मध्यप्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग को इस विषय में संज्ञान लेकर बच्चों को राहत देने की है आवश्यकता

मध्यप्रदेश बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं चल रही है।
पहले कहा गया था कि एग्जाम नहीं होंगे,होंगे भी तो ऑनलाइन होंगे, हम लोगों को अचानक पता चला कि एग्जाम होने हैं, हमेशा बोर्ड एग्जाम मार्च में होत हैं, लेकिन इस बार फरवरी में ही करवा दिए, सिलेबस का भार तो हमेशा होता है, ऊपर से बोर्ड एग्जाम का भी टेंशन देता है। अन्य सब्जेक्ट का एग्जाम देने के बाद फिजिक्स के पेपर में सिर्फ एक दिन का गैप था तो और ज्यादा स्ट्रेस हो गया क्योंकि इतना सारा सिलेबस कवर नहीं हो पा रहा था, रातभर जाकर पढ़ाई की,पेपर भी अच्छा खासा लेंदी था, यह देखकर और टेंशन बढ़ गई।
पिछले दो साल से कोरोना काल के चलते बच्चों की मानसिकता अनेक प्रकार से प्रभावित हुई है, कई परिवारों ने अपने कई सदस्यों को खो दिया है,स्कूल दो साल से बंद से हैं,शिक्षा पूरी तरह से ऑनलाइन पैटर्न पर टिकी है, पिछले दो साल से परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं, बावजूद इसके इस वर्ष 10 वी 12 वी की परीक्षा ऑफलाइन ली जा रही है ,उसपर शिक्षकों द्वारा पेपर भी टफ सेट किये जा रहे हैं, जिसके चलते बच्चे परीक्षा हॉल में बेहोंश हो रहे हैं।
ऑनलाइन एग्जाम देने के आदी हो चुके छात्र ऑफलाइन पेपर देते हुए काफी डरे नजर आते हैं, छतरपुर में एक 12वीं की छात्रा फिजिक्स का पेपर देने पहुंची,छात्रा पर्चा देखते ही परीक्षा हॉल में बेहोश होकर गिर गई।,छात्रा को आनन-फानन अस्पताल में भर्ती कराया गया,परीक्षा को लेकर इतना डरी हुई है कि अस्पताल में भी उसके हाथ कांप रहे हैं, 18 साल की छात्रा आस्था पाठक के साथ ये घटना सोमवार को हुई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से छात्र छात्राओं का निवेदन है कि उन्हें सफिशिएंट टाइम देना चाहिए , बच्चों पर बर्डन बहुत हो रहा है। एग्जाम का प्रेशर, बर्डन और गैप कम मिलने से मेरी आज ये हालत हो रही है। हम बच्चों को प्रॉपर गैप और टाइम मिलना चाहिए।
छतरपुर में सागर रोड स्थित लोकनाथ पुरम कॉलोनी की 18 साल की छात्रा आस्था पिता हरिश्चंद्र पाठक 12वीं की छात्रा हैं। सोमवार सुबह 10 बजे फिजिक्स का पेपर था। वह सिंचाई कॉलोनी स्थित सरस्वती स्कूल पहुंची थी। पेपर जमा करने के एक घंटे पहले छात्रा को घबराहट हुई। वह बेहोश होकर नीचे गिर गई। केंद्र प्रभारी ने 108 एंबुलेंस को सूचना दी, पर शहर में वाहन मौजूद नहीं था।
ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग को इस विषय मे संज्ञान लेते हुए बच्चों को राहत देने की आवश्यकता है।
