


नोटिस पर नोटिस कार्यवाही के नाम पर ज़ीरो बटा सन्नाटा
उज्जेन,नगर निगम के अधिकारियों द्वारा निगम को 2.48 करोड़ की राजस्व हानि पहुंचाने के मामले में निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता द्वारा निगम के अधिकारियों को नोटिस दिया था लेकिन 2 महीने बीत जाने के बाद भी निगम अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है इससे स्पष्ट है कि निगम कमिश्नर के द्वारा जारी किए गए नोटिस को निगम के अधिकारी हवा में उड़ा रहे हैं और मातहतों के संवरक्षण के चलते निडर होकर निगम की कुर्सी पर चिपके हुए हैं और खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं जिसे निगम के आला अधिकारी नोटिस देकर मुख दर्शक बनकर देख रहे हैं।
और तो और निगम की सिटी बसें शहर के विभिन्न स्थानों पर लावारिस हालत में पड़ी हैं,ज्यादातर सिटी बसें इंदौर रोड पर डी मार्ट के पीछे पड़ी रहती हैं, विश्वस्त सूत्रों से जानकारी है कि यहां टेंडर हितग्राही कंपनी का ऑफिस है जबकि नियमानुसार सिटी बसों को नगर निगम के अधिकारियों की निगरानी में हर शाम को निगम के वर्कशॉप में खड़ा किया जाना चाहिए।
ज्ञात रहे कि नगर निगम सिटी बस मामले में हुए भ्रष्टाचार की काली किताब का पन्ना उज्जैन नगर निगम के सिंघम के नाम से जाने जाने वाले निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता ने खोल दिया ,जिसके तहत उज्जैन सिटी बस संचालन और संधारण के मामले में कई अनियमितताओं के चलते नगर निगम के अधिकारियों ने ही नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई , जिसके चलते मामले की छानबीन करते हुए निगम कमिश्नर ने नगर निगम के 3 अधिकारियों को लगभग ढाई करोड़ से अधिक की राजस्व हानि नगर निगम को पहुंचाने का जिम्मेदार माना है, जिसके तहत नगर निगम के तीनों अधिकारियों को निगम कमिश्नर ने नोटिस थमाया ।
गौरतलब है कि नगर निगम की सिटी बसों का संचालन एवं संधारण करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से तीन अधिकारियों सुनील जैन , प्रभारी महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड नगर निगम , विजय गोयल , प्रभारी उप महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड नगर निगम, पवन कुमार लोढ़ा, प्रभारी सहायक महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लमिटेड नगर निगम को सौंपी गई थी, सिटी बस के संचालन और संधारण में कई अनियमितताएं उपरोक्त तीनों अधिकारी द्वारा की गई ऐसा पाया गया है जिसके चलते नगर निगम उज्जैन को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई ।
दरअसल नगर निगम को 89 सिटी बसें जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन योजना के तहत मिली थी इसका संचालन अर्थ कनेक्टिविटी द्वारा 2015 अनुबंध के तहत किया गया लेकिन कनेक्टिविटी के संचालक एवं नगर निगम के उपरोक्त अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नगर निगम को कई करोड़ की राजस्व हानि पहुंचाई गई इसके बाद कंपनी को ब्लैक लिस्ट में घोषित कर दिया गया जिससे नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई, वर्तमान में सिटी बसों के हालात यह है कि 89 सिटी बसों में से 10 सिटी बस भी चलने की हालत में नहीं है बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखते हुए नगर निगम के अधिकारियों ने विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी को 25 सिटी बसें चलाने का टेंडर पास कर दिया लेकिन हालात यह है कि 25 में से 10 सिटी बस भी चलने की हालत में नहीं है शुरुआती दौर में 5 से 6 सिटी बस संचालन कंपनी द्वारा शुरू की गई जिस में भी अनियमितताएं की गई सिटी बस शहर में ना चल कर ग्रामीण क्षेत्रों में चलाई जा रही है।
बहर हाल नेशनल लाइव ने उक्त मामले को प्रमुखता से खबर के माध्यम से उठाया था जिस पर नगर निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता ने मामले की जांच कर उपरोक्त नगर निगम अधिकारियों को मामले में दोषी पाया और उक्त तीनों अधिकारियों को नगर निगम कमिश्नर द्वारा नोटिस जारी किया गया है लेकिन इस मामले में निगम कमिश्नर द्वारा भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों को नोटिस दिए को 2 माह बीत चुके हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा नजर आ रहा है अब देखना यह है कि निगम कमिश्नर भ्रष्टाचार में संलिप्त निगम अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं या ऐसे ही निगम कमिश्नर के नोटिसों को निगम के भ्रष्ट अधिकारी हवा में उडाते रहेंगे ,आगे क्या कार्रवाई होती है इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

