
मोदी सरकार ने 2019 में और सुप्रीम कोर्ट ने दिया आज सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण
“आरक्षण आरक्षण व्यवस्था पर समीक्षा करना चाहिए ” सुप्रीम कोर्ट
आर्थिक आधार पर देश में आरक्षण अब आगे भी जारी रहेगा. चीफ जस्टिय यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच में से तीन जजों ने आरक्षण के पक्ष में अपना फैसला दिया है. जबकि दो जजों ने पर अपनी असहमति जताई है.व्यवस्था 2019 में यानी पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने लागू की थी और इसके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया गया था. 2019 में लागू किए गए ईडब्लूएस कोटा को तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके समेत कई याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए अदालत में चुनौती दी थी. आखिरकार, 2022 में संविधान पीठ का गठन हुआ और 13 सिंतबर को चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस रवींद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पादरीवाला की संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की.
सामान्य वर्ग में आने वाले सभी लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर ही आरक्षण का लाभ प्राप्त होगा यदि सामान्य वर्ग का व्यक्ति सालाना 8 लाख से कम आय प्राप्त करता है तो वह इसके योग्य माना जाएगा. ये आरक्षण केवल आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को ही मिलेगा.
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं CJI यू यू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट ने असहमति जताई।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला के बहुमत के अनुसार, आर्थिक मानदंडों के आधार पर आरक्षण संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं करता है। यह भी माना है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण 50% आरक्षण की सीमा का उल्लंघन संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है।
जस्टिस माहेश्वरी के बहुमत के फैसले ने कहा, “आरक्षण राज्य द्वारा सकारात्मक कार्रवाई का एक साधन है ताकि सभी समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। यह न केवल सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को शामिल करने के लिए एक साधन है। ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण 50% की उच्चतम सीमा के कारण बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है।”
विधेयक पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसे ऐतिहासिक बताया. उन्होंने लिखा, “संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में पास होना हमारे देश के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह समाज के सभी तबकों को न्याय दिलाने के लिए एक प्रभावी उपाय को प्राप्त करने में मदद करेगा.”
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2019 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण देने कब प्रस्ताव संसद में पारित किया था लेकिन इसे चुनावी शगुफा का कर इसका अन्य राजनीतिक दलों द्वारा विरोध किया गया था लेकिन आज चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस रवींद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पादरीवाला की संविधान पीठ ने 3-1से सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए 10% आरक्षण जारी रहेगा ।
