
सिंहस्थ भूमि को सुरक्षित रखना आखिर किसकी जिम्मेदारी?
अखाड़ा परिषद ने सिंहस्थ भूमि को भू माफियाओं से मुक्त करने के आंदोलन का किया शंखनाद
उज्जैन, 1980 1992 2004 और 2016 मुख्य रूप से इन चार सिंहस्थों में साल दर साल सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है जहां एक और साधु संतों के अखाड़ों मैं भी बढ़ोतरी हुई है तो वहीं दूसरी और जनसंख्या एवं सिंहस्थ मेले का आकार एवं स्वरूप हर सिंहस्थ में बढ़ा है, बात करें 2016 के सिंहस्थ की तो क्षेत्रफल की दृष्टि से लगभग 3500 हेक्टेयर भूमि में मेला लगा था, और आने वाले 2028 के सिंहस्थ में लगभग 4000 हेक्टेयर भूमि से अधिक की आवश्यकता सिंहस्थ मेला लगाने के लिए आवश्यक होगी लेकिन लगातार सिंहस्थ भूमि पर भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर कालोनियां काटी जा रही हैं।
सिंहस्थ भूमि पर लगातार अतिक्रमण के मुद्दे से केंद्र सरकार,मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन के स्थानीय जनप्रतिनिधि और साधु संत के अखाड़े सभी भली-भांति परिचित हैं लेकिन आलम यह है कि भू माफियाओं या यूं कहें कि बाहुबली भू माफियाओं के आगे सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधि और जनता सब विवश नजर आ रहे हैं, ऐसे में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि जी महाराज के नेतृत्व में रविवार को सिंहस्थ क्षेत्र का दौरा किया ,2028 के सिंहस्थ की जमीन को लेकर जोकि पिछले सिंहस्थ से लगभग दुगनी आवश्यक होगी जिस पर लगातार भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर कालोनिया काटी जा रही है , हरि गिरि जी महाराज ने सिंहस्थ भूमि का मौका मुआयना करते हुए बताया कि सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण के मुद्दे पर स्थानीय मीडिया के कुछ जागरूक पत्रकारों द्वारा संज्ञान में लाए जाने पर तत्कालीन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने भी सरकार को इस विषय में लताड़ा था और सिंहस्थ भूमि पर हो रहे लगातार अतिक्रमण पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक निर्देश दिए थे और सिंहस्थ भूमि का सरकार द्वारा संरक्षण नहीं करने पर सिंहस्थ मेला उज्जैन में नहीं लगाने तक की चेतावनी भी दी थी ,लेकिन इस चेतावनी का भी मध्य प्रदेश सरकार एवं शासन प्रशासन के नुमाइंदों पर कोई असर नहीं हुआ और लगातार सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण बदस्तूर जारी है, जिसके विरोध स्वरूप अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि जी महाराज ने मध्य प्रदेश सरकार एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों को चेतावनी देते हुए कहा कि सिंहस्थ भूमि पर किसी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, धरना प्रदर्शन ,भूख हड़ताल और जरूरत पड़ी तो साधु संत सिंहस्थ भूमि को भू माफियाओं से बचाने के लिए बलिदान भी देगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि जी महाराज ने बताया कि पूरा क्षेत्र भ्रमण करने के पश्चात हमने पाया है कि मंगलनाथ क्षेत्र के आसपास के कई क्षेत्रों में, पिपली नाका एवं गढ़कालिका क्षेत्र में, एवं इंदौर रोड पर शिप्रा किनारे जीवन खेड़ी, सांवरा खेड़ी आदि क्षेत्रों में भू माफियाओं द्वारा सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है जोकि आने वाले सिंहस्थ के लिए एक बड़ी समस्या बन रहा है ,अभी भी समय है अगर शासन-प्रशासन सिंहस्थ भूमि पर भू माफियाओं द्वारा किए जा रहे हैं अतिक्रमण को नहीं रोकता है तो उज्जैन शहर में आने वाला सिंहस्थ मेला लगना संभव नहीं होगा, ऐसे में उज्जैन शहर में मां शिप्रा किनारे लगने वाले सिंहस्थ मेला जिसका ऐतिहासिक महत्व है, उसके लगने पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
उज्जैन के जनप्रतिनिधियों की भी सिंहस्थ मेला क्षेत्र एवं उस पर हो रहे अतिक्रमण के बारे में विचारधारा भिन्न भिन्न है ,सांसद अनिल फिरोजिया द्वारा चंद महीनों पहले सिंहस्थ भूमि पर विशेषकर इंदौर रोड शिप्रा किनारे की भूमि पर भूमाफिया द्वारा अतिक्रमण किए जाने और कॉलोनी काटने पर आपत्ति दर्ज कराई थी लेकिन उज्जैन मास्टर प्लान की बैठक जोकि उज्जैन के दक्षिण विधायक एवं मंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित हुई थी जिसमें उज्जैन उत्तर विधायक पारस चंद्र जैन एवं अनेक प्रशासनिक नुमाइंदे भी उपस्थित थे, लेकिन इसे उज्जैन की विडंबना ही कहेंगे कि आपत्ति दर्ज कराने वाले सांसद अनिल फिरोजिया, संसद के कार्यों से दिल्ली गए हुए थे जिसके कारण से उनके द्वारा ली गई आपत्ति के कोई मायने नही रह गए ,बावजूद इसके बैठक में उपस्थित उज्जैन उत्तर के विधायक पारस चंद्र जैन ने सिंहस्थ भूमि पर हो रहे भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण का पुरजोर विरोध किया था और आने वाले 100 सालों के हिसाब से सिंहस्थ के लिए आवश्यक भूमि विशेषकर शिप्रा नदी के किनारे की भूमि को आरक्षित करने का सुझाव भी दिया था, इस बैठक में उज्जैन उत्तर के विधायक पारस चंद जैन ने कहा था कि अगर सिंहस्थ भूमि को भू माफियाओं से सुरक्षित एवं अतिक्रमण मुक्त नहीं किए जाने पर उज्जैन के जनप्रतिनिधियों को उज्जैन की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ मेले में करोड़ों लोग एकत्रित होते हैं और इस पूरे सिंहस्थ मेले का आयोजन करने के लिए अरबों रुपया खर्च किया जाता है और इसी दृष्टि से सिंहस्थ मेला प्राधिकरण का गठन किया गया जिस पर न सिर्फ सिंहस्थ मेला लगाने के आमूल चूल इंतजाम करने की जिम्मेदारी है बल्कि सिंहस्थ भूमि अतिक्रमण से मुक्त रहे एवं सुरक्षित रहे इसकी भी जिम्मेदारी है लेकिन हालात यह है कि 2016 के सिंहस्थ के बाद आज तक सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष का पद रिक्त है और सिंहस्थ मेला प्राधिकरण सिर्फ नाम का रह गया है, जिसे प्रदेश सरकार की सिंहस्थ मेला एवं सिंहस्थ मेला क्षेत्र के संरक्षण के चलते एक बहुत बड़ी लापरवाही के रूप में देखा जा रहा है, वहीं स्थानीय प्रशासन द्वारा सिंहस्थ मेला क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई में भी कई भेदभाव देखे जा रहे हैं बाहुबली नेताओं द्वारा बसाई गई सिंहस्थ क्षेत्र की कॉलोनियों को बचाया जा रहा है और कई गरीब बस्तियों को ध्वस्त कर दिया गया, जबकि कई बाहुबली भू माफिया आज भी सिंहस्थ की भूमि पर कॉलोनी काटने की तैयारी में है।
बहर हाल अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि जी महाराज ने स्पष्ट कर दिया है कि अखाड़ा परिषद सिंहस्थ भूमि पर कोई अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं करेगा और अगर शासन में मास्टर प्लान के तहत सिंहस्थ भूमि पर आवासीय क्षेत्र घोषित करने का कोई परिवर्तन किया है तो उसे वापस लेना होगा, बहुत जल्द ही हम मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में चर्चा करेंगे और इसका स्थाई हल नहीं होने पर प्रबल आंदोलन किया जाएगा ,चाहे इसके लिए संतो को अपने प्राणों की आहुति भी देना पड़े, अखाड़ा परिषद के आंदोलन का शासन प्रशासन पर कितना प्रभाव पड़ता है यह तो समय ही बताएगा।
उज्जैन जिले में सारे राजनीतिक दल नगरी निकाय एवं पंचायत चुनाव की रणनीति और जोड़-तोड़ में जुटे हुए हैं जनप्रतिनिधियों को भी सिंहस्थ भूमि पर ध्यान देने का समय नहीं है और रही बात उज्जैन की जनता की तो उज्जैन का युवा रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहा है उसके पास उज्जैन के विकास और सिंहस्थ क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण के बारे में चिंतन करने या विरोध करने का समय नहीं है।
