सिटी बसों को भंगार होने के बाद अब ,बस स्टॉप की बारी
नगर निगम कर्मचारियों की अनदेखी के चलते शहर के बस स्टॉप भी हो चले हैं भंगार

उज्जैन, करोड़ों रुपए की सिटी बसें आज भंगार अवस्था में मक्सी रोड स्थित नगर निगम के डिपो में पड़ी है और अब हालात यह है कि शहर के तमाम बस स्टॉप भी नगर निगम कर्मचारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते भंगार हो चले हैं।
शहर में अभी स्वच्छता अभियान स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 चल रहा है जिसके चलते पूरे शहर में साफ सफाई की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में उज्जैन शहर अव्वल स्थान हासिल करें लेकिन नगर निगम के आला अधिकारियों के इस मंसूबे को नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी पूरा होने नहीं देना चाहते हैं आलम यह है कि न सिर्फ इंदौर रोड पर स्थित यात्री प्रतीक्षालय बल्कि पूरे उज्जैन के बस स्टॉप नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली का शिकार हो रहे हैं।

इंदौर रोड महामृत्युंजय द्वार के पास स्थित यात्री प्रतीक्षालय जिस पर मौजूदा जनप्रतिनिधि और मंत्री महोदय के नाम का उल्लेख किया हुआ है अपनी दयनीय स्थिति का बयान खुद कर रहा है पूरा प्रतीक्षालय और आसपास का क्षेत्र जंगली झाड़ियों और गंदगी से सराबोर है कुर्सियां और रेलिंग आदि जंग खा चुकी है और कई जगह से रेलिंग टूट चुकी है पूरा क्षेत्रों उजाड़ और विरान की तरह प्रतीत होता है ऐसे में इस प्रकार के यात्री प्रतीक्षालय में प्रतीक्षा करने की कोई यात्री हिमाकत नहीं कर सकता है, शहर के मुख्य मार्गों पर बने हुए बस स्टॉपों की हालत यहां के जनप्रतिनिधि भी देख कर अनदेखा कर रहे हैं।

गौरतलब है कि उज्जैन नगर निगम के पास 89 सिटी बसें थी जिनकी कीमत करोड़ों में थी और महज चंद साल अर्थात 2016 के सिंहस्थ में पूरे उज्जैन में यात्रियों भी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती थी, टाटा और आईसर कंपनी की सिटी बसें शहर का गौरव हुआ करती थी, जिसके लिए यात्री प्रतीक्षालय भी लाखों रुपए खर्च करके बनाए गए थे जो आज भंगार अवस्था में शहर के अनेक स्थानों पर शोभा बढ़ा रहे हैं ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगना लाजमी है जिन की कार्यशैली के चलते ना तो शहर में सिटी बस रही है और ना हीं बस स्टॉप, नगर निगम के आला अधिकारी, नगर निगम में बरसों से अपनी ऊंची पहुंच के चलते चिपके हुए नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की करतूतों से बखूबी वाकिफ है ,बावजूद इसके इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर निगम के आला अधिकारी का डंडा नहीं चल पा रहा है इसका वास्तविक कारण क्या है एक चिंतनीय विषय है।
सिटी बस का आलम यह है कि कई महीनों पहले शहर की जनता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक सिटी बसों का टेंडर नगर निगम ने बस संचालक कंपनी को दिया है लेकिन बसों की दयनीय स्थिति जिसमें लगे हुए सामान जैसे टायर बैटरी आदि गायब हो चुके हैं या भंगार हो चुके हैं नतीजतन बस संचालक कंपनी 25 बसों का टेंडर में से सिर्फ पांच बसें ही चला पा रहा है और इन 5 बसों में से भी सिर्फ एक बस उज्जैन शहर में चल रही है ऐसे में स्पष्ट हो जाता है निगम के जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारी निगम की सिटी बसों को भंगार करने के बाद अब बस स्टॉपों को भी भंगार करने की तैयारी में हैं।
बहर हाल सिटी बस वीहीन एवं विरान एवम बदहाल बस स्टॉपों को देखकर यह स्पष्ट है की पिछले कुछ सालों में उज्जैन शहर कितना स्मार्ट हो चला है एवं शहर को स्मार्ट बनाने में निगम कर्मियों की कितनी भूमिका है।
