क्या रसूखदार लोगों की ही सुनती है पुलिस

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क्या रसूखदार लोगों की ही सुनती है पुलिस
कैलाश खेर के ड्रम वादक का मोबाइल चंद घंटों में ढूंढ निकाला जबकि आम लोगों की कोई सुनवाई नहीं


उज्जैन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्तिक मेला ग्राउंड पर हुई आमसभा के दौरान चोर गिरोह सक्रिय रहा चोरों ने मोबाइल पर्स समेत सो वारदातों को अंजाम दिया जिसमें करीब 43 मोबाइल और पर्स आदि पर चोरों द्वारा हाथ साफ किया गया लेकिन कैलाश खेर के ड्रम वादक संकेत पिता दिलीप नाइक का करीब 1 लाख 70 हजार कीमत का मोबाइल पुलिस ने चंद घंटों में ही ढूंढ निकाला लेकिन बाकी के मोबाइल एवं पर्स चोरी करने वाले वारदातीयों को पुलिस ढूंढने में अबतक असफल रही है, इससे स्पष्ट होता है कि पुलिस की गिरफ्त से किसी भी चोर का बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है लेकिन चोरी की वारदात किसके साथ हुई है यह उस पर निर्भर करता है अगर कोई रसूखदार चोरों की वारदात का शिकार हुआ है ऐसे में चोर को पकड़ना पुलिस के लिए दाएं हाथ का खेल है जबकि किसी आम व्यक्ति के साथ अगर कोई चोर वारदात करता है ऐसे में चोर पुलिस के हाथों की पहुंच से कई महीनों कई सालों तक दूर रहता है कभी-कभी तो रिपोर्ट लिखाने के बाद आम व्यक्ति अपने साथ हुई चोरी की वारदात को भूलने पर विवश हो जाता है, ऐसे में पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगना लाजमी है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आम सभा कोई साधारण आम सभा नहीं थी जिसमें पूरी आमसभा के चप्पे-चप्पे पर पुलिस और एसपी जी की पैनी नजर बनी हुई थी पुलिस के जवानों द्वारा सैकड़ों की संख्या में कैमरों से वीडियो एवं फोटो लिए जा रहे थे और लगभग प्रत्येक व्यक्ति इस कैमरे में कैद हुआ बावजूद इसके शातिर चोरों ने मोदी जी की आम सभा में लगभग 100 वारदातें की ऐसे में प्रश्न यह है कि चोर एवं संदिग्ध व्यक्ति पुलिस के कैमरों से कैसे बच गए और महाकाल थाना एवं उज्जैन पुलिस सहित पूरे मध्यप्रदेश से आई पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों की नजर से सैकड़ों की तादाद में आए चोर इनकी आंखों में कैसे धूल झोंक गए, और सवाल यह भी है कि पुलिस ने महज कुछ घंटों में ही कैलाश खेर के ड्रम वादक संकेत नाइक का मोबाइल कैसे ढूंढ निकाला, संकेत नायक के मोबाइल चुराने वाले राजस्थान के पाटन के निवासी गोविंद सोनी को पुलिस ने चंद घंटों में धर दबोचा और दूसरे दिन पेश करके भेरूगढ़ जेल में भी भेज दिया , इसी आमसभा में उज्जैन के वरिष्ठ पत्रकार उमेश चौहान का 50 हजार का मोबाइल पर भी चोरों ने हाथ साफ किया लेकिन 3 दिन के बाद भी पुलिस के पास चोरों का कोई सुराग नहीं है ऐसे में पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगना लाजमी है।
<span;>बहर हाल पुलिस के आला अधिकारी पत्रकार उमेश चौहान के मोबाइल को ढूंढ निकालने का दिलासा दे रहे हैं लेकिन इस दिलासे को सार्थकता में बदलने कितना समय लगेगा कहना मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि पुलिस की मर्जी के बगैर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता है और कौन सा चोर किस किसम की वारदात करता है यह भी पुलिस को अच्छी प्रकार से ज्ञात होता है चोरों की भी अलग-अलग वैरायटी होती है जिनकी अपनी अपनी शैली में महारत हासिल होती है मोबाइल, पर्स, चैन स्नैचिंग साइकिल , मोटरसाइकिल कार, घरों में चोरी करना आदि कई प्रकार के अलग-अलग सेगमेंट होते हैं एक प्रकार के सेगमेंट में एक प्रकार का ही चोर काम करता है सभी प्रकार की चोरियों में अलग-अलग चोर गिरोह होते हैं और इन्हें इनके सेगमेंट में महारत हासिल होती है और इन सभी सेगमेंट में काम करने वाले चोरों की पुलिस को अच्छी प्रकार से पहचान होती है इसीलिए किसी भी वारदात के बाद पुलिस की टीम उसी प्रकार के चोरों की धरपकड़ करके वारदात करने वाले चोरों की पहचान कर लेती है, बस जरूरत पुलिस के काम करने की इच्छा शक्ति होती है।


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