जनता के साथ विश्वासघात के 100दिन ,दिन महीने साल गुजरते जाएंगे, नगर निगम को बर्बाद करके ही मानेंगे

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जनता के साथ विश्वासघात के 100दिन
दिन महीने साल गुजरते जाएंगे, नगर और निगम को बर्बाद करके ही मानेंगे

जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के 100दिन
उज्जैन, मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने एडी चोंटी का जोर लगाते हुए उज्जैन में महापौर की कुर्सी बचाई , महापौर के साथ सभापति भी भाजपा का बना, लेकिन यह कोई नई बात नहीं है उज्जैन की जनता ने भाजपा सरकार को कई मौके दिए हैं और कई महापौर और सभापति भी दिए हैं लेकिन बदले में उज्जैन की जनता ने क्या पाया ?, जीरो बटा सन्नाटा,
उल्टा नगर और निगम कंगाली की चौखट पर खड़ा है
तो पेश है जीत के आगोश में 100 दिनों की मट्ठागिरी
किस मुंह से अपने 100 दिनों का बखान करें उज्जैन में नगर निगम का भाजपा बोर्ड
54 वार्डों में से कई वार्ड ऐसे भी हैं जहां की जनता ने पार्षद को वोट मांगने के बाद अभी तक दीदार नहीं किया है
ज्यादातर पार्षद अपने निजी काम धंधे में जुटे,
नगर और निगम के हालात यह है कि
@ ठेकेदारों की करोड़ रुपए देनदारी बाकी है
@कंगाली के चलते कर्मचारी को नगर निगम समय पर सैलरी नहीं दे का रहा है
@करोड़ों के भ्रष्टाचारी अधिकारी अभी भी नगर निगम की कुर्सी पर चिपके हुए हैं
@सिर्फ एक सिटी बस उज्जैन शहर में चल रही है बाकी सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई
@आवारा पशुओं की शहर में भरमार हो रही है हर कॉलोनी में सूअर और कुत्तों ने आतंक मचा रखा है शहर के हर मुख्य मार्ग पर आवारा पशु विचरण करते नजर आ रहे हैं
@नगर निगम की गौशाला में पशुओं को खिलाने का भूसा तक नहीं है, ना कर्मचारी है, ना अधिकारी है और ना भूसा खरीदने का पैसा है, आए दिन गाय माताएं मर रही है
@नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर कब्जा करते हुए कई अवैध होटल संचालित हो रहे हैं
@टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट एवम नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है की टाटा कंपनी छोटे-छोटे अनुभवहीन “लोकल” ठेकेदारों को सीवरेज प्रोजेक्ट के कार्यों को सौंप रही है जहां गुणवत्ताहीन कार्य किया जा रहा है, @5 साल गुजरने के बाद भी टाटा का प्रोजेक्ट अभी भी अपूर्ण है , जिसे पूर्ण होने में अभी 1 साल और लग सकता है, टाटा कंपनी पर नगर निगम की 5 करोड़ से अधिक की पेनल्टी महज दिखावा
@नगर निगम के अधिकारी, राजनीतिज्ञ “कम” बिल्डरों की मिलीभगत से शहर में बड़े पैमाने पर अवैध सरकारी जमीन पर कॉलोनी का निर्माण हो रहा है और साथ ही नियमों की धज्जियां उड़ते हुए भी साफ देखा जा सकता है
@शहर के कई नालों पर अवैध कब्जा करके भवनों का निर्माण किया गया है नाले नालियों में बदल चुके हैं लेकिन नगर निगम के अधिकारी आंखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बांधे हुए हैं
@शहर की ज्यादातर कॉलोनीयों में पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गंदगी और जल भराव की समस्या व्याप्त है @जनता की समस्याओं की गुहार पर जनप्रतिनिधि जनता को गलियां दे रहे हैं और नगर निगम के अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं
@शहर के सभी बाग बगीचे अव्यवस्थाओं से सराबोर हैं, ज्यादातर उद्यानों में कर्मचारी झांकते तक नहीं है और कई में तो माली ही नहीं है, नियमित देखरेख की कमी की वजह से उद्यान जंगल बनते जा रहे हैं
@पीने के पानी की समस्या गंभीर बनती जा रही है नगर निगम की पेयजल पाइपलाइन सालों से साफ नहीं की गई है नतीजा यह है की जंग भरी पाइपलाइन से गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है
@मोक्ष दायिनी क्षिप्रा में शहर के गंदे नाले बदस्तूर मिलना जारी है जिसके चलते कई करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी क्षिप्रा नदी का शुद्धिकरण नहीं हो का रहा है
@शहर साल दरअसल उद्योगहीन होता जा रहा है नतीजतन उज्जैन के युवा बेरोजगारी से जूझ रहा है
@नगर निगम को दीमक की तरह खोखला करने वाले भ्रष्टाचारी अधिकारियों को सफेदपोश नेता नगरी की सरपरस्ती होने की वजह से भ्रष्टाचार में संलिप्तता साबित होने के बावजूद भ्रष्ट अधिकारी अभी भी नगर निगम की कुर्सी पर काबिज हैं यही प्रमुख कारण है नगर निगम दिन प्रतिदिन साल दर साल खोखला होता जा रहा है
@100 दिन के बाद उज्जैन के महापौर जुबानी तीर चला रहे हैं और कागजी घोड़े दिखा रहे हैं और उनके साथ उज्जैन नगर के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि अपनी जीत की मदहोशी से अभी तक बाहर नहीं आ पाए हैं और जनता की समस्याओं से रूबरू नहीं हो पाए हैं
@लेकिन अब जनता के मन में यह सवाल है की आखिर उज्जैन के जनप्रतिनिधि कब तक मध्य प्रदेश के मुखिया और देश के मुखिया के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी स्वार्थ सिद्धि करते रहेंगे
@वैसे उज्जैन के जनप्रतिनिधियों का जनहित की बजाय स्वार्थ सिद्धि का इतिहास रहा है उसी के चलते आज उज्जैन शहर स्मार्ट सिटी की परछाई से भी बहुत दूर है वहीं दूसरी और उज्जैन के जनप्रतिनिधि दिनों दिन स्मार्ट व्यापारी बनते जा रहे हैं
बहरहाल जरूरत इस बात की है कि जो बीता वो बीत गया,अब आगे की सुध लेव, अगले 100 दिनों की पुख्ता योजना बनाकर, उज्जैन के जनप्रतिनिधि अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को परे रखते हुए, चुने हुए क्षेत्र में जाकर जनता की समस्याओं का निवारण करें,शहर और जनता को विकास का अमलीजामा पहनाने का प्रयास करें ,शहर की सड़कों और कालोनियों को आवारा मवेशियों से मुक्त कराएं, शहर में रोजगार के अवसर पैदा करें,
सबसे मुख्य “भ्रष्टाचारी नगर निगम अधिकारियों” पर लगाम लगे और उन्हें उनके किए की सजा मिले,तभी अगले 100दिनों में जनप्रतिनिधि अपना मुंह और नाक ऊंची कर जनता के सामने आने की हिमाकत कर पाएंगे।


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