
उज्जैन दक्षिण में सवर्णों को किया दरकिनार
नगरी निकाय चुनाव में टिकट बटवारे में भाजपा के कार्यकर्ताओं में फैला असंतोष
सिंधिया गुट के बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार भाजपा से चुनावी मैदान में
उज्जैन, नगरी निकाय के चुनाव में भाजपा द्वारा अपने पार्षद प्रत्याशियों के नाम की लिस्ट जारी करने के बाद पूरे शहर में घमासान मचा हुआ है चारों तरफ भाजपा के कार्यकर्ताओं में असंतोष की लहर चल रही है और कुछ वार्डों में यह असंतोष की लहर सड़कों पर भी दिख रही है।
दरअसल उज्जैन उत्तर एवं उज्जैन दक्षिण दोनों क्षेत्रों को मिलाकर 54 वार्ड है इन चोपन वार्डों में सबसे ज्यादा उलटफेर उज्जैन दक्षिण में देखने को मिला है उज्जैन दक्षिण में 16 पूर्व पार्षद प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया गया है महत्वपूर्ण बात इसमें यह है कि यह सभी प्रत्याशी वह है जिन्होंने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी इन सभी प्रत्याशियों को टिकट से वंचित क्यों किया गया है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है लेकिन दबी जुबान में सभी टिकट से वंचित प्रत्याशी इसके पीछे बाहुबली कहलाने वाले जनप्रतिनिधि की तानाशाही को बता रहे हैं इन सभी 16 प्रत्याशियों के स्थान पर पैराशूट प्रत्याशियों को बाहुबली नेता के करीबी होने का लाभ मिलने से उतारा गया है ऐसा असंतोष कार्यकर्ताओं का कहना है, वहीं आरक्षित सीटों पर भी अन्य वर्गों के प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है ऐसे में आरक्षण के कोई मायने नहीं रह जाते हैं।
उज्जैन दक्षिण के 16 पूर्व पार्षदों में अधिकतम स्वर्णिम समाज से ताल्लुक रखते हैं और महत्वपूर्ण यह भी है कि जीते हुए प्रत्याशियों के पीछे स्वर्णिम समाज का बहुत बड़ा सपोर्ट है पूर्व पार्षदों का और स्वर्णिम समाज के बुद्धिजीवियों का कहना है कि टिकट बंटवारे मैं भाजपा के बाहुबली नेताओं ने स्वर्णिम समाज की अनदेखी की है जबकि उज्जैन दक्षिण क्षेत्र स्वर्णिम समाज बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है बावजूद इसके उज्जैन दक्षिण में एक भी ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया गया, साथ ही पूरे दक्षिण क्षेत्र में एक भी मराठा को टिकट नहीं दिया गया है जिसके चलते विशेषकर उज्जैन दक्षिण के सभी वार्डों में कार्यकर्ताओं और समाज जनों के बीच गहरा असंतोष देखा जा रहा है ।चर्चा यह भी है कि अगर इन 16 पूर्व पार्षदों के प्रत्याशियों में समय रहते बदलाव नहीं किया गया तो भाजपा को उज्जैन दक्षिण में कई सीटों को गवां देने का अंदेशा जताया जा रहा है, कई वार्डों में असंतोष प्रत्याशीयों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए भी कमर कस ली है, जिसके चलते भाजपा को गहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सिंधिया गुट जो कि कल तक कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण अंग हुआ करता था लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद नगरी निकाय चुनाव एवं पंचायत चुनाव का यह पहला मौका है टिकट बंटवारे के लिए भाजपा के कई दिग्गजों की उज्जैन के जाने-माने होटलों में कई दिनों तक मंथन चला और आखिरकार उज्जैन के 54वार्डों के पार्षद प्रत्याशियों की दो भागों में लिस्ट जारी की गई लिस्ट जारी होने के तुरंत बाद उज्जैन के कई वार्डों में भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच फैला असंतोष सार्वजनिक हुआ ।
बहर हाल अभी सिर्फ पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव हो रहे हैं लेकिन मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के लिए इन चुनावों के परिणाम बहुत मायने रखते हैं क्योंकि इसके बाद विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव होने हैं नगरीय निकाय एवम पंचायत के चुनावों के परिणाम आगे होने वाले चुनावो के परिणामों को भी प्रभावित कर सकते हैं, अब देखना यह है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार विशेषकर उज्जैन जहां विधानसभा के चुनाव में 4 सीटों के उलटफेर के चलते शिवराज सिंह कि सरकार बनते बनते रह गई थी ,ऐसे में टिकटों के वितरण में स्वर्णिम समाज को दरकिनार करने से फैला असंतोष कहीं शिवराज सरकार पर भारी न पड़ जाए।
