
आखिर क्या है गोंदिया का सच , आगजनी की सूचना को कई घंटों तक गोपनीय क्यों रखा गया
क्या करोड़ों का नुकसान होने से निगम के जिम्मेदार अधिकारी बचा सकते?
उज्जैन , स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में उज्जैन के अव्वल आने का सपना यकायक चकनाचूर हो गया नगर निगम के आला अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत पर एक क्षण में पानी फिर गया ,स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वे के ठीक पहले ट्रेचिंग ग्राउंड में लगी आग कई सवाल कर रही है, ट्रेंचिंग ग्राउंड की व्यवस्था और निस्तारण प्लांट की व्यवस्था को देखने के लिए केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वे की टीम एक-दो दिनों में आने वाली थी, लेकिन आगजनी में सब कुछ जलकर खाक हो गया ।
गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड के 100 बीघा से अधिक के क्षेत्र में गीला और सूखा कचरा रखा जाता है और यहीं पर एक निजी कंपनी ने प्लांट लगा रखा है, इस प्लांट में मिले सूखे कचरे का निस्तारण किया जाता है और बचे हुए कचरे को ईँट और सीमेंट के कारखाने में भेजा जाता है। प्लांट और उसके आसपास करोड़ों रुपए का कचरा जलकर खाक हो गया ,इस प्लांट की सभी मशीनें भी आग में जल कर स्वाहा हो गई।
ट्रेंचिंग ग्राउंड में आग से निपटने के प्रबंधों में बोरिंग और अन्य संसाधन मौजूद होने के बाद भी उससे आग नहीं बुझाई जा सकी, ट्रेचिंग ग्राउंड के आसपास के क्षेत्रवासियों का कहना है कि आग लगते हैं यहां के चौकीदार ने इसकी सूचना तुरंत निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को दे दी थी लेकिन कई घंटों तक निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने चौकीदार की सूचना को अनसुना कर दिया और आग बुझाने के प्रबंध करने में देरी की गई जिसके चलते कुछ घंटों में आग पूरे क्षेत्र में फैल गई और करोड़ों का नुकसान हो गया स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी समय रहते चौकीदार द्वारा दी गई आग लगने की सूचना को प्राथमिकता देते और त्वरित आग बुझाने के प्रबंध किए जाते तो शायद करोड़ों के नुकसान को होने से बचाया जा सकता था ऐसे में यह एक जांच का विषय है कि आखिर नगर निगम के वह कौन जिम्मेदार अधिकारी हैं, जिनकी गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते लाखों का नुकसान करोड़ों में बदल गया और पूरे नगर निगम के आला अधिकारियों की स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की मेहनत पर पानी फिर गया ऐसे में इस पूरी आगजनी की घटना की विस्तृत जांच कराए जाने की मांग की जा रही है ताकि आग लगने का वास्तविक कारण और आग पर काबू पाने के त्वरित उपाय करने में देरी होने के पीछे के जिम्मेदार लोगों का पता लगाया जा सके, एवं जिम्मेदार लोगों पर आवश्यक कार्यवाही की जा सके, इस आगजनी की घटना की सूचना को भी नगर निगम केे अधिकारियों ने कई घंटों तक गोपनीय रखा यहां तक कि मीडियाा को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई ऐसे में सवाल यह उठता है कि निगम के अधिकारियों द्वारा आगजनी की सूचना को कई घंटोंं त गोपनीय रखने का क्या कारण है।
मामले में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कई अधिकारी फोन उठाने में कतरा रहे हैं और कुछ जवाब देने में आनाकानी कर रहे हैं ऐसे में निगम के आला अधिकारी को आवश्यक कदम उठाकर मामले की सच्चाई की तह तक पहुंचने की आवश्यकता है क्योंकि शासन की करोड़ों रुपए की संपत्ति जलकर खाक हो गई है स्वच्छता अभियान के तहत उज्जैन शहर से निकलने वाला कई टन कचरे का निस्तारण करने की भी एक बड़ी समस्या प्लांट जलने से निगम के सामने आ चुकी है, आपको बता दें कि पूरे शहर से कई टन कचरा उठाने के लिए प्राइवेट कंपनी लाखों रुपए प्रतिदिन वसूल करती थी और उस कचरे का निस्तारण करके उससे बनी खाद भी करोड़ों रुपए में बेचती थी जबकि कचरा उठाने की गाड़ियां केंद्र सरकार की तरफ से दी गई थी एवं कई एनजीओ भी इस कार्य से जुड़े हुए थे नगर निगम ने प्राइवेट कंपनी को कचरा निस्तारण के लिए ठेका दिया था जिसमें से अभी कुछ साल और बाकी है।
निगम के गलियारों में चर्चा यह भी है कि नगर निगम के माली हालात पिछले कुछ समय से कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं और नगर निगम द्वारा ठेकेदारों को पेमेंट नहीं किया जा रहा है जिसके चलते कुछ ठेकेदारों ने निगम में अटैच वाहनों के चक्कों को भी बंद कर दिया है ऐसे में नगर निगम पर” पहले से दुबला ऊपर से 2 आषाढ़ ” वाली कहावत सार्थक नजर आती है अर्थात नगर निगम पहले से ही अपनी माली हालत से उभरने का प्रयास कर ही रहा था कि अचानक करोड़ों रुपए का और नुकसान नगर निगम के गले पड़ गया।
बहरहाल ट्रेचिंग ग्राउंड में हुई आगजनी की घटना के वास्तविक कारण का पता लगाना इसलिए भी आवश्यक हो गया है कि कहीं कोई जानबूझकर नगर निगम को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा कहीं यह सोंची समझी साजिश तो नहीं।
