मंत्री जी की कृपा से उज्जैन में सिंहस्थ समाप्त हो जाएगा-महंत हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद 

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मंत्री जी की कृपा से उज्जैन में सिंहस्थ समाप्त हो जाएगा-महंत हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
सिंहस्थ के अस्तित्व पर संकट,भू माफिया बन रहे हैं वजह
साधु संतों ने सिंहस्थ का बहिष्कार करने की चेतावनी दी
2028 सिंहस्थ उज्जैन नहीं लगेगा अगर सिंहस्थ भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं किया -अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
उज्जैन , अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी जी महाराज, महामंत्री हरि गिरि जी महाराज सहित कई संतों ने शनिवार को बड़नगर रोड स्थित निरंजनी अखाड़ा परिसर में पत्रकारों से सिंहस्थ भूमि पर बढ़ते अतिक्रमण पर अपने तीखे स्वरों में इसका विरोध किया और यह चेतावनी दी कि सिंहस्थ भूमि पर बढ़ते अतिक्रमण का स्थाई हल नहीं निकाला गया तब ऐसे में 2028 का सिंहस्थ लगना संभव नहीं होगा
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज ने बड़े तीखे शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा की उज्जैन के जनप्रतिनिधि मंत्री सभी मिलकर मास्टर प्लान में सिंहस्थ भूमि को प्रस्ताव के तहत आवासीय घोषित कर सिंहस्थ भूमि पर कॉलोनी काट रहे हैं, हम इतना ही कहेंगे कि ऐसे में मंत्री जी की कृपा से उज्जैन में सिंहस्थ समाप्त होने जा रहा है, क्योंकि मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ भूमि के बड़े क्षेत्र को उज्जैन के जनप्रतिनिधि एवं मंत्री द्वारा सिंहस्थ भूमि ना बता कर उसे आवासीय घोषित करवा लिया गया है ऐसे में सिंहस्थ भूमि को भू माफियाओं द्वारा लील लिया गया है और अभी भी उनकी भूख शांत नहीं हुई है ऐसे में सिंहस्थ 2028 के लिए आवश्यक भूमि ही नहीं रहेगी तब ऐसे में सिंहस्थ लगाना संभव नहीं होगा।
किस सिंहस्थ भूमि पर है मुख्य आपत्ती
दरअसल मंगलनाथ से लेकर त्रिवेणी संगम तक शिप्रा नदी के किनारे के दोनों ओर का क्षेत्र मुख्य रूप से सिंहस्थ क्षेत्र कहलाता है ,मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है,इसमें बताया गया है कि वर्ष 2016 के सिंहस्थ मेले के लिए 3061.607 हेक्टेयर भूमि अधिसूचित की गई थी, इसमें सैटेलाइट टाउन के लिए 352.915 हेक्टेयर जमीन थी,दोनों मिलाकर करीब 3414 हेक्टेयर जमीन ली गई थी,2028 के सिंहस्थ में 42 फीसदी जमीन की बढ़ोतरी संभावित है,यानी अगले सिंहस्थ में 1400 हेक्टेयर जमीन और बढ़ाना होगी,लिहाजा अब सिंहस्थ क्षेत्र में नई जमीन को भी अधिसूचित करना होगा, जिसमें सैटेलाइट टाउन दाऊदखेड़ी के पीछे सिंहस्थ बायपास, एवम उज्जैन दक्षिण क्षेत्र में इंदौर रोड शिप्रा नदी के किनारे से लगा क्षेत्र जीवनखेडी और सांवराखेड़ी है, इस जमीन का उपयोग सिंहस्थ 2016 में किया था, यहां सैटेलाइट टाउन, पार्किंग व संत-महात्माओं के आश्रम बने थे, इसी भूमि के समीप सिंहस्थ बायपास है , यह सीधे बडऩगर व मुल्लापुरा तक आसान पहुंच मार्ग है, जो सिंहस्थ का महत्वपूर्ण मार्ग है,
मास्टर प्लान 2035 में इस जमीन को कृषि भूमि से सीधे आवासीय घोषित करना प्रस्तावित किया गया है, इसी का विरोध अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साधु संत कर रहे हैं।
उज्जैन के 2016 सिंहस्थ के तत्कालीन कलेक्टर कविंद्र कियावत द्वारा अधिसूचना का प्रस्ताव भेजा था,इस प्रस्ताव के अनुसार- मध्य भारत सिंहस्थ मेला अधिनियम 1955 की धारा 1 की उपधारा 2 के तहत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए मैं कवींद्र कियावत जिला दंडाधिकारी जिला उज्जैन मप्र उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ 2028 के लिए मेला क्षेत्र आगामी आदेश तक निम्नानुसार घोषित करता हूं- मेला क्षेत्र, नगर निगम का संपूर्ण क्षेत्र, पंचक्रोशी पड़ाव स्थल उंडासा, पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, अंबोदिया, कालियादेह, जैथल। रेलवे स्टेशन पिंगलेश्वर, विक्रम नगर, नईखेड़ी, चिंतामण।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के संतों के सिंहस्थ क्षेत्र के संबंध में विरोध करने की मुख्य वजह क्या है
दरअसल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज की अगवानी में साधु संतों ने पिछले हफ्ते सिंहस्थ क्षेत्र का दौरा किया था और पूरे क्षेत्र जिसमें मंगलनाथ से लेकर इंदौर रोड त्रिवेणी तक के पूरे क्षेत्र का दौरा करने के बाद यह पाया कि पिपली नाका क्षेत्र, एवं बड़नगर रोड और साथ लगी हुई इंदौर रोड की शिप्रा किनारे से लगी हुई भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है और बड़े पैमाने पर भू माफियाओं द्वारा अवैध कालोनियों का निर्माण किया जा रहा है जिसको लेकर संत समाज ने आपत्ति दर्ज कराई थी।
उज्जैन की जनता को किया आंदोलन में शामिल होने का आह्वान
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री ने उज्जैन की जनता को सिंहस्थ भूमि बचाने के लिए साधु-संतों द्वारा किए जा रहे हैं आंदोलन में सहयोग करने का आह्वान किया, उन्होंने कहा कि सिंहस्थ भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की जिम्मेदारी सिर्फ साधु-संतों की नहीं है बल्कि शासन प्रशासन, उज्जैन के जनप्रतिनिधि , एवं उज्जैन की जनता की भी है, सभी को इस आंदोलन में साधु संतों का सहयोग करने के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि सिंहस्थ से ही उज्जैन की पहचान है और उज्जैन में सिंहस्थ लगने के कारण देश और दुनिया से करोड़ों लोग यहां एकत्रित होते हैं ऐसे में उज्जैन की जनता को आर्थिक रूप से भी इसका लाभ मिलता है लेकिन सिंहस्थ की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो जाएगा ऐसी परिस्थिति में साधु संतों को अगले सिंहस्थ में पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई तब 2028 मे सिहत मेला लगना संभव नहीं हो पाएगा।
इस मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कहा की सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए अखाड़ा परिषद सिंहस्थ भूमि को खरीदने पर भी विचार कर सकता है उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही अखाड़ा परिषद के साधु संतों का डेलिगेशन, उज्जैन के पत्रकारों सहित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करेंगे और उन्हें सिंहस्थ क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से परिचय कराएंगे, और आने वाले सिंहस्थ 2028 में सिंहस्थ भूमि का अतिक्रमण बाधा न बने इसका स्थाई समाधान किया जाए।
बहर हाल जहां एक ओर सिंहस्थ दर सिंहस्थ मेला क्षेत्र की भूमि की आवश्यकता दुगनी होती जा रही है तो दूसरी और हर सिंहस्थ के बाद मेला क्षेत्र पर अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है और मेला क्षेत्र सीमित होता जा रहा है अगर हालात यही रहते हैं तो आने वाले समय में उज्जैन मैं सिंहस्थ मेला लगना संभव नहीं होगा, मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ क्षेत्र के बड़े हिस्से को आवासीय घोषित किया गया है अगर समय रहते इसमें बदलाव नहीं किया गया क्योंकि सिंहस्थ 2028 में अब ज्यादा समय नहीं है, आवश्यक बदलाव नहीं किए गए तब ऐसी परिस्थिति में सिंहस्थ मेले के अस्तित्व के समाप्त होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, अब देखना यह है कि साधु-संतों के द्वारा सिंहस्थ भूमि के अतिक्रमण मुक्त करने के आंदोलन में उज्जैन की जनता का सहयोग मिलता है या नहीं और इस आंदोलन पर मध्य प्रदेश सरकार का और उज्जैन के जनप्रतिनिधियों का क्या रुख रहता है यह समय ही बताएगा


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