
निगम चुनाव में जनता के करोड़ों रुपए लगे ,और पार्षद के नाम पर गिलास फोड़े बारह आना
इससे तो पार्षद नहीं चुनते तो अच्छा होता-उज्जैन की जनता
उज्जैन, नगर निगम चुनाव को चार महीने बीत चुके हैं, उज्जैन शहर के 54 वार्डों में जनता ने करोड़ों रुपए लगाकर चुनाव के माध्यम से अपने जनप्रतिनिधि नगर निगम में पार्षद के रूप में चुनकर भेजें लेकिन इसे उज्जैन की जनता की बदकिस्मती ही कहेंगे कि अपनी जीत की खुशी में पार्षद इतने मदमस्त हो चुके हैं कि कल जो वार्डों की गलियों में एक एक वोट के लिए जनता के सामने गिड़गिड़ा रहे थे, चुने जाने के 4 महीने बाद भी पार्षदों को अपने वार्डों में जनता को होने वाली समस्याओं की सुध लेने की फुर्सत नहीं है, आलम यह है कि पार्टी पर जनता ने भरोसा करके एक ऐसे व्यक्ति को भी अपना जनप्रतिनिधि बनाया जिसे कल तक कोई पहचानता नहीं था कई वार्डों में बाहर से प्रत्याशियों को एअरलिफ्ट करके लाया गया बावजूद इसके जनता ने पार्टी पर भरोसा करते हुए पार्षदों को चुना, लेकिन पार्षदों ने यह समझ लिया कि यह जीत उनके अपने बलबूते पर हुई है और वह अपनी जीत की खुशी में मदमस्त होकर जनता को भूल गए हैं और जनता की समस्याओं से तो ऐसा प्रतीत होता है, कि जनता की समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार ही नहीं है, ऐसे में कोरोना के चलते 2 साल से चुनाव नहीं होने के कारण जो अवस्थाएं नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते हो रही थी वही हाल आज भी बरकरार हैं, वार्डों में सफाई की अव्यवस्था ,आवारा पशुओं की समस्या, पानी की समस्या , जलभराव और गंदगी की समस्या आदि की समस्याएं पूर्ववत बनी हुई है ,ऐसे में स्पष्ट है कि नगर निगम चुनाव में उज्जैन की जनता ने करोड़ों रुपए खर्च करके पार्षद चुनकर गिलास फोड़े बारह आना किए हैं।
नगर निगम कर्मचारियों और पार्षदों की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली का एक मामला हाल ही में उजागर हुआ है, विद्यापति नगर में स्थित बगीचे एवं अन्य अव्यवस्थाओं के चलते स्थानीय रहवासियों ने नगर निगम अधिकारी विधु कोरव एवं कर्मचारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि जनता ने अपने चुने हुए जनप्रतिनिधि के पति एवम प्रतिनिधि गोपाल अंशु अग्रवाल को अपनी समस्याओं से अवगत कराने के बावजूद जनप्रतिनिधि ने न सिर्फ जनता की समस्याओं को अनसुना कर दिया बल्कि क्षेत्रवासियों के साथ बदसलूकी और बदजुबानी भी की, ऐसे में जनता का जन प्रतिनिधि चुनना निरर्थक साबित होता नजर आ रहा है, ऐसे में समय रहते संबंधित राजनीतिक दल इस प्रकार के जनप्रतिनिधियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है , उस स्थिति में उज्जैन की जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका प्रत्युत्तर उक्त राजनीतिक दल को दे सकती है, ऐसी स्थिति में आने वाले चुनाव में उस राजनीतिक दल को जनप्रतिनिधियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
बहर हाल उज्जैन की जनता को उस पार्टी की कार्यवाही पर नजर है जिस पर जनता ने विश्वास किया और एक अनजान एवं पैराशूट प्रत्याशियों को अपना जनप्रतिनिधि चुना और अब जनप्रतिनिधि अपनी जीत के घमंड के आगोश में डूबे हुए हैं और जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुई है ऐसे में जिम्मेदार पार्टियां इस प्रकार के जनप्रतिनिधियों पर क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई करती हैं यह देखने वाली बात होगी।
रही बात नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों की तो उज्जैन के नगर निगम अधिकारी एवं कर्मचारी सफेद पोश की सरपरस्ती में इतने मदहोश एवं बाहुबली हो चुके हैं कि उन्हें किसी नगर निगम कमिश्नर का अब कोई डर नहीं बचा है, जबकि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के सभी प्रशासनिक विभागों को सख्त चेतावनी दी है कि कहीं भी किसी भी विभाग की कोई भी खबर सामने आती है तब संबंधित विभाग द्वारा उस पर त्वरित कार्रवाई किया जाना चाहिए ,नहीं किए जाने पर उस विभाग के सक्षम अधिकारी जिम्मेदार होंगे, प्रदेश के मुखिया के सख्त आदेश के बाद प्रशासनिक अधिकारी लापरवाह कर्मचारी एवं भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं अब यह देखने वाली बात है होगी, ऐसा इसलिए है क्योंकि नगर निगम को सिटी बसों में करोड़ों रुपए का चूना लगाने के बाद तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता द्वारा दिए गए नोटिस के उपरांत भी भ्रष्टाचारी अधिकारियों का कोई बाल बांका भी नहीं कर पाया है और वह निगम की कुर्सी पर कई पदों के साथ फेविकोल लगाकर चिपके हुए हैं जबकि उन भ्रष्ट अधिकारियों को नोटिस देने वाले कमिश्नर की यहां से आनन-फानन में विदाई हो चुकी है ऐसे में नवागत निगम कमिश्नर इन कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई कर पाते हैं, एवं नगर के वार्डों में फैली अव्यवस्थाओं के निराकरण के लिए गैर जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारियों के रवेये मे बदलाव होता है यह आने वाला समय ही बताएगा।
