
उज्जैन की 27 जनरल सीटो पर भाजपा-कांग्रेस ने उतारें 27 ओबीसी और मुस्लिम उम्मीदवार !
भाजपा ने 11 और कांग्रेस ने 16 ओबीसी और मुस्लिम प्रत्याशी उतारें, सामान्य वर्ग में आक्रोश !
उमेश चौहान ✍🏻✍🏻
उज्जैन । चुनाव के प्रारंभ से ही रिजर्वेशन को लेकर हलाकान मचा हुआ है, पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश जारी किए गए तो शिवराज सरकार ने ताबड़तोड़ सुप्रीम कोर्ट की दबल बेंच में जाकर फैसला बदलवाया और चुनाव में 27%ओबीसी आरक्षण रखने का निर्णय हुआ जिसके बाद पुरे प्रदेश में जमकर हंगामा मचा, शिवराजसिंह चौहान ने कोर्ट के इस फैसले को अपनी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि तक बता दिया तो वहीं कमलनाथ ने फैसले का स्वागत करते हुए शिवराज सरकार पर सर्वे में देरी के आरोप लगाए, खैर जैसे तैसे ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का निर्णय हुआ और जल्दबाजी में आरक्षण भी बदले गए, कहीं ओबीसी की सीटें बढ़ी तो कहीं कम हुई । उज्जैन में करीब 15 सीटें ओबीसी और 12
सीटें अनुसूचित जाति जनजाति हेतु आरक्षित की गई शेष 27 सीटें अनारक्षित है जिस पर कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ने का कानूनी रूप से हकदार है लेकिन उक्त सीटों को सामान्य वर्ग ने अपने लिए आरक्षित मानते हुए दोनों ही दलों को चेतावनी दी कि अनारक्षित सीटो पर यदि किसी भी रिजर्व केटेगिरी के व्यक्ति को चुनाव लड़वाया गया तो अच्छा नही होगा, सामान्य वर्ग का हर व्यक्ति इसका पुरजोर विरोध करेगा और जरूरत पड़ी तो निर्दलीयों को मैदान में उतारा जाएगा बावजूद इसके दोनो ही पार्टियों ने उक्त चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए अनारक्षित सीटो पर थोक बंद ओबीसी एवं मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतार दिए है , क्षेत्रीय सामाजिक समीकरणों एवं वार्ड में सशक्त उम्मीदवार की दावेदारी को देखते हुए भाजपा-कांग्रेस ने नगर की 27 जनरल सीटो पर करीब 27 ओबीसी और मुस्लिम समाज के प्रत्याशियों को टिकिट दे दिया है जिसमें से 11 टिकिट भाजपा ने दिए है तो वहीं 16 टिकिट कांग्रेस ने भी दे दिए है । भाजपा द्वारा जनरल सीटो पर वितरित किये गए 11 टिकिटों में से 8 टिकिट ओबीसी को दिए गए है जबकि 3 टिकिट मुस्लिम समाज को दिए गए है वहीं कांग्रेस इस मामले में भाजपा से एक कदम आगे निकली उसने 27 में से 16 सीटों पर ऐसे टिकिट दिए है जिनमें से 12 ओबीसी वर्ग के है और 4 मुस्लिम है । हिंदुत्व का दम भरने वाली भाजपा के टोटल 5 मुसलमानों को टिकिट दिए है वहीं कांग्रेस ने 7 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारें है । आईये जानते है किन जनरल सीटों पर किन ओबीसी और मुस्लिम प्रत्याशियों को दोनो पार्टियों ने अवसर दिया है ।
भाजपा के दावेदार
*वार्ड 05 – दिलीप परमार*
*वार्ड 10 – गब्बर भाटी*
*वार्ड 13 से हाजी रियाज कुरैशी*
*वार्ड 25 – योगेश्वरी राठौर*
*वार्ड 30 – इलियास खानम*
*वार्ड 31 – सलमा फारूख शेख*
*वार्ड 34 – भारती विजय चौधरी*
*वार्ड 36 – दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी*
*वार्ड – 47 – दिव्या नरेश बलवानी*
*वार्ड 50 – नविता विकास मालवीय*
*वार्ड – 52 – दीपिका राव*
कांग्रेस के प्रत्याशी …
*वार्ड – 5 – आंनद सुरेश देसवाली*
*वार्ड – 6 – तबरेज असगर खान*
*वार्ड – 7 – ललित मीणा*
*वार्ड – 9 – सपना सांखला*
*वार्ड 10 – राहुल भाटी*
*वार्ड -12 – छोटेलाल मंडलोई*
*वार्ड -13 – इमरान यूसुफ खान*
*वार्ड -19 – पूनम मोहित जायसवाल*
*वार्ड – 29 – शैलेन्द्र यादव*
*वार्ड – 30 – नजमा पठान*
*वार्ड – 31 नादिया सादिक कुरेशी*
*वार्ड – 34 – कुंदन माली*
*वार्ड – 35 – अशोक उदयवाल*
*वार्ड – 36 – शिवानी लक्ष्मण मीणा*
*वार्ड – 47 – सुभाष यादव*
*वार्ड – 48 – रामकुंवर हरिओम पोरवाल*
नोट :- जानकारी सूत्रों एवं रिकार्डो के आधार पर है, त्रुटि के लिए अवंतिका दर्पण जिम्मेदार नही है ।
सामान्य वर्ग में फैल रहा आक्रोश ..
भाजपा-कांग्रेस द्वारा बड़ी संख्या में जनरल सीटों पर दूसरी समाजो के व्यक्तियों को प्रतिनिधित्व दिए जाने से सामान्य वर्ग के हर व्यक्ति के मन मे टीस और आक्रोश देखा जा रहा है, जहां पार्टियों के पास अच्छे सामान्य चेहरे थे वहां भी पार्टियों ने सामान्य वर्ग की उपेक्षा कर दी है, उज्जैन दक्षिण के एक मात्र ब्राह्मण अविजित चेहरे संतोष व्यास को भी भाजपा ने नजरअंदाज कर दिया जिसके चलते उन्हें वार्ड 48 से निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ रहा है, ऐसे कई वार्ड है जहां ब्राह्मण क्षत्रिय और जैन समाज बड़ी संख्या में है लेकिन यहां भी दोनो पार्टियों ने ओबीसी कार्ड खेल लिया है, जिसे लेकर सामान्य वर्ग बेहद नाराज नजर आ रहा है कुछ ने तो अपनी नाराजगी सोशल मीडिया पर जाहिर करना शुरू भी कर दिया है वहीं कुछ में अंदर ही अंदर आक्रोश पनप रहा है जो मतदान रूपी लावे में बदल सकता है और सामान्य वर्ग के निर्दलीय प्रत्याशियों को इसका लाभ मिल सकता है क्योंकि विगत कुछ वर्षों से राजनीति ने एक बड़े जातिवाद के रूप में जन्म ले लिया है जिसका परिणाम तो पार्टियों को भुगतना ही पड़ेगा। हालांकि अधिकांश वार्ड ऐसे है जहां दोनो ही पार्टियों ने ओबीसी और मुस्लिम को टिकिट दिया ऐसी स्थिति में सामान्य वर्ग के लोगो के सामने धरम संकट भी खड़ा हो गया है कि वो किसे चुने ।
