बस ऑपरेटर और निगम  अधिकारियों की मिलीभगत से निगम को लाखों रुपए प्रतिमाह का हो रहा है घाटा

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सिटी बसें सिटी में ना चलते हुए, चल रही है ग्रामीण क्षेत्रों में जहां से ऑपरेटर को हो रही है हजारों रुपए रोज की कमाई उज्जैन की जनता अपने को ठगा सा महसूस  कर रही है उज्जैन, लगभग 2 सालों से अधिक समय के बाद उज्जैन की जनता को शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए सिटी बस चलने की  राहत भरी खबर मिली थी लेकिन 10 सिटी बसें चलना थी जिसमें से बमुश्किल 5 सिटी बसें चालू हो पाई जिनमें से 4 सिटी बसें ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही है और महज एक सिटी बस देवास गेट से नानाखेड़ा के बीच चल रही है ऐसे में उज्जैन की जनता को निराशा ही हाथ लगी है। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों के मुताबिक 10 सिटी बसें चलाने का वर्क आर्डर विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी को दिया गया है जिसमें से 5 सिटी बसें चालू हो पाई है जिनमें 3 सिटी बस तराना उज्जैन रूट पर चल रही है और प्रतिदिन एक बस 3 फेरे लगा रही है इसके साथ साथ एक सिटी बस उज्जैन से शाजापुर के रूट पर चल रही है और सिटी बस उज्जैन सिटी में सिर्फ एक ही चल पा रही है जिसका रूट देवास गेट बस स्टैंड से नानाखेड़ा बस स्टैंड तक है निगम अधिकारियों ने बताया कि तराना के 1 बस ऑपरेटर युसूफ खान पिता इस्माइल खान निवासी बहादुर गली महावीर पथ तराना ने उज्जैन से तराना चल रही सिटी बसों के संचालन पर आपत्ति दर्ज करवाई है सूत्रों से जानकारी के मुताबिक बस आपरेटर ने यह आपत्ति समय को लेकर उठाई है क्योंकि बस ऑपरेटर की कई बसें उज्जैन से तराना के बीच चल रही है और उसी दौरान सिटी बसों के फेरे भी लग रहे हैं। उज्जैन शहर की जनता पिछले 2 सालों से सिटी बस के नहीं चलने से परेशान हो रही थी तपोभूमि से लेकर आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज, शंकरपुर से लेकर भेरूगढ़ नानाखेड़ा से देवास गेट से टावर से छत्री चौक आदि शहर के कई हिस्सों से एक समय में लगभग 40 से 50 सिटी बसें संचालित होती थी जिससे शहर की जनता न सिर्फ कम समय में एक जगह से दूसरी जगह जा पा रहा था वही उसके सिटी बसों के चलते ऑटो के मुकाबले कम पैसे लग रहे थे लेकिन वक्त के साथ-साथ 89 सिटी बसों में से महज 25 बसों को चलाने पर सहमति बनी थी लेकिन नगर निगम के अधिकारियों एवं बस ऑपरेटर की मिलीभगत के चलते सिर्फ 10 बसों का वर्क आर्डर ही हो पाया और हालात यह है कि 10 बसों में से भी सिर्फ 5 सिटी बसें ही शुरू हो पाई है और इन पांच बसों में से 4 सिटी बसें ग्रामीण क्षेत्रों में चलाई जा रही है और महज एक बस वह भी शहर में सिर्फ 2 किलोमीटर देवास गेट से नानाखेड़ा के बीच ही चलाई जा रही है ऐसे में शहर की जनता ने नगर निगम आयुक्त से सवाल किया है कि नगर निगम के सिटी कारपोरेशन के अंतर्गत चलाई जा रही है सिटी बसों के सिटी अर्थात शहर के लिए क्या मायने हैं क्योंकि बसों पर सिटी बस लिखा जा रहा है और चल रही है ग्रामीण क्षेत्र में। सवाल इस बात पर भी उठाए जा रहे हैं कि सिटी बस का संचालन कर रही विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी जिसने सिंगल टेंडर में महज ₹83 प्रतिदिन पर सिटी बस संचालन का टेंडर लिया है लेकिन बावजूद इसके सिटी बस का संचालन शहरी क्षेत्र में ना होकर ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है माना जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बसों के संचालन से अधिक आमदनी होती है जबकि शहर में सिटी बसों का संचालन करने पर ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले आधी भी कमाई नहीं होती है। इस मामले के जानकारों का कहना है कि उज्जैन से तराना या शाजापुर एक सिटी बस एक फेरा लगाती है तो कम से कम1000 रुपया प्रति फेरे बचत होती है इस प्रकार एक बस से प्रतिदिन 3000 रुपए कमाई होती है और वर्तमान में 4 बसें ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित की जा रही है ऐसे में हजारों रुपए प्रतिदिन बस संचालन करने वाली कंपनी को बचत हो रही है और 83 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से नगर निगम को 4 बसों से 300 रुपए के लगभग ही मिल रहा है, ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों और बस ऑपरेटर की मिलीभगत से  टेंडर प्रक्रिया एवं नियमों के फेरबदल से नगर निगम को लाखों रुपए प्रतिमाह का घाटा हो रहा है वही बस ऑपरेटर को लाखों रुपए प्रतिमाह की बचत हो रही है बावजूद इसके उज्जैन की जनता  सिटी बस में बैठने से वंचित हो रही है ऐसे में जनता का सवाल यह है कि आखिर नगर निगम के वह कौन से अधिकारी हैं जो नगर निगम के  अधिकारी होने के बाद भी नगर निगम को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं।
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