

उज्जैन, इसे महज़ इत्तेफाक कहेंगे कि बुधवार को गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिवस पर महाकालेश्वर मंदिर के द्वार पर स्थित माता सती के ऐतिहासिक एवं प्राचीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित माता सती की विदाई हो गई, हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि माता सती ने अपने आप को हवन कुंड में भस्म कर लिया था, तब स्वयं भोलेनाथ भी उन्हें नहीं बचा पाए थे, कुछ इस तरह की ही पुनरावृति आज फिर बाबा महाकाल के दरबार में हुई, जब बाबा महाकाल के मंदिर के मुख्य द्वार पर सैकड़ों वर्षो पूर्व बने मंदिर में विराजित माता सती की प्राणप्रतिष्ठित मूर्ति को विस्थापित कर ,मंदिर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया।
मंदिर तोड़ने पर प्रशासनिक अधिकारियों का तर्क
मूलचंद जोनवाल ,सहायक प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर ने बताया कि महाकाल मंदिर परिसर विस्तार योजना के अंतर्गत माता का मंदिर आ रहा था इसलिए मंदिर में स्थित माता सती की मूर्ति को महाकालेश्वर मंदिर परिसर के अंदर जूना महाकाल मंदिर क्षेत्र में स्थापित किया गया है जहां भविष्य में मंदिर बनाए जाने की संभावना है।
गोविंद दुबे एसडीएम ने बताया कि पुरातत्व संचालनालय के तकनीकी दल के पर्यवेक्षण में साइंटिफिक डेबरिस क्लेरेंस का कार्य किया गया,इसमें 11 वीं सदी के विशाल मंदिर के अवशेष प्रकाश में आए हैं ,उक्त पुरातन विशाल मंदिर का गर्भगृह अभी भी मलबे में दबा होने से इसकी सफाई की जाना आवश्यक है ,मलबे के ठीक ऊपर बने हुए सती माता के चबूतरे को इस आवश्यक कार्य के लिए स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध पुरातत्व विभाग द्वारा पत्र लिखकर किया गया ।
पंडित चेतन शर्मा, पुजारी सती माता मंदिर ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें सूचना दी गई की महाकालेश्वर मंदिर विस्तार योजना के अंतर्गत मंदिर को तोड़कर मंदिर में स्थित सती माता की मूर्ति को अन्य स्थान पर स्थापित किया जाना है ऐसे में प्रशासन के आदेश पर सती माता की मूर्ति का विस्थापन किया जा रहा है ,पीढ़ी दर पीढ़ी से हमारे पूर्वज इस मंदिर की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं, बाबा महाकाल जब भी नगर भ्रमण पर शाही सवारी के रूप में निकलते हैं तब महाकालेश्वर मंदिर के द्वार पर स्थित मंदिर में विराजित माता सती से मिलकर जाते हैं।
लेकिन महाकालेश्वर मंदिर की शिव एवं सती के मिलन की यह ऐतिहासिक परंपरा महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार योजना के चलते अब खत्म हो गई।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार योजना के अंतर्गत जानकारी है कि महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार का चौड़ीकरण किया जाना है और यहां एक भव्य द्वार का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है और महाकालेश्वर मंदिर के भव्य मुख्य द्वार के निर्माण कार्य में यह सती माता का मंदिर बाधा बन रहा था, जिसके चलते इस मंदिर को हटाया गया है।

महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर सती माता मंदिर के पास एक हनुमान जी का मंदिर भी स्थित है महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार निर्माण कार्य करने के चलते इस मंदिर को भी हटाने का प्रयास किया गया लेकिन पीपल और बढ़ के वक्ष की जड़ों ने हनुमान जी की प्रतिमा को इस कदर जकड़ लिया कि प्रतिमा को अपने स्थान से हटाना संभव नहीं हो पाया शास्त्रों में कहा गया है कि हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति को हटाना संभव नहीं है ,जिसके चलते प्रयास करने पर हनुमान जी की मूर्ति कई जगह से खंडित हो गई, गौरतलब है कि इस मंदिर के नीचे पुरातत्व विभाग ने किसी तरह के पुराने मंदिर के अवशेष होने का कोई दावा नहीं किया है, ऐसा कहा जा रहा है कि यह मंदिर भी महाकालेश्वर मंदिर विस्तार योजना के अंतर्गत आ रहा है।
सती माता के अति प्राचीन मंदिर को हटाए जाने की आशंका को लेकर पूर्व में कई धार्मिक संगठनों ने मंदिर के विस्थापन का विरोध किया था जिसके चलते इस मुहिम को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था ,इससे पूर्व महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन ने मंदिर परिसर में स्थित

भगवान शिव के गण कहे जाने वाले भगवान वीरभद्र की मूर्ति को भी अपने स्थान से हटाकर महाकालेश्वर मंदिर परिसर में अन्य स्थान पर स्थापित किया जिसका धार्मिक संगठनों ने घोर विरोध किया था ।
माता सती की मूर्ति के विस्थापन के संबंध में संत
समाज एवं धर्माचार्यों का मत
स्वस्तिक पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत डॉ अवधेश पुरी महाराज ने बताया कि किसी भी मंदिर में किसी देवी देवता की मूर्ति को विराजित किया जाता है तब हिंदू धर्म के रीति रिवाज एवं शास्त्र सम्मत विधि विधान से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, अव्वल तो किसी भी मूर्ति को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के बाद हटाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ होता है मूर्ति में स्वयं ईश्वर का विराजमान होना लेकिन किन्ही कारणों से अगर मूर्ति के विस्थापन की आवश्यकता होती है उस परिस्थिति में पहले प्रतिमा के लिए मंदिर का निर्माण कार्य किया जाता है तदुपरांत शास्त्र सम्मत विधि विधान से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है लेकिन सती माता मंदिर से माता सती की प्रतिमा का विस्थापन किया गया एवं उनकी मूर्ति को बिना मंदिर के निर्माण कार्य किए एक खुले स्थान पर रख दिया गया, यह महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन का एक अनुचित कदम है।
बहरहाल महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार योजना एवं स्मार्ट सिटी योजना के तहत महाकालेश्वर मंदिर के आसपास 600 करोड़ रुपए के विकास कार्य किए जा रहे हैं, ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर परिसर में अभी और भी कई विकास कार्य किए जा सकते हैं।
