
नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों ने शहर को किया शर्मसार
क्या उज्जैन से तराना ,उज्जैन सिटी कहलाती है?,महापौर जी बताएं उज्जैन की जनता को
देवास गेट से नानाखेड़ा के बीच सिमटी स्मार्ट सिटी उज्जैन
उज्जैन,शहर के प्रथम नागरिक ने महिलाओं के लिए सिटी बस का सफ़र मुफ्त किया, इसे एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा रहा है लेकिन नवागत महापौर को अभी यह ज्ञात नहीं है शायद, कि उज्जैन शहर में, माफ कीजिएगा “स्मार्ट सिटी ” उज्जैन शहर में मात्र एक सिटी बस चल रही है, वह भी नानाखेड़ा से देवास गेट के बीच, सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी के बीच, अब महापौर को यह कौन बताए की नगर निगम उज्जैन के भ्रष्ट अधिकारियों ने उज्जैन नगर निगम को दीमक की तरह खोखला कर दिया है, नगर निगम में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी को 25 सिटी बसों को चलाने का टेंडर दिया गया था, इन सभी सिटी बसों को नगर निगम को चलने लायक की स्थिति में मेंटेनेंस करा कर टेंडर धारी कंपनी को देना था और बदले में महज ₹85 प्रतिदिन,प्रति बस के हिसाब से टेंडर धारी कंपनी नगर निगम को देगी, लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई सिटी बस इतनी भंगार स्थिति में थी कि मेंटेनेंस का खर्च भी खोखला नगर निगम उठाने की स्थिति में नहीं था, जिसके चलते नगर निगम की सिटी बसों को टेंडर धारी कंपनी नियम विरुद्ध जाकर मेंटेनेंस खर्च वहन करते हुए सिर्फ 10 बसें चलाने के लिए सहमत हुआ लेकिन सिटी बसों की हालत इतनी गंभीर थी कि टेंडर धारी कंपनी 10 बसों का मेंटेनेंस भी नहीं कर पाई और महज 6 सिटी बसें चलाई गई , यहां सिटी बस संचालन कंपनी और नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के बीच गहरी सांठगांठ हुई और 6 में से 5 सिटी बसें शहर में न चलाकर उज्जैन से तराना, उज्जैन से शाजापुर रूट पर चलाई गई, जिसके चलते उज्जैन शहर वासियों को सिर्फ एक सिटी बस नसीब हुई और वह भी देवास गेट से नानाखेड़ा के बीच, अब महापौर को यह कौन बताए कि उज्जैन से शाजापुर और उज्जैन से तराना के बीच चल रही सिटी बसें, सिटी बसें होकर भी ये ग्रामीण क्षेत्रों में क्यों चल रही हैं और शहर की जनता को सिटी बसों से वंचित क्यों ,और किसकी वजह से रखा जा है?
बता दें कि नगर निगम के बाहुबली भ्रष्टाचारी अधिकारियों का आलम यह है कि खुद नगर निगम आयुक्त द्वारा सिटी बसों में नगर निगम के अधिकारियों द्वारा नगर निगम को ढाई करोड़ रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने का जिम्मेदार ठहराने वाले तीन अधिकारियों सुनील जैन ,विजय गोयल और पवन लोढ़ा को नोटिस देने के बाद भी नगर निगम के यह सफेदपोश सरपरस्ती वाले बाहुबली नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी आज भी नगर निगम में अपने पद के साथ कई और प्रभारों के साथ विराजमान है जबकि नोटिस देने वाले आयुक्त की विदाई हो चुकी है।
उज्जैन के प्रथम नागरिक महापौर मुकेश टटवाल को उज्जैन शहर की महिलाएं, स्मार्ट सिटी उज्जैन में देवास गेट से नानाखेड़ा फ्री सफर कराने के लिए धन्यवाद देती है, लेकिन दूसरी और यह बड़े शर्म की बात भी है की इतने बड़े शहर में महज एक सिटी बस चल रही है , महापौर जी जरा एक बार नगर निगम के अंदर नगर निगम के बाहुबली भ्रष्ट अधिकारियों की कारगुजारी को भी देखें जहां उज्जैन में महज कुछ वर्ष पूर्व ही 100 सिटी बसें हुआ करती थी, उन सब सिटी बसों के आज नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों ने कलपुर्जे तक बेच खाए हैं ,भंगार अवस्था में नगर निगम के वर्कशॉप में रखी इन सिटी बसों में से लाखों रुपए के कलपुर्जे जिनमें टायर, बैटरी ,इंजिन का सामान आदि गायब हो चुके हैं , जहां टायर की बजाए ईंट पत्थरों के बल पर सिटी बसें खड़ी हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
बहर हाल महापौर उज्जैन ने शहरवासी महिलाओं को 3 किलोमीटर की मुफ्त बस सेवा का दिवाली उपहार दिया है, अब जरूरत इस बात की है कि महापौर अपने नगर निगम के गिरेबान में झांक कर देखें और इन भ्रष्ट अधिकारियों की कारगुजारी के लिए पूर्व निगम अध्यक्ष की तरह भरी सभा में से इन भ्रष्ट अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाएं और इन पर आवश्यक कार्यवाही करें।
