
पुष्पा है झुकेगा नहीं साला,सस्पेंड होना मंजूर, लेकिन ट्रांसफर मंजूर नहीं
निगम के आला अधिकारियों के आदेश का मजाक बना रहे हैं ,निगम कर्मी
उज्जैन, नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी नगर निगम के आला अधिकारियों के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं आलम यह है कि निगम के सहायक आयुक्त द्वारा फरवरी 2022 में जिस निगम कर्मी को स्वास्थ्य विभाग से हटाकर अतिक्रमण गेम मैं ट्रांसफर किया था लेकिन मई 2022 के खत्म होने के बाद भी अर्थात करीब 3 महीने बाद भी निगम कर्मचारी निगम के आला अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करते हुए ट्रांसफर किए हुए विभाग में ज्वाइन नहीं करते हैं।
पुष्पा है मैं झुकेगा नहीं साला, कुछ इसी तर्ज पर नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों ने काम करना शुरू कर दिया है जिसके तहत वह नगर निगम के मला अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करने से भी नहीं चूक रहे हैं, गौरतलब है कि अनिल चावरे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में प्रभारी लिपिक के पद पर कार्यरत है जिन्हें 25 फरवरी 2022 को नगर निगम सहायक आयुक्त स्थापना ने स्वास्थ्य विभाग से हटाकर अतिक्रमण गैंग में स्थानांतरण कर दिया था लेकिन आलम यह है कि आज 3 माह के बाद भी निगम के सहायक आयुक्त का आदेश अमलीजामा नहीं पहन पाया है, इसी तर्ज पर नगर निगम के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी भी कार्य कर रहे हैं जिन्हें सस्पेंड होना मंजूर है लेकिन स्थानांतरण किए हुए विभाग में ज्वाइन करना मंजूर नहीं , ऐसा ही एक मामला है जिसमें नगर निगम कमिश्नर के पी ए मनीष भावसार जिनका स्थानांतरण होने के बाद भी स्थानांतरण किए हुए विभाग में ज्वाइन नहीं करने पर उन्हें निगम कमिश्नर द्वारा सस्पेंड कर दिया गया निगम के गलियारों में मनीष भावसार के विषय में चर्चा है कि वे नगर निगम कमिश्नर से कमतर नहीं है इसलिए सस्पेंड होना मंजूर है लेकिन स्थानांतरण मंजूर नहीं , इसलिए इन दिनों निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पुष्पा का नाम दिया गया है जो किसी के सामने झुकेगा नहीं साला।
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब मनीष भावसार को स्थानांतरण मंजूर नहीं होने पर सस्पेंड किया जा सकता है तब ऐसे में अनिल चावरे पर 3 महीने के बाद भी ज्वाइन नहीं करने पर मेहरबानी क्यों?
बहर हाल नगर निगम उज्जैन में इस तरह के कई मामले चल रहे हैं और नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी आला अधिकारी के आदेश का खुलेआम उल्लंघन करते हुए नजर आ रहे हैं इसी तरह का एक मामला नगर निगम के अधिकारी पीयूष भार्गव के विषय में भी काफी चर्चा में रहा है और उसके बाद अधिकारी पीयूष भार्गव को सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन इन सबके बीच निगम कमिश्नर भी तमाम पुष्पाओं को सबक सिखाने के लिए सिंघम बने हुए हैं और आदेश की अवमानना करने पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर रहे हैं अब ऐसे में देखना यह है कि 3 महीने से निगम कमिश्नर के आदेश की अवहेलना करने वाले अनिल चावरे पर क्या कार्रवाई होती है, लेकिन इतना जरूर है कि किसी प्रशासनिक विभाग में अगर कोई आला अधिकारी सिंघम कार्यशैली का आ जाता है तो उस विभाग का कायापलट होना निश्चित है।
