“छोटों पे सितम बड़ों पर रहम”
सभी को जलवा प्रणाम। इन दिनों इस उज्जैन शहर को स्मार्ट बनाने की मुहीम छिड़ी हुई है। हालाँकि इससे शहर स्मार्ट तो कम और अव्यवस्थित ज्यादा दिखाई दे रहा है। इसी मुहीम के तहत शनिवार को नागझिरी क्षेत्र में खूब जम कर बवाल हुआ और 5 लोगों पर शाश्किय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज हुआ तो वहीं पुलिस के एक जवान को लाईन हाज़िर होना पड़ा। आख़िर ये अतिक्रमण होते क्यों हैं ? कैसे होते हैं ? किसकी इजाज़त से होते हैं और मुहीम के समय ही इन पर कार्यवाही का हथौड़ा क्यों चलता है ? बड़े अतिक्रमकों को क्यों रहम का मल्हम लगता है और छोटों पर ही गाज़ क्यों गिरती है ? ये वो सवाल हैं जिन पर मन्थन की ज़रूरत है। जब किसी क्षेत्र में अतिक्रमण होता है तो उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारीयों को पूरी जानकारी होती है। लेकिन महीने की नोटों की बन्दी के कारण सब अपना फ़र्ज भूल जाते हैं और अतिक्रमण कारी निश्चिंतता से अतिक्रमण करके अपनी दुकान बेधड़क चलाने लगते हैं। फिर मुहीम का समय आता है तो हजारों रूपये बाँट चूका अतिक्रमण करने वाला अपना आपा खो बैठता है ऐसे में बेचारा पुलिस जवान जो अपनी नौकरी बजा रहा होता है उसे आक्रोश का सामना करना पड़ता है और कई बार आक्रोशितों के गुस्से में वो घायल होता है और उसे लाईन हाज़िर का सन्ताप झेलना पड़ता है। इस पुरे मामले में ना अतिक्रमण करने वाला दोषी होता है और ना पुलिस के जवान । तो फिर दोषी कौन हुआ ? जी हाँ इसका जवाब है मेरे पास दोषी हुआ नगर निगम का वो बागड़बिल्ला अधिकारी जो उस क्षेत्र का जिम्मेदार था जिसने पहले भृष्टाचार करके घूंस लेकर अतिक्रमण होने दिया और इस कारगुज़ारी में आई काली कमाई उपर तक बांटी। इस तरह की मुहीम का एक चेहरा और देखिये कि छोटे अतिक्रमण पर हाथ साफ करके फोटो छपवाने वाले , बड़े अतिक्रमण पर मौन हो जाते हैं और इन्हीं जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति से बड़े अतिक्रमणकारी मौज उड़ाते रहते हैं। क्यों कि बडों से गड्डी भी बड़ी मिलती हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं इस शहर में जिसमे बड़े बड़े अतिक्रमण आज भी आम आदमी को मुँह चिड़ाते नज़र आते हैं ,सब सेटिंग का गणित है। बड़े अतिक्रमणकारियों को ख़ुद नरक निगम के सुरमा बगड़बिल्ले मोहलत देते हैं कि वो कोर्ट से स्टे ले आए और इसकी कीमत अलग से होती है। टॉवर के सामने की ईमारत पूरी तरह नियम विरुद्ध है , महाकाल घाटी पर बनी ईमारत जिसे एक बार विस्फोटक की मदद से जमीदोस किया गया वो वापस बनी और अब शान से संचालित हो रही है,होटल शांति पैलेस,और अभी हाल ही में प्रकाश में आया गऊघाट स्थित शनि मन्दिर जो शाश्किय भूमि पर है इसके उदाहरण हैं। ऐसे ही कई अवैध कालोनियां भी हैं जो अवैध हैं और जिनकी शिकायतें फाइलों में धूल खा रही हैं। ये तो समय और शब्दों के मद्देनजर यहां कुछ ही उदाहरण दिए हैं नहीं तो ऐसे मामलों पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है। तो जिम्मेदारों को अपनी कमी टटोल कर उसकी मरम्मत की जरूरत है। नहीं तो जैसा चल रहा है चलने दो लेकिन इससे सरकारें गिरती भी हैं और जिम्मेदार सलाखों में भी पहुँचते हैं। अब रुखसत लेता हूँ फिर मिलने के वादे के साथ ,तब तक अपना जलवा बेफिक्री से बरकरार रखें और दुनिया जले तो जलने दें।………
आप में से ही एक जलवेदार…..
जय कौशल
उज्जैन (म.प्र.)
09827560667
