निगम ने सिटी बस किराए पर दी है या बेंच दी ?
लावारिस हालत में शहर के कोने कोने में पड़ी है नगर निगम की सिटी बसें


सिटी बसें निगम के डिपो में खड़ी ना होकर,ड्राइवरों ,सार्वजनिक स्थानों पर लावारिस अवस्था मे पड़ी है
उज्जैन, नगर निगम ने प्राइवेट कंपनी विनायक टूर एन्ड ट्रेवल्स को 83 रुपये प्रति दिन पर किराए से सिटी बस चलाने का अनुबंध किया है नियमानुसार सिटी बस दिन भर चलने के बाद शाम को नगर निगम के डिपो में निगम अधिकारियों की निगरानी में खड़ी करना चाहिए लेकिन आलम यह है कि सिटी बसें शहर के कोने कोने में लावारिस अवस्था में सड़क किनारे खड़ी हुई है सिटी बसों के शहर के कई क्षेत्रों में लावारिस अवस्था में खड़ी होने पर निगम अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लग रहा है निगम में बरसों से एक ही सीट पर चिपके हुए अधिकारी खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं और इनके इस कृत्य से निगम के आला अधिकारी अनभिज्ञ हैं।
गौरतलब है कि नगर निगम द्वारा विनायक टूर एंड ट्रेवल्स को 25 सिटी बस चलाने का टेंडर दिया था बावजूद इसके सिर्फ 10 सिटी बस प्राइवेट कंपनी द्वारा चलाने पर सहमति दी गई और उसमें से भी सिर्फ 5 सिटी बस उज्जैन मैं चल रही है ताज्जुब की बात यह भी है कि नाम सिटी बस है और सिटी बसें चल रही है ग्रामीण क्षेत्रों में जहां से सिटी बस संचालकों को रोज हजारों रुपए की मोटी कमाई होती है और सिटी बस के नाम पर शहर वासियों के लिए सिर्फ एक बस जोकि नानाखेड़ा से देवास गेट ही चलती है, याद रहे कि इन पांच बसों के चलने के बाद ग्रामीण क्षेत्र तराना के बस संचालक ने सिटी बसों के ग्रामीण क्षेत्रों में चलाने पर आपत्ति दर्ज कराई है।
निगम के पास 89 सिटी बस हैं लेकिन वास्तविक में उज्जैन डिपो मैं कितनी सिटी बस उपलब्ध है यह एक जांच का विषय है ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि नगर निगम में बरसों से एक ही जगह काम कर रहे हैं निगम अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच सांठगांठ इतनी मजबूत हो चुकी है जिसका उदाहरण यह है कि नगर निगम की सिटी बसें शहर के कई स्थानों पर लावारिस अवस्था में खड़ी हुई है जबकि नियमानुसार इन्हें निगम के डिपो में खड़ी होना चाहिए, नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं एवं कैमरे के सामने कुछ कहने से बचते नजर आ रहे हैं जबकि इस मामले में नगर निगम के डिपो इंचार्ज की जिम्मेदारी बनती है लेकिन बड़ी पहुंच होने के चलते कार्रवाई से निडर होने के चलते निगम के जिम्मेदार अधिकारी बेखौफ गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली को अंजाम दे रहे हैं निगम के आला अधिकारी को इस विषय में जांच करके सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ।

आलम यह है कि कुछ बसें अंजूश्री होटल के पीछे खड़ी हुई है जिसमें से एक सिटी बस का एक्सीडेंट भी हो चुका है जिसे नगर निगम के डिपो में रिपेयर किया जा रहा है लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि सिटी बस का एक्सीडेंट हुआ कैसे और किसने किया , निगम के आला अधिकारी अनभिज्ञ हैं, यह एक जांच का विषय है। निगम के सिटी बसें नौसिखिया ड्राइवर चला रहे हैं जिसके चलते न सिर्फ निगम की बसें असुरक्षित हैं बल्कि सिटी बसों में बैठने वाले यात्रियों की जान भी जोखिम मैं है नगर निगम की इन सिटी बसों को चलाने वाले ड्राइवरों के लाइसेंस आदि की जांच भी आरटीओ विभाग द्वारा की जानी चाहिए।
नगर निगम के सिटी बसें शहर के कई स्थानों पर लावारिस अवस्था में खड़ी है जिसमें मक्सी रोड शंकरपुर के कई स्थानों पर सिटी बस खड़ी है और कुछ अंजूश्री होटल के पीछे एक्सीडेंट से डैमेज अवस्था में खड़ी है, जबकि निगम की बसों को चले अभी कुछ ही दिन हुए हैं।
इससे पहले नगर निगम ने सिटी बसों को चलाने के लिए अर्थ कनेक्टिविटी से अनुबंध किया था लेकिन लगभग 3 साल गुजरने के बाद भी कई बसों को अर्थ कनेक्टिविटी से नगर निगम ने बसों को हैंड ओवर नहीं लिया है और कुछ बसें आगरा रोड स्थित सांगी ब्रदर्स के शोरूम पर भी पड़ी हुई है नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक अर्थ कनेक्टिविटी पर बसों को हैंड ओवर नहीं किए जाने के चलते लाखों रुपए की पेलंट्री लगाई हुई है ऐसे में सवाल यह उठता है कि बिना बसों को हैंड ओवर लिए नहीं कंपनी को सिटी बसों का टेंडर कैसे दे दिया गया।

बहर हाल नगर निगम के आला अधिकारी को सिटी बसों के संबंध में हो रही अनियमितता के विषय में संज्ञान लेकर की विस्ततृ जांच की जााने की आवश्यकता है अन्यथा करोड़ों रुपए लागत की सिटी बसों को भंगार करने वाले निगम के अधिकारी, ठेकेदारों से सांठगांठ के चलते कुछ बसें तो चलना की स्थिति में बची हैं उन्हें भी शहर के कई स्थानों पर लावारिस इस अवस्था में खड़ी करके एवं नौसिखिया ड्राइवरों के हाथों में देकर पुनः भंगार करने की साजिश की जा रही है, ताकि पुरानी बसों को भंगार के ओने पौने दाम बेंच कर नई बसों को जाने की राह आसान हो सके।
जरूरत इस बात की भी है कि निगम के आला अधिकारी द्वारा निगम के डिपो में खड़ी सिटी बसों की फिजिकल गिनती भी करवाई जानी चाहिए ताकि 89 बसों में से वास्तविक सिटी बसों की वस्तुस्थिति ज्ञात हो सके,वहीँ जिम्मेदार लोगों पर आवश्यक कार्यवाही की जा सके।
