
क्या महाकाल लोक के भ्रष्टाचारी प्याज के छिलकों के अंदरूनी भाग में “नेता नगरी ” निकल सकती है?
भाजपा सरकार के सामने ,चंद अफसरों पर करोड़ों के घोटाले की गिरी गाज
प्रथम दृष्टया तो अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं,आगे लोकायुक्त जांच में और भी चेहरे सामने आ सकते हैं- महेश परमार
उज्जैन, मध्यप्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर करोड़ों रुपए के कई घोटाले करने का आरोप लगाया था जिनमें से सिंहस्थ घोटाला प्रमुख था, जिसकी जांच करके कुछ खुलासा कर पाती उसके पहले ही कमलनाथ सरकार मध्य प्रदेश से जाती रही, महाकाल कॉरिडोर योजना की शुरुआती घोषणा कमलनाथ सरकार के समय हुई थी समय बीतने और सरकार बदलने के बाद महाकाल कॉरिडोर का नाम और योजना का स्वरूप बदल गया , महाकाल लोक के प्रथम चरण के पूर्ण होने के बाद घोटालों की शुरुआत भी हो चुकी है जिसकी आंच अभी चंद अधिकारियों पर लग रही है लेकिन पूरी मध्य प्रदेश सरकार के सामने चंद अफसर करोड़ों रुपए का घोटाला कर दें,नेता नगरी की सरपरस्ती के बगैर,ऐसा कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि तराना विधायक महेश परमार ने अंदेशा जताया है कि अभी प्रथम दृष्टया महाकाल लोक में टेंडर प्रक्रिया में अफसरों ने घोटाला किया है, ऐसा प्रतीत होता है अब लोकायुक्त की जांच होने पर पूरे घोटाले की परत दर परत खुलेगी और उसमें भाजपा सरकार के कई मंत्रियों के शामिल होने की आशंका है।
प्रधानमंत्री के द्वारा महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद उज्जैन जिले के तराना तहसील विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज़ कराई थी कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर एक ठेकेदार को वित्तीय लाभ पहुंचाया है, इसमें करोड़ रुपए का घोटाला होने का अंदेशा जताया जा रहा है,इसके बाद लोकायुक्त ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर 28 अक्टूबर तक जवाब देने के लिए कहा है।
मध्यप्रदेश लोकायुक्त संगठन ने आरोप प्राथमिक जांच में सही पाए हैं। इस आधार पर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह समेत तीन आईएएस अफसरों और 15 लोगों को नोटिस जारी किया है।
श्री महाकाल लोक निर्माण में अनियमितता के मामले में लोकायुक्त संगठन ने उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन समार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ क्षितिज सिंह और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा है।इसके अलावा उज्जैन स्मार्ट के निदेशक सोजन सिंह रावत, दीपक रत्नावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिम्हा राव पांडुरंगी, मुख्य परिचालन अधिकारी आशीष पाठक, तत्कालीन मुख्य परिचालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान शामिल है। इसके अलावा अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया गया है।
आपको बता दें कि इससे पूर्व महाकाल लोक लोकार्पण की तैयारियों के समय मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की पत्रकार वार्ता में पत्रकारों द्वारा महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार के बारे में कैबिनेट मंत्रियों से सवाल किया था, तब कैबिनेट मंत्रियों ने महाकाल लोक में भ्रष्टाचार को सिरे से नकार दिया था।
गौरतलब है कि महाकाल लोक के प्रथम फेज के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप में निम्न गुणवत्ता की पार्किंग का निर्माण किया गया, ठेकेदार के गलत बिलों को पास किया गया,बिलों को बिना जांच के पास कर दिया गया।
कांग्रेस विधायक महेश परमार की शिकायत में इन बिंदुओं पर आरोप लगाए
1. टेंडर में न्यूनतम निविदाकार होने के बाद भी एमपी बाबरिया को काम दिया। स्मार्ट सिटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंशुल गुप्ता ने ठेकेदार को करीब एक करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ पहुंचाया।
2. टेंडर के मुताबिक, जीआई शीट लगानी थी, जिस पर 22 लाख का खर्च होना था। ठेकेदार ने इसकी जगह पॉली कार्बोनेट की शीट लगाई। यह अतिरिक्त आइटम जोड़ा गया। पॉली कार्बोनेट शीट की एसओआर दर 3105 रुपए प्रति वर्गमीटर है, जबकि बाजार दर 808 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। इस प्रकार ठेकेदार को 91 लाख का अनुचित फायदा मिला।
3. ऐसे ही अन्य आयटम बदले गए। कुल टेंडर 3.62 करोड़ रुपए का था, जो करीब सवा करोड़ तक बढ़ गया। सोलर निर्माण कार्य में ड्राइंग और डिजाइन बदला गया।
महाकाल लोक का निर्माण दो चरणों में किया जा रहा है। इस पर दोनों चरणों में 856 करोड़ रुपए खर्च का बजट है। इसमें प्रथम चरण में 316 करोड़ से प्रथम चरण का काम पूरा हो गया है
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘‘भ्रष्टाचार, घोटाले, फर्जीवाड़े। यह शिवराज सरकार का अभिन्न अंग बन चुका है, अब उज्जैन के ‘महाकाल लोक’ के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की खबरें, बेहद चिंताजनक हैं ,इन खबरों से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।’’
बहर हाल हाल ही में महापौर का चुनाव हारने का दंश झेलने वाले तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार के द्वारा महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत के आधार पर लोकायुक्त संगठन ने प्रारंभिक जांच शुरू करते हुए 3 आईएएस अधिकारियों समेत 15 प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगे हैं लेकिन महाकाल लोक में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार के गुलाल का रंग सिर्फ 15 अधिकारियों तक की सीमित रहेगा या इस गुलाल के रंग में मध्य प्रदेश सरकार की नेता नगरी भी रंगी हुई नजर आएगी यह तो लोकायुक्त की निष्पक्ष जांच के करने पर ही पता चल पाएगा।
