
गोवर्धन सागर का मलवा बना नगर निगम के लिए मुसीबत
गढ़कालिका क्षेत्र में कचरा ना डालने के लिए न्यायालय को नगर निगम ने दिया था वचन पत्र
उज्जैन ,सप्त सागरों में से एक गोवर्धन सागर की सफाई का कार्य चल रहा है और विगत कई दिनों से मछुआरों और जेसीबी की मदद से सप्त सागर में उगी जलकुंभी जैसी जंगली घास को हटाया गया नतीजतन सैकड़ों डंपर जंगली घास का कचरा एवं कीचड़ युक्त गाद गोवर्धन सागर से निकली है जिसे नगर निगम डंपर मैं भरकर गढ़कालिका मंदिर क्षेत्र के पास योगीराज पीर मछंदर नाथ की समाधि के पास सिंहस्थ आरक्षित पुरातत्व सुरक्षित क्षेत्र पर अवैधानिक रूप से कचरा डंप किया जा रहा है जबकि संबंधित सिंहस्थ क्षेत्र आरक्षित भूमि होने के चलते माननीय न्यायालय को नगर निगम ने वचन पत्र दीया है जिसमें कहा गया है कि नगर निगम संबंधित क्षेत्र के आसपास 2 किलोमीटर में कचरा नहीं डाला जाएगा, बावजूद इसके नगर निगम इस धार्मिक क्षेत्र में सैकड़ों डंपर कचरा एवं कीचड़ युक्त गाद डालकर पूरे क्षेत्र को प्रदूषित कर रहा है और ऐसा करके नगर निगम द्वारा माननीय न्यायालय को दिए गए अपने वचन पत्र की अवहेलना कर रहा है ।

दरअसल मार्च 2020 में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी जिसके अंतर्गत कहा गया था सिंहस्थ क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक धार्मिक स्थल गढ़ कालिका मंदिर एवं पीर मछंदर नाथ की समाधि के आसपास क्षेत्र में नगर निगम कचरा डालकर क्षेत्र को ट्रेचिंग ग्राउंड बना रखा है जिसके चलते धार्मिक क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है इसके बाद नगर निगम की ओर से अधिवक्ता विजयवर्गीय द्वारा वचन पत्र माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जिसमें कहा गया कि नगर निगम गढ़कालिका एवं पीर मछंदर नाथ के आसपास के 2 किलोमीटर के परी क्षेत्र में कचरा डंप नहीं करेगा।
जिम्मेदार निगम अधिकारियों का कहना है कि गोवर्धन सागर की सफाई के दौरान निकलने वाला कचरा एवं कीचड़ युक्त गाद जोकि नगर निगम के डंपर द्वारा गढ़कालिका मंदिर एवं पीर मछंदर नाथ समाधि के पास के क्षेत्र में डाली जा रही है वह एक निजी जमीन पर डाला जा रहा है जिसकी अनुमति जमीन मालिक द्वारा दी गई है।
लेकिन शासकीय कागजों की मानें तो उक्त भूमि पुरातत्व विभाग की सिंहस्थ आरक्षित पुरातत्व सुरक्षित भूमि है जिसके लिए नगर निगम लिखित में वचन पत्र कचरा ना डालने के लिए माननीय उच्च न्यायालय को प्रेषित कर चुका है।

नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने लोगों को बरगलाने के लिए यह तर्क दिया है कि यह एक जैविक खाद है और जैविक खाद डालने से जमीन को फायदा होगा लेकिन क्षेत्रीय निवासियों ने इसका घोर विरोध किया है लोगों का कहना है कि जंगली घास और बदबूदार कीचड़ युक्त गाद क्षेत्र में डालने से पूरा क्षेत्र बदबू एवं गंदगी से सराबोर हो चुका है ।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि अगर यह बदबूदार कचरा नगर निगम को जैविक खाद्य नजर आता है तो वह अन्य कृषि क्षेत्र में खेतों में डलवाए ताकि किसानों को इस खाद से लाभ मिल सके क्षेत्र वासियों ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक हस्तक्षेप रखने वाले लोगों द्वारा उक्त क्षेत्र में भराव करके अवैध निर्माण किया जाने की संभावना है जबकि सिंहस्थ क्षेत्र मैं ऐसा करना असंवैधानिक होगा।
बहरहाल पिपली नाका एवं आसपास के क्षेत्र वासियों द्वारा जिला कलेक्टर एवं निगम कमिश्नर से अपील की जा रही है कि उक्त कचरा क्षेत्र से तुरंत प्रभाव से हटवाया जाए अन्यथा क्षेत्रवासियों द्वारा माननीय न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाएगी जिसमें नगर निगम द्वारा उक्त क्षेत्र में कचरा फेंकने वाले वचन पत्र का हवाला दिया जाएगा और नगर निगम द्वारा कचरा ना हटाने पर माननीय न्यायालय से निगम के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही की मांग की जाएगी।

