
जलवा
*तड़तड़ी…..*
*शक-शुबा-संदेह…शंका-कुशंका-आशंका…!!!!!*
सभी जल्वेदारों को जलवा प्रणाम🙏
एक बार फिर वादे के मुताबिक़ मैं हाज़िर हूँ व्यवस्था और अव्यवस्था के बीच की बानगी लेकर…. उज्जैन नरकनिगम को अपने अचूक कारनामों के लिए विशेष अवार्ड देना चाहिए….क्योंकि उम्मीद से बढ़ चढ़ कर यहाँ के महारथी नित नए करतब दिखा कर अपना उल्लू सीधा करते आ रहे हैं .. फिर भले ही नियम क़ायदे तांक पर ही क्यों ना रखे जाए…इन्हें क़ानून कायदों को दरकिनार करने की महारथ हासिल है….और खुराफातियों पर किसी का कोई अंकुश नहीं क्योंकि व्यवस्था निरंकुश हो चुकी है….क़ानून का डर महज़ कमज़ोर और सीधी जनता के लिए ही हैं….ऐसे ही एक मामला पेश-ए-खिदमत है…जिससे व्यवस्था के जिम्मेदारों की करतूत बेपर्दा होगी…कैसे दागियों को उपकृत करके योग्य को दरकिनार करने की खुराफ़ात की जा रही है…जो कई शंका – कुशंका- आशंका, शक – शुबा और संदेह को जन्म दे रहा है…
*तो क्या नरकनिगम में होने वाला है कोई बड़ा खेला?????…..*
दरअसल उज्जैन नगरनिगम में स्थापना से बुधवार 13.04.22 को पत्र क्रमांक 2022/386-387 जारी हुआ है जिसमें सहायक यंत्री के मुलपद पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री को प्रभारी अधीक्षण यंत्री का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है…देखने सुनने और पढ़ने में ये एक विभाग की सामान्य प्रक्रिया है ….लेकिन खेल की आशंका इसके बाद शुरू होती है…क्योंकि प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव से वरिष्ठ और शासन द्वारा पदस्थ तीन तीन कार्यपालन यंत्री यहाँ पहले से ही मौजूद हैं…जिनमें अनिल जैन, पीसी यादव और दोराया शामिल हैं…इनके रहते प्रभारी कार्यपालन यंत्री को अधीक्षण यंत्री का भार सौंपना अपने आप में किसी करतब से कब नहीं है….और फिर उस सहायक यंत्री (मूल पद) को जो प्रभारी कार्यपालन यंत्री है और जो अपने कारनामों से एक नहीं कई कई जांचों में घिरे हों…ऐसे दागी को अधीक्षण यंत्री का दायित्व मिलना शंका का सबब बन रहा है….
*कार्य पालन यंत्री का जाना भी संदेहास्पद….*
असल में नरकनिगम उज्जैन के कार्यपालन यंत्री गोपाल कृष्ण कंठील 9 दिनों 13.04.22 से 21.04.22 तक यकायक अर्जित अवकाश पर चले गए हैं..क़ायदे से किसी समक्ष वरिष्ठ अधिकारी को अधीक्षण यंत्री का प्रभार दिया जाना था ….लेकिन तीन तीन कार्यपालन यंत्री की मौजूदगी में उन्हें दरकिनार करते हुए प्रभारी कार्यपालन यंत्री (मूल पद सहायक यंत्री) पीयूष भार्गव को प्रभारी अधीक्षण यंत्री का चार्ज देना अपने आप में अचंभा है….तीन तकनीकी अधिकारी जो शासन द्वारा प्रमाणित हैं उन्हें अनदेखा करना क्या किसी खेले के जन्म का संदेह नहीं क्यों ना हो????
*ज्ञान अज्ञान या और कुछ….!!!!*
वैसे तो ये पूरा खेला अपर आयुक्त स्थापना के कक्ष से खेला गया है लेकिन क्या इसका ज्ञान आयुक्त को नहीं है कि तीन तीन वरिष्ठ कार्यपालन यन्त्रियों के होते हुए एक दागी सहायक और प्रभारी कार्यपालन यंत्री को अधीक्षण यंत्री का इस तरह से प्रभार दिया गया है….अगर ऐसा हुआ है तो ये यहाँ पारंपरिक है और अगर आधा दर्जन डिग्री धारी साब को ये ज्ञान में रख कर किया गया है तो फिर कोई सवाल जवाब ही नहीं बनता….वैसे इस नरकनिगम में ऐसे खेले में आम हैं….तत्तकालीन आयुक्त प्रतिभा पाल के समय भी एक खेला हुआ था जब वो छुट्टी पर गईं थीं तो कुछ खुराफातियों ने रातों रात पड़े पद की कुर्सी अपने नाम करवा ली थीं…लेकिन लेडी सिंघम प्रतिभा पाल के वापस आने के बाद उन कबरबिज्जूओं को उनकी औकात में पहुंचा दिया गया था…ये तो महज़ एक उदाहरण है ऐसे कई मसले कारनामें दफ़्न हैं नरकनिगम की वीथियों (गलियों) में…
*महामहिम तक भी हैं मशहूर जनाब…..*
जिन मूल पद सहायक यंत्री और प्रभारी कार्यपालन यंत्री और अब अधीक्षण यंत्री का प्रभार पाए महोदय के कारनामों की फाईल महामहिम राज्यपाल महोदय के हाथों तक भी पहुंच चुकी है और वहाँ से वापस एक पत्र भी उज्जैन नरकनिगम आ चुका है….इस सबको दरकिनार करते हुए ऐसा आदेशित फैसला नरकनिगम में किसी बड़े खेले के होने के संकेत दे रहा है….इस पत्र और इसके मसले पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे आप सुधि पाठकों के *”जलवा तड़तड़ी”* के अगले अंक में….
*अब जो भी हो लेकिन हम इस पूरे मामले पर अपनी पैनी नज़र गड़ाए हुए हैं और किसी भी तरह के खेले को पर्दानशीं नहीं रहने देंगे….आप बने रहें हमारे साथ….*
चलिए अब चलता हूँ फिर मिलने के वादे के साथ…तब तक आप जल्वेदार अपना जलवा क़ायम रखें…दुनिया जले तो जलने भुनने दें…..
आप जल्वेदारों में से एक जल्वेदार….
जय कौशल
उज्जैन (म.प्र.)
09827560667
07000249542
