वन विभाग के चीतों ने दो कश्मीरी तोते और बहोत सारे कछूए जप्त कर संचालक को गिरफ्तार किया

एक बार फिर मैं हाज़िर हूँ आप सुधि जल्वेदारों का *”जलवा”* लेकर….एक पुरानी कहावत है *”चोर की दाढ़ी में तिनका”*….जिसे सोमवार सुबह हमने साक्षात चरितार्थ होते हुए देखा…वो भी एक खाकीधारी के द्वारा इसका खुला प्रदर्शन था…इस जंगली(वन) अधिकारी ने ना जाने क्यों मीडिया को कवरेज़ से रोका ही नहीं बल्कि मीडिया के कई दशकों(सीनियर फोटो जर्नालिस्ट) के प्रहरियों को खुली धमकी तक दे डाली…अब ये बौखलाहट आख़िर क्यों हुई और इसका क्या सबब था…ये तो ख़ाकी की साख दांव पर लगाने वाली वो अधिकारी और उनका अंतर्मन ही जाने …..लेकिन जिसने भी ये कारगुजारी देखी- सुनी वो शंका और कुशंका में गोते लगाए बग़ैर नहीं रह सका…और मेरा दावा है कि आप सुधि भी वो चलचित्र देख कर ये करने से नहीं बच पाएंगे…क्या ये मसला पाक और नापाकगिरी का गठबंधन था???….जिससे एक ख़ाकीधारी ने ख़ाकी की साख की परवाह तक नहीं की…..
*ख़ाक और साख़….*
दरअसल सोमवार की सुबह सुबह वन विभाग की गाड़ी दनदनाती हुई इंदौर रोड पर वेद नगर मुख्य मार्ग पर मॉडल स्कूल के सामने *”रंगीन मछली घर”* नामक दुकान पर पहुंची…और छापा मारने की नियत से ये टीम यहाँ आई थी…लेकिन दुकान पर ताला लटका देख इन्हें मायूसी हाथ लगी…फिर दुकान के साइनबोर्ड में अंकित फोन नम्बर पर टीम के सदस्यों ने दुकान संचालक को बुलवाया…क़रीब डेढ़ घण्टे बाद डरा सहमा दुकान मालिक वहाँ पहुंचा तो वह विभाग के खतनाक कर्मचारियों ने उसकी दुकान की सर्चिंग शुरू कर दी…इसी दौरान इस पूरी घटना का कवरेज़ करने मीडियाकर्मी भी वहाँ पहुंच गए और फोटो वीडियो बनाने लगे…तब तक किसी को कोई समस्या नहीं थी कि तभी संचालक से गुफ्तगूं कर रही अचानक ही रेंजर झा ने मीडिया कर्मियों से अपना आपा खो दिया और गुस्से से गुस्साई रेंजर ने कवरेज़ करने से रोकते हुए उन्हें धमकी दे डाली…. रेंजर झा ने मीडिया को धमकाया कि *”मैं तुम लोगों पर शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज करवाउंगी”* इस पर मीडियाकर्मियों ने कवरेज़ पूरा निपटाया और वहाँ से चले गए…यहाँ ख़ाकी की साख पर आँच आती आती रह तो गई लेकिन फिर भी इस साख पर संदेह का धब्बा तो लग ही गया है…भले ही मजबूरीवश ही सही उस दुकानदार पर कार्यवाही हुई हो लेकिन मीडिया की साख को तो बट्टा लगाने से नहीं चुकीं डेंजर रेंजर…..
*डेन्डू- पनियल और हीरोपंती…*
अब बात करते हैं इस विभाग की जो आमतौर पर जब भी कभी *डेन्डू- पनियल* पकड़ लेते हैं ….तब भी ये फोटोछपास अधिकारी कर्मचारी मीडिया को बुला कर फोटो वीडियो करवा कर अख़बार और चैनल की सुर्खियां बटोरने में सफल रहते हैं…इन्हें ज़ीरो से हीरो यही मीडिया बनाती है महज़ इनके *डेन्डू और पनियल*(ये सांप की कुछ वो प्रजाती है जो सांप के धब्बा होती हैं मायने ये कि बिल्कुल भी ज़हरीली नहीं होती) को पकड़ने पर….और इन की हिमाक़त देखिए कि ये उसी मीडिया को आँखें दिखाने और धौंस-डपट करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं….
*दो तोते और बहोत सारे कछूए….*
इस कार्यवाही के दौरान वन विभाग के चीतों ने यहाँ से दो कश्मीरी तोते और बहोत सारे कछूए जप्त कर संचालक को गिरफ्तार किया है…सूत्रों (वन विभाग के ही सूत्रों) का कहना है कि इस तरह की कार्यवाही पिछले तीन दिनों से शहर में चल रही है जिसमें मैडम औचक निरीक्षण करके सबको भौचक कर रही हैं…लेकिन कार्यवाही सोमवार को ही हो सकी … वो भी डरे सहमे मीडिया के समक्ष…लेकिन एक बात समझ नहीं आ रही है कि डीएफओ और अन्य आला अफसरान को इस तरह की कार्यवाही की कोई जानकारी ही नहीं है तो ये कैसे?????दूसरा जब मीडिया कवरेज़ कर रही थी तो रेंजर मैडम का इस तरह आग बबूला होना समझ से परे है???? और जाते जाते गाड़ी में बैठे बैठे ये बोलना कि *”मीडिया को कुछ मत बताना”* जो वीडियो में दर्ज हो गया…तो मैडम आख़िर मीडिया को क्या बताने से मना कर रही थीं?????…ऐसे कई सवाल संदेह शंका शुबा को जन्म दे रहे हैं….कहीं ये चोर की दाढ़ी में तिनका तो नहीं….
*सफाई….*
इस मसले पर जब रेंजर झा से चर्चा करनी चाही तो उनका मोबाईल रेंज से बाहर ही मिला…लेकिन पोर्टल इंटरव्यू में वो ये सफाई देती नज़र आईं कि *”मीडिया से कोई विवाद नहीं हुआ उनका और उन्होंने कानून के पालन के लिए ही मीडिया को कवरेज़ से रोका था”….*
चलो एक बार उनका ये कहना भी मान लें तो विभाग की गाड़ी में बैठे बैठे उनका मीडिया को कुछ नहीं बोलने वाला वीडियो क्या है इस पर क्या सफाई है???? खैर हम तिल का ताड़ नहीं बनाना चाहते हैं लेकिन इन महोदया को ये समझ लेना चाहिए कि इस विभाग में इतनी लू पोल और घपले घोटाले हैं कि अगर मीडिया इनके खुलासों में लग जाए तो ख़ाकी की साख़ ही नहीं रहेगी…और सबके तोते उड़ते नज़र आ जाएंगे…..
*जिले के मुखिया से मिली मीडिया…..*
जब रेंजर मैडम की डेंजर धमकी मिली तो मीडियाकर्मी कलेक्टर महोदय को ढूंढते हुए पुलिस कंट्रोल रूप पहुंचे और पुलिस कप्तान की मौजूदगी में कलेक्टर साहब से गुहार लगाई कि डेंजर रेंजर की बात मान कर मीडियाकर्मियों पर शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज ना कर लिया जाए….क्योंकि उज्जैन पुलिस और प्रशासन मीडियाकर्मियों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं और बीते डेढ़ सालों में मीडियाकर्मियों पर झूठे मनमाफ़िक मुक़दमे लादे गए हैं और बाद में अपनी करनी पर दुःख तक नहीं हुआ कर्णधारों को….
अब देखना है कि डेंजर रेंजर की कारगुजारियां थमेंगी या ऐसे ही जारी रहेंगी…और आगे और कौन इनका कोप भाजन बनता है…सब अर्थ के खेले का अनर्थ है….
चलो अब चलता हूँ फिर मिलने के वादे दावे के साथ…तब तक आप सुधि अपना जलवा क़ायम रखें…दुनिया जले तो जलने दें…
पत्रकार
जय कौशल
उज्जैन (म.प्र.)
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