सूबे के मुखिया से भी  ख़ौफ़ज़दा नहीं हैं, नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी

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सूबे के मुखिया से भी  ख़ौफ़ज़दा नहीं हैं, नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी

पूरी मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन में, लेकिन आवारा मवेशी शहर में आम दिनों की तरह चहल कर्मी करते दिखे
उज्जैन, कहने को यह सिर्फ एक कहावत है कि कुत्ते की पूंछ टेढ़ी ही रहती है उसका किसी भी परिस्थिति में सीधा होना या करना संभव नहीं है लेकिन किसी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी इस कहावत को साकार करके भी दिखा सकते हैं यह किसी ने देखा या सोचा नहीं होगा, अर्थात कुछ ऐसे विभाग हैं जहां कार्य करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की कार्यशैली लाख प्रयत्न करने के बाद भी बदल पाना नामुमकिन है।
मध्य प्रदेश सरकार की पूरी कैबिनेट आज भोपाल नहीं बल्कि उज्जैन में थी और यहां सुबह के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अपने तमाम मंत्रियों के साथ कैबिनेट की बैठक ली, इन सबके बीच में ताज्जुब की बात यह है कि स्मार्ट सिटी उज्जैन  में इसका कोई असर नहीं दिखाई दिया, पूरा शहर सामान्य दिनों की तरह दिखाई दिया यहां तक की उज्जैन शहर के आवारा मवेशी गाय ,कुत्ते, सूअर सामान्य दिनों की तरह शहर में चहल कर्मी करते दिखाई दिए, वहीं नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यशैली मैं भी कोई परिवर्तन नहीं दिखा ना तो आवारा मवेशियों को पकड़ने की कोशिश की गई यह जानते हुए कि मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया अपने कैबिनेट के साथ उज्जैन शहर में मौजूद हैं, ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली स्पष्ट दिखाई देती है।
 यह हम मान सकते हैं कि पशु तो पशु ही होते हैं उन्हें इतना भान नहीं होता है  कि शहर में पूरी मध्य प्रदेश सरकार आई हुई है और ऐसे में शहर में निकलने से परहेज किया जाना चाहिए लेकिन निगम के प्रशासनिक नुमाइंदों की कार्यशैली भी इतनी लापरवाही एवं गैर जिम्मेदाराना होगी कि प्रदेश के मुखिया पूरी कैबिनेट के साथ शहर में मौजूद रहे लेकिन बावजूद इसके शहर से आवारा मवेशी हटाने की ज़हमत और गुस्ताखी निगम अधिकारी एवं कर्मचारी नहीं कर पाए, आलम यह रहा कि आम दिनों की तरह पूरे शहर के गलियों और चौराहों पर आवारा मवेशी हमेशा की तरह चहल कर्मी करते दिखाई दिए।
यह बात और है कि शहर में इन आवारा मवेशियों के कारण कई हादसे रोज होते हैं और उज्जैन की जनता इनके चलते रोज समस्याओं से रूबरू होती है, इन्हीं आवारा मवेशियों की वजह से सड़कों पर एक्सीडेंट होते हैं, कई आवारा मवेशी सड़क चलते राहगीरों को घायल कर देते हैं, शहर में बड़ी तादाद में आवारा कुत्ते, जोकि सैकड़ों लोगों को रोज अपना शिकार बनाते हैं ,वहीं शहर की कालोनियों में अगर मध्य प्रदेश सरकार भ्रमण करती है तो सूअरों के परिवारों ने शहर की कॉलोनियों एवं खाली प्लांटों पर कब्जा जमा लिया है जहां वह अपनी जनसंख्या की वृद्धि बड़ी तेजी से कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में हम कह सकते हैं कि नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी गंभीरता से अपने कार्यक्षेत्र में काम करके अपने कर्तव्य का निर्वाहन कर रहे हैं।
 जैसा कि मध्य प्रदेश सरकार को  ज्ञात है कि अब नगर निगम उज्जैन में सभी वार्ड  पार्षदों से सुसज्जित एवम ,महापौर एवं निगम अध्यक्ष भी विराजमान हो चुके हैं लेकिन आलम यह है कि शहर की व्यवस्थाओं में  किसी प्रकार का कोई बदलाव इनके होने ना होने से नहीं दिखाई दे रहा है।
बहर हाल इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि नगर निगम उज्जैन  के पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है, ऐसे में स्पष्ट है कि सूबे के मुख्यमंत्री एवं कैबिनेट से निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी तो खोफज़दा नहीं है लेकिन अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री के आगमन पर भी शहर में यही नजारा दिखेगा? या इसमें कोई परिवर्तन होगा , इस परिदृश्य को देखकर  हम यह कह सकते हैं कि शहर में मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट तो क्या साक्षात प्रधानमंत्री जी भी पधार जाएं तब भी इस पूंछ का सीधा होना संभव नहीं दिखता, क्योंकि उज्जैन नगर निगम की बाबा महाकाल के दरबार में भी कितनी मजबूत पकड़ है यह जग जाहिर है।


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