
जर जोरू और जमीन के फेर में उलझे सन्यासी
उज्जैन, इतिहास गवाह है कि जितने भी युद्ध हुए हैं इसका मुख्य कारण जर जोरू और जमीन रहा है, जर का अर्थ है धन जोरू का अर्थ है पत्नी या स्त्री और जमीन यानी भूमि सारे फसाद इसके इर्द-गिर्द ही रहे हैं, लेकिन इन सभी उपरोक्त से विरक्त होना सन्यास कहलाता है सन्यास सिर्फ सनातन धर्म में ही नहीं बल्कि सभी धर्मों में लिया जाता है , इसका जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि साधु संतों को सन्यास लेने के बाद भी यह तीनों प्रभावित कर रही है।
तो क्या धर्म गुरुओं को अब जर जोरू और जमीन से दूर रहने के उपाय ढूंढने पड़ेंगे और अगर नहीं तो यह सन्यासी जीवन को भी तहस-नहस करने की क्षमता रखते हैं।
उज्जैन के एक संत पर एक साध्वी ने यौन शोषण का आरोप लगाया है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर दोनों ओर से जारी है दोनों ही पक्ष एक दूसरे के रहस्यों का पटाक्षेप कर रहे हैं,मामला पुलिस तक जा पहुंचा है और पुलिस मामले की तह तक पहुंचने के लिए तमाम सबूतों के आधार पर जांच करने में जुटी है।
दोनों पक्षों के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह प्रकरण जर जोरू और जमीन तीनों का ही इसमें सामूहिक समागम है,
जर जमीन दोनों से जुड़ा यह मामला इसलिए है क्योंकि संत डॉ रामेश्वर दास ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला शासकीय मंदिर की पूजा और जमीन से जुड़ा हुआ है , दरअसल जंतर मंतर के पास एक श्री हनुमान मंदिर है जिसके बाहरी प्रांगण में श्री शनि देव की स्थापना एक अन्य संत नारायण स्वामी द्वारा की गई ,और वर्तमान में कब्जा भी इन्हीं संत का इस पर है लेकिन प्रशासन ने हनुमान मंदिर की पूजा के लिए पुजारी अन्य संत विशाल दास को नियुक्त किया है, जोकि संत रामेश्वर दास के अखाड़े से जुड़े हैं, संत विशाल दास का कहना है कि वह पूरा परिसर एवं जमीन हनुमान मंदिर की है एवं शासकीय जिस पर मुझे पुजारी नियुक्त किया गया है और इसी की आपत्ती वर्तमान के शनि मंदिर के पुजारी को है।
जोरू अर्थात् पत्नी या स्त्री का भी इस मामले में समागम है संत डॉ रामेश्वर दास जो कि लगभग 75 वर्ष के हैं संत होने से पहले यह एक शिक्षक थे इनका आश्रम भी जंतर मंतर स्थित हनुमान मंदिर के पीछे है इस मामले में संत डॉ रामेश्वर दास का कहना है कि आरोप लगाने वाली महिला साध्वी सविता यादव , जो कुछ माह पहले मेरे पास आई थी और इन्होंने आरोप लगाया था कि संत ज्ञानदास ने मेरे साथ दुष्कर्म किया है तब हमने संत ज्ञानदास और साध्वी सविता यादव की सहमति से चिंतामन गणेश मंदिर में दोनों की शादी करवाई और कन्यादान भी मैंने ही किया था शादी के सभी शासकीय दस्तावेज हमारेपास मौजूद हैं।
इसी बीच संत ज्ञानदास ने अपना मंगलनाथ स्थित आश्रम किसी को बेंच दिया है, जिसकी सूचना संत ज्ञानदास के साथ 14 साल से रहने वाली साध्वी जोकि ओमकारेश्वर में रहती है उनको मिली और उन्होंने उज्जैन आकर आश्रम को बेचने पर आपत्ति ली और संत ज्ञानदास और साध्वी सविता यादव की शादी के कागज निकाल कर संत ज्ञानदास द्वारा की गई शादी का पर्दाफाश किया।
इस मामले में संत ज्ञानदास से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
बहर हाल साध्वी सविता यादव द्वारा संत डॉ रामेश्वर दास पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया है जिसकी तहकीकात पुलिस नीलगंगा थाना कर रही है जिसमें दोनों पक्ष अपने अपने साक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं इसका वास्तविक सच क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगाइस मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष संत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि कानून सबके लिए बराबर है पुलिस इसकी तहकीकात करें और जो भी दोषी है उसे उसके किए की सजा मिलनी चाहिए।लेकिन इतना जरूर है कि जर जोरू और जमीन जोकि दुनिया में फसाद की जड़ है उसने संत समाज को भी नहीं बख्शा है जोकि इन चीजों से विरक्त होकर सन्यासी कहलाते हैं, इस मामले का सत्य जो भी हो लेकिन साधु-संतों कि जो छवि समाज में है वह कहीं ना कहीं इस तरह के मामलों से प्रभावित हो रही है ,इसलिए संत समाज को इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
