
टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ उजागर
सिर्फ नाम टाटा कंपनी का ,काम कर रहे हैं अनुभवहीन ठेकेदार
टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट में टाटा कंपनी ने कार्य छोटे-छोटे अनुभवहीन ठेकेदारों के जिम्में किए
उज्जैन, टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट में भेरूगढ़ क्षेत्र में सीवरेज वेल क्षेत्र में शिप्रा नदी से अवैध मिट्टी खनन हो रहा है अवैध खनन की गई काली मिट्टी से किया जा रहा है रोड का निर्माण जबकि रोड निर्माण में पी ली मिट्टी एवं गिट्टी मोरम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए , नगर निगम, टाटा कंपनी एवं वेबकॉस के अधिकारी इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं इस मामले में टाटा कंपनी घोर अनियमितताएं की जा रही है जिसमें टाटा कंपनी द्वारा इस कार्य को एक छोटे अनुभवहीन ठेकेदार से कराया जा रहा है।
बता दें कि 2017 से शुरू हुए टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट को 2019 में पूर्ण किया जाना था लेकिन 2022 भी अब खत्म होने को है और उज्जैन शहर का सीवरेज प्रोजेक्ट अभी भी अपूर्ण है, बावजूद इसके इस प्रोजेक्ट में टाटा कंपनी द्वारा सिर्फ उज्जैन की जनता ही नहीं बल्कि शासन प्रशासन को भी गुमराह किया जा रहा है आलम यह है की मध्य प्रदेश सरकार ने जिस टाटा कंपनी के बड़े बैनर को देखकर इतने बड़े प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी वह टाटा कंपनी पूरे शहर के सीवरेज प्रोजेक्ट को अलग-अलग छोटे-छोटे अनुभवहीन ठेकेदारों को सौंप रही है जिनके द्वारा निम्न गुणवत्ता का कार्य किया जा रहा है , और इसमें कई अनियमितताएं हो रही है।
ऐसा ही एक मामला जिसमें टाटा कंपनी द्वारा मंगलनाथ और सिद्धनाथ के बीच शिप्रा नदी किनारे सीवरेज पाइपलाइन डालने का कार्य और ट्रीटमेंट प्लांट वेल के आसपास का कार्य एक ठेकेदार को सौंपा है, उक्त अनुभवहीन ठेकेदार द्वारा इस कार्य में घोर अनियमितताएं की जा रही हैं, ठेकेदार द्वारा शिप्रा नदी के किनारे के पाइप लाइन डालने से कई गुना बड़े हिस्से की मिट्टी का खनन किया है और इस काली मिट्टी को ट्रीटमेंट प्लांट वेल के आसपास के क्षेत्र में भराव के लिए उपयोग किया जा रहा है, और इसी काली मिट्टी से भराव करके रास्ते का निर्माण किया जा रहा है जबकि इस एरिया में पीली मिट्टी एवं मोरम एवं बोल्डर भराव किया जाना प्रस्तावित है काली मिट्टी से भराव किए जाने पर सीवरेज कुवे एवं आसपास के क्षेत्र के भविष्य में धस जाने का खतरा है, जबकि पाइप लाइन डालने वाली जगह से निकलने वाली काली मिट्टी को अन्य जगह डंपर के माध्यम से डाला जाना चाहिए लेकिन उसका उपयोग भराव के लिए उपयोग किया जा रहा है ओर भराव करने के लिए नदी के किनारे से पाइपलाइन डालने की जगह से कई गुना ज्यादा जगह की मिट्टी का अवैध खनन भी किया जा रहा है।
इस मामले में अमृत योजना के जिम्मेदार अधिकारी जी के कंठील कार्यपालन अधिकारी से इस संबंध में बात की गई तब उन्होंने बताया की मामला मेरे संज्ञान में आया है ,कार्य क्षेत्र पर क्या अनियमितताएं हो रही है मैं दिखाता हूं नियम विरुद्ध कार्य पर आवश्यक करवाई की जाएगी।
वेबकोज एजेंसी के अधिकारी आशीष जैन ने बताया की काली मिट्टी का भराव अभी जिस जगह किया जा रहा है वहां से वापस उसे मिट्टी को खोदकर पाइप लाइन डालने के बाद उसे जगह फिर भराव किया जाएगा, जबकि काली मिट्टी खोदकर रोड निर्माण की जगह भराव किया जा रहा है उसके ऊपर पतली लेयर में मोरम डालकर ऊपर से रोड रोलर चलाया जा रहा है ऐसे में सवाल यह उठाता है की रोड रोलर चलाने के बाद उस जगह की काली मिट्टी को पुनः कैसे खोदा जा सकेगा, ऐसे में स्पष्ट है की अधिकारियों द्वारा अवैध खनन किए जाने एवं काली मिट्टी के भराव से रोड बनाने के मामले में लीपापोती की जा रही है।
टाटा कंपनी के मैनेजर सुरेंद्र शर्मा ने बताया की काली मिट्टी इस जगह से खोदी गई थी जिसको पास के खेतों में डलवाया गया था लेकिन अब किसान मिट्टी वापस खोदने नहीं दे रहे हैं जिसका नगर निगम द्वारा किसानों पर वाद दायर किया गया है, जबकि वास्तविकता यह है की टाटा कंपनी एक अन्य ठेकेदार से इस कार्य को करवा रही है और वह ठेकेदार निम्न श्रेणी का कार्य कर रहा है और रोड बनाने में मोरम गिट्टी और पीली मिट्टी का इस्तेमाल करने की जगह अवैध रूप से काली मिट्टी का खनन करके उसको रोड बनाने में इस्तेमाल कर रहा है।
बहरहाल टाटा सीवरेज प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता हो रही है ऐसे में इस प्रोजेक्टमें हो रहे भ्रष्टाचार की विस्तृत जांच किए जाने की आवश्यकता है जिसमें एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है , भ्रष्टाचार के इस मामले में नगर निगम, वेबकोस और टाटा कंपनी के अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है।
