
डीएलपी के कागज़ी घोड़ों पर निर्भर है अब स्मार्ट सिटी
350 करोड़ रुपए का घटिया निर्माण कार्य मेंटेनेंस अब डीएलपी के कागजी घोड़ों पर निर्भर
उज्जैन, महाकाल लोक के लोकार्पण को अभी एक महीना भी नहीं हुआ है कि घटिया निर्माण कार्य के चलते महाकाल लोक में लगे पायदान ब्लॉक और ग्रेनाइट के पत्थर निकलने लगे हैं, प्रथम फेस के कार्यों में 97 करोड़ से शुरुआत करने वाली गुजरात की कंपनी एमपी बावरिया कब 200 करोड़ के पार पहुंच गई किसी को खबर नहीं लगी ,अंदर ही अंदर टेंडर को बढ़ा दिया गया , महाकाल लोक में एमपी बावरिया कंपनी ने अधिकारियों से सांठगांठ के चलते अपनी मोनोपोली बनाते हुए किसी अन्य कंपनी को महाकाल लोक में प्रवेश नहीं करने दिया, नतीजा यह हुआ की 1 महीने के बहुत छोटे से अंतराल के बाद महाकाल लोक का घटिया निर्माण कार्य उजागर हो रहा है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट महाकाल लोक में हुए निर्माण कार्य की भटाई करते नहीं थक रही थी,लेकिन इन सबके बीच एमपी बावरिया कंपनी के सभी अधिकारियों के फोन बंद हो गए हैं, कंपनी के अधिकारी महाकाल लोक को महाकालेश्वर मंदिर समिति एवं स्मार्ट सिटी को सौंप कर चले गए हैं जबकि महाकाल लोग के प्रथम फेस के कुछ कार्य अभी बाकी हैं जिसमें पार्किंग के सामने के रोड के कार्य सहित कई कार्य अभी बाकी है, लेकिन एमपी बावरिया कंपनी स्मार्ट सिटी उज्जैन को डीएलपी के भरोसे छोड़कर चली गई है, यहां डीएलपी का मतलब है डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड, 3 से 5 साल का यह पीरियड होता है जिसमें निर्माण करने वाली कंपनी अपने निर्माण कार्य में किसी प्रकार की कोई खराबी होती है तब उसे निर्माण कर्ता कंपनी द्वारा ठीक करवाया जाता है, लेकिन इसमें समस्या यह है की महाकाल लोक में अब जो भी निर्माण कार्य से संबंधित समस्याएं आ रही हैं तब स्मार्ट सिटी उज्जैन कागजी करवाई करते हुए निर्माण कार्य करवाने वाली कंपनी को पत्र के माध्यम से निर्माण कार्य में हुई खराबी से अवगत करावेगी, तत्पश्चात कंपनी के इंजीनियर समस्या का अवलोकन करेंगे और उसके बाद उसका निदान किया जाएगा, इसलिए डीएल पी के चलते कंपनी के नुमाइंदों को यहां रुकने की आवश्यकता नहीं है अब जो भी करवाई होगी वह सिर्फ कागजी माध्यम से होगी।
एमपी बावरिया कंपनी को टेंडर के माध्यम से लाभ पहुंचाने के भ्रष्टाचार मामले में जब से भोपाल लोकायुक्त में जांच का मामला शुरू हुआ है, तब से तीन आईएएस अधिकारियों समेत 15 अधिकारियों ने मीडिया से दूरी बनाते हुए फोन उठाना बंद कर दिया है।
बहरहाल महाकाल लोग के प्रथम चरण के 350 करोड़ का कार्य पूरा हुए अभी महज लगभग एक माह ही गुजारा है और घटिया निर्माण कार्य उजागर होना शुरू हो गया है ऐसे में स्पष्ट है कि करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन इन सबके बीच जहां जनता के करोड़ रुपए भ्रष्टाचार में स्वाहा हुए हैं उस महाकाल लोक के मेंटेनेंस के लिए स्मार्ट सिटी उज्जैन अब निर्माण कर्ता कंपनी एमपी बावरिया गुजरात से सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ाने तक ही मजबूर रहेगी, और इस भ्रष्टाचार की कितनी परतें अभी और खुलेगी यह देखना अभी बाकी है।
