क्या आए और क्या चल दिए  मोदी जी, आप रुकते तो आपको ,उज्जैन दर्शन कराते मोदी जी

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क्या आए और क्या चल दिए, मोदी जी
जरा उज्जैन शहर का एक दफा हाल तो देख जाते ,मोदी जी
आप रुकते तो आपको उज्जैन दर्शन कराते, मोदी जी
चलो हमारी पाती से उज्जैन का हाल बताएं ,मोदी जी
मैली क्षिप्रा से आचमन करके देखते तो ज़रा ,मोदी जी
नेता नगरी करोड़ों रुपए शुद्धिकरण के नाम पर डकार गए हैं, मोदी जी
काश ,गंगा की तरह क्षिप्रा का भी शुद्धीकरण करा देते, मोदी जी
टाटा के भंगार प्रोजेक्ट को एक नज़र तो देख जाते ,मोदी जी
उज्जैन शहर की सड़कों के हाल बेहाल तो देख जाते मोदीजी
तिलक लगाकर “युवा” दिखे स्मार्ट ,पर जेब से स्मार्ट नहीं दिखे हैं ,मोदी जी
राजनीति की बलि चढ़कर शुन्य हुआ उद्योग उज्जैन का,
उद्योगों की बलि चढ़ाकर खुद अरबपति हो गए हैं ये ,मोदी जी
काम धंधे के पते नहीं हैं, दर-दर भटक रहा है युवा यहां का, मोदी जी
राजनीति ने मेडिकल के मेडी-कल दो भाग कर दिए हैं, मोदी जी
भू माफिया बहुतेरे हैं यहां पर ,
सिंहस्थ की जमीन ये हड़प रहे हैं, मोदी जी
ना बाबा की सुने ना साधु की, राधा के संग मोहन, यहां रास रचावे ,मोदी जी
सत्यनारायण की पूजा की, मोहन भोग भी लगाया, फिर भी पारस से सोना हम नहीं बना पाए , मोदी जी
कमल का कोरिडोर कहूं या शिव का महाकाल लोक, दिखने में सब एक जैसी मुरत लगते हैं, मोदी जी
बाग बगीचों से पेट नहीं भरता है, मांगे यहां का युवा दो जुन की रोटी, मोदी जी
भ्रष्टाचार के 100 मुख हैं जहां, ऐसा नरक निगम तो देख जाते, मोदी जी
आवारा मवेशी घूम रहे शहर में मक्कारी करते हैं अधिकारी यहां के, मोदी जी
पत्रकारिता ने स्वरूप धरा है भाट का, अपनों के दुश्मन अपने ही बने हैं ,अब क्या बतलाएं मोदी जी
एक इंटरव्यू गर मिल जाए मुझे तो, मैं भी “नायक” बन जाऊं, मोदी जी
पूरा उज्जैन दर्शन कराया है आपको ,अब किस मुंह से स्मार्ट कहूं मैं खुद को, मोदी जी
कैलाश कहलाता थी उज्जैन कभी, अब शमशान की नगरी कहलाती है ,मोदी जी
कोरा कागज ही रह गया मेरा उज्जैन, अब आपको क्या बतलाऊं, मोदी जी
क्या आए और क्या चल दिए, उज्जैन शहर का भ्रमण कर उज्जैन रूपी अहिल्या का उद्धार कर जाते ,मोदी जी

मनोज उपाध्याय
पत्रकार


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