स्मार्ट सिटी योजना में हो रहा है करोड़ों का भ्रष्टाचार -माया राजेश त्रिवेदी
उज्जैन, करोड़ों की लागत से बनी बहुमंजिला महाकाल धर्मशाला जिसमें दर्जनों सर्व सुविधा युक्त कमरे एवं हॉल बने हुए थे शासन की स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जमींदोज कर दिया गया जिसमें पूरे भारत से कई दानदाताओं ने लाखों रुपए दान राशि देकर योगदान दिया गया था उसी क्रम में महाकाल धर्मशाला के सामने बना भव्य महाकाल प्रवचन हॉल भी प्रशासन तोड़ने का काम आज तमाम विरोध के बावजूद तोड़ना शुरू कर दिया गया,गौरतलब है कि इस स्थान पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत उज्जैन विकास प्राधिकरण यहां वाटिका बनाएगा जिसके स्थानीय निवासियों द्वारा घोर विरोध किया जा रहा था, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को जनता के पैसों का दुरुपयोग नहीं करने देंगे और महाकाल प्रवचन हॉल को किसी भी सूरत में तोड़ना नहीं दिया जाएगा लेकिन प्रशासन ने उज्जैन के लोगों की भावना और तमाम दानदाताओं के सहयोग से बना महाकालेश्वर मंदिर प्रवचन हाल एवं धर्मशाला को जमींदोज करने का काम किया ।
पूर्व पार्षद माया राजेश त्रिवेदी ने बताया कि मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट किसी दिवालिये ने तैयार किया है क्योंकि जो करोड़ों की लागत से बने हुए भवन निर्माण कार्यों को तोड़कर लोगों के खून पसीना से बनाए गए घरों और दुकानों को तोड़कर वहां वाटिका बनाना चाहता है उसे दिवालिया ही कहा जाएगा लेकिन अब तक हमने बर्दाश्त कर लिया और हम विकास के साथ हैं महाकालेश्वर मंदिर के पीछे रुद्र सागर में चल रहे विकास कार्यों से हमें कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि वहां किसी निर्माण कार्य को तोड़ा नहीं जा रहा है लेकिन जहां तक बात महाकाल प्रवचन हॉल, धर्मशाला तोड़कर वहां बगीचा बनाने का हम पुरजोर विरोध करते हैं और यह विरोध प्रदर्शन आने वाले समय में तेज होगा प्रशासन को अब विकास के नाम पर विनाश करने नहीं दिया जाएगा और उसके लिए हम सब एकजुट हैं महाकाल के सामने सड़क पर बैठकर धरना प्रदर्शन कर आने वाले दिनों में विरोध किया जाएगा।
पूर्व पार्षद माया राजेश त्रिवेदी ने कहा कि तत्कालीन नगरी प्रशासन मंत्री राजवर्धन सिंह के समक्ष भी हमने महाकाल मंदिर के आसपास होने वाले निर्माण कार्यों के विषय में अपनी बात रखी थी और मंत्री जी से कहा था कि इस प्रोजेक्ट में स्थानीय लोगो, प्रमुख अखाड़ों के संत,एवम बुद्धिजीवियों से राय मशवरा लिया जाना चाहिए इस प्रोजेक्ट में कहां क्या बनना है इसकी समुचित जानकारी उस समय के तत्कालीन मंत्री को भी नहीं थी ऐसे में ऐसा संभव है कि महाकालेश्वर मंदिर के आसपास चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट मैं कई तरह के बदलाव बाद में कर दिए गए है लेकिन इन बदलावों को सार्वजनिक नहीं किया गया है प्रशासनिक नुमाइंदे अपने मन से आनन-फानन में मीटिंग करके मनमाने ढंग से प्रोजेक्ट में बदलाव कर रहे हैं ।
