स्कूल बस किराए की नीति स्पष्ट नहीं कर रहा प्रशासन , नतीजा पालकों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं स्कूल बस संचालक 

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उज्जैन, 2 साल के बाद एक बार फिर बच्चों के नए सेशन की शुरुआत 1 अप्रैल से प्राइवेट स्कूलों में हो चुकी है जहां प्राइवेट स्कूलों के संचालक निश्चित दुकानों से स्कूल ड्रेस एवं किताबों लेने का दबाव तो पालकगण झेल ही रहे हैं बावजूद इसके स्कूल बस संचालक भी बच्चों के पालक गणों से मनमाना स्कूल बस फीस शुल्क वसूल रहे हैं ऐसे में स्पष्ट है कि शासन प्रशासन का प्राइवेट स्कूलों पर कोई अंकुश नहीं रह गया है जिसके चलते प्राइवेट स्कूल संचालक एवं स्कूल बस संचालक बच्चों के पालकों को खुलेआम लूट रहे हैं उज्जैन प्रशासन ने अब तक स्कूल बस शुल्क की किलोमीटर वाइज नीति का निर्धारण नहीं किया है ऐसे में पालकों पर दोहरी मार पड़ रही है।
गौरतलब है कि स्कूल बस शुल्क की नीति का निर्धारण उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोंडवे के समय अपडेट हुआ था जिसमें 0 से 5 किलोमीटर तक ₹400 एवं 5 से 10 किलोमीटर तक ₹600 स्कूल बस शुल्क सुनिश्चित हुआ था बावजूद इसके कई स्कूल संचालकों ने स्कूल फीस के साथ कलेक्टर रेट से अधिक शुल्क वसूला लेकिन उसके बाद 2 साल से कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल बस का संचालन नहीं किया गया और अभी भी प्रशासन की ओर से स्कूल बस शुल्क को अपडेट किए जाने की कोई सूचना नहीं है।
प्रशासन द्वारा स्कूल बस शुल्क की नीति की अस्पष्टता के कारण स्कूल बस संचालक पालकों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं हालात यह है कि 0 से 5 किलोमीटर की दूरी के ₹1000 से अधिक वसूले जा रहे हैं और 5 से 10 किलोमीटर के 1500 से 1800 रुपए तक वसूले जा रहे हैं ।
ऐसे में बच्चों के पालक गणों का कहना है कि शासन प्रशासन का प्राइवेट स्कूलों पर कोई नियंत्रण नहीं रहा है और जिसका खामियाजा हम लोग भुगत रहे हैं स्कूल संचालक मनमानी फीस ले रहे हैं बावजूद इसके निश्चित दुकानों से हजारों रुपए की किताबें और स्कूल ड्रेस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और इसके बाद स्कूल बस संचालक भी मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा की जा रही मनमानी पर लगाम लगाएं और स्कूल फीस निश्चित दुकानों पर मिलने वाली मनमानी कीमत वाली किताबों के एवं स्कूल बस शुल्क की नीति का निर्धारण प्रशासन द्वारा पुनः किया जाना चाहिए।
बहर हाल स्कूल  संचालक एवं स्कूल बस संचालक कोरोना की मार एवं महंगी कीमत पर मिलने वाले डीजल का हवाला देकर मनमाना शुल्क पालकों से वसूल रहे हैं लेकिन वास्तविक में कोरोना की मार एवं महंगाई की मार का आम जनता पर भी उतना ही असर हो रहा है ऐसे में प्रशासन को स्कूल बस शुल्क एवं स्कूल फीस, किताबों के शुल्क की नीति का निर्धारण शीघ्र अति शीघ्र किया जाना चाहिए।
 इस संबंध में अपडेट जानकारी के लिए उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से संपर्क नहीं हो पाया।


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