नगर निगम की सिटी बस का परमिट कहीं और का है और चल कहीं और रही है

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इंदौर रोड खान बड़ोदिया रामपाल बाबा के आश्रम का दृश्य
नगर निगम की सिटी बस का परमिट कहीं और का है और चल कहीं और रही है
नगर निगम का पूरा बंटाधार करके ही मानेंगे ,ये निगम अधिकारी
क्या वाकई में इतने बाहुबली हैं ये भ्रष्टाचारी निगम अधिकारी
उज्जैन, नगर निगम की सिटी बसों में भ्रष्टाचार कई वर्षों से हो रहा है इसमें सिटी बसें प्राइवेट बारात में चलती हुई पाई गई, शनि मंदिर पर भी सिटी बसों को अपने रूट से हटाकर चलाया गया ,इसके बाद सोमवार से सिटी बसों को अपने रूट से हटाकर इंदौर रोड खान बड़ोदिया स्थित रामपाल बाबा के आश्रम से उज्जैन चलाया गया, सिटी बस क्रमांक MP 13 P 0805 जिसका परमिट उज्जैन से तराना का है,जबकि नगर निगम उज्जैन और आरटीओ की तरफ से भी कोई रूट में बदलाव करने का आदेश नहीं दिया गया है, बावजूद इसके सिटी बस संचालक द्वारा मनमाने तरीके से सिटी बसों को चलाया जा रहा है, जिससे अवैध रूप से हजारों रुपए रोज की इनकम सिटी बस संचालक को हो रही है जबकि नगर निगम को प्रति सिटी बस प्रतिदिन 85 रुपए देने का करार है वह भी कई महीना से सिटी बस संचालक द्वारा नगर निगम को जमा नहीं कराया गया है, 10 में से 9 सिटी बसों का परमिट उज्जैन सिटी में ना होकर ग्रामीण क्षेत्र में जानबूझकर दिया गया है, जबकि सिटी बसें उज्जैन नगर निगम की सीमा में ही चलना चाहिए।
यूं तो नगर निगम में कई कमिश्नर आए और चले गए लेकिन पूर्व नगर निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता उज्जैन सिंघम कमिश्नर कहलाए यह हम नहीं कह रहे हैं अंशुल गुप्ता ने अपने छोटे से कार्यकाल में वह करके दिखाया , नगर निगम उज्जैन में भ्रष्टाचारी अधिकारीयों का बोल बाला है लेकिन एक के बाद एक नगर निगम के भ्रष्टाचारियों को चुन चुन कर बाहर निकाला, अब तक नगर निगम सिटी बस मामले में हुए भ्रष्टाचार में उज्जैन सिटी बस संचालन और संधारण के मामले में कई अनियमितताएं हुई जिसके कारण नगर निगम के अधिकारियों ने ही नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई , जिसके चलते मामले की छानबीन करते हुए निगम कमिश्नर ने नगर निगम के 3 अधिकारियों को लगभग ढाई करोड़ से अधिक की राजस्व हानि नगर निगम को पहुंचाने का जिम्मेदार माना था , जिसके तहत नगर निगम के तीनों अधिकारियों को निगम कमिश्नर ने जून 2022 में नोटिस थमाया था,
नगर निगम की सिटी बसों का संचालन एवं संधारण करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से तीन अधिकारियों सुनील जैन , प्रभारी महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड नगर निगम , विजय गोयल , प्रभारी उप महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड नगर निगम, पवन कुमार लोढ़ा, प्रभारी सहायक महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लमिटेड नगर निगम को सौंपी गई थी, सिटी बस के संचालन और संधारण में कई अनियमितताएं उपरोक्त तीनों अधिकारी द्वारा की गई ऐसा पाया गया है जिसके चलते नगर निगम उज्जैन को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई ।
दरअसल नगर निगम को 89 सिटी बसें जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन योजना के तहत मिली थी इसका संचालन अर्थ कनेक्टिविटी द्वारा 2015 अनुबंध के तहत किया गया लेकिन कनेक्टिविटी के संचालक एवं नगर निगम के उपरोक्त अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नगर निगम को कई करोड़ की राजस्व हानि पहुंचाई गई इसके बाद कंपनी को ब्लैक लिस्ट में घोषित कर दिया गया जिससे नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई।
इसके अलावा उज्जैन नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर भी कमिश्नर की करवाई की गाज गिरी, जिनमें पियूष भार्गव ,सुबोध जैन, मनीष भावसार सहित कई निगम के अधिकारी शामिल हैं।
बहरहाल सिटी बस के अपने रूट से हटकर चलने के मामले में
विजय गोयल , प्रभारी उप महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड नगर निगम से संपर्क किया गया तब हमेशा की तरह विजय गोयल ने बस संचालक के खिलाफ अनुशासनात्मक करवाई करने का भरोसा दिया, इससे पहले भी विजय गोयल द्वारा कई नोटिस सिटी बस संचालक को दिए गए लेकिन करवाई के नाम पर नील बट्टा सन्नाटा,

इस मामले में उज्जैन आरटीओ संतोष मालवीय से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

नवागत निगम कमिश्नर रोशन कुमार सिंह को जब इस घटना की जानकारी दी गई तब उनका कहना है की सिटी बस से संबंधित अनियमितताओं और पूर्व कमिश्नर द्वारा दिए गए संबंधित भ्रष्टाचार में संलिप्त नगर निगम अधिकारियों को नोटिस की फाइल को तलब किया जाएगा और इस संबंध में आगे कारवाई की जाएगी, अब देखना यह है की उज्जैन नगर निगम कमिश्नर की कारवाही इन भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर भारी पड़ती है या बाहुबली निगम अधिकारी,निगम कमिश्नर पर।


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