंग पर जेसीबी चलने से कैसे रुक गई ,आखिर कौन है वो लोग जिन्होंने अवैध मार्केट पर जेसीबी चलने से रोक दिया, आखिर यह भेदभाव कौन कर रहा है नौकरशाही या राजनीति ,
इस विषय पर जनता निकट भविष्य में चिंतन जरूर करेगी।
बहर हाल सवाल आज भी वही है की इस अतिक्रमण के लिए वास्तविक रूप से दोषी कौन है तो इसका जवाब भी आईने की तरह साफ दिखाई दे रहा है कि शहर में हो रहे अवैध निर्माणों की इजाजत किस विभाग के भ्रष्टाचारी अधिकारी दे रहे हैं और भ्रष्टाचार ही इस अतिक्रमण पर जेसीबी चलाने में अमीरों और गरीबों के बीच भेदभाव कर रहा है, लेकिन जनता सब देख रही है और समझ भी रही है राजनीति का मोन , शायद जनप्रतिनिधियों का यही महत्व होता है, लेकिन यह कटु सत्य है कि राजनीति हमेशा से जनता का उपयोग अपने बल और वर्चस्व को बढ़ाने में करती आई है इसलिए यहां से उम्मीद करना बेमानी होगी।
