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उज्जैन नरकनिगम (नगर निगम) के कर्णधारों के कारनामें जगज़ाहिर हैं…. इस फ़ेहरिस्त में एक और कारनामें ने इनकी करतूत पर सोचने पर मजबूर कर दिया है…दरअसल अब ये शहर को संभालने वाली संस्था दूसरों के रहमोकरम पर अपने अस्तित्व को बचाने में लग गई है…क्योंकि उपर से खस्ताहाल जिसका खजाना खाली है…जो शहर के विकास के कार्यों में अपना पूरा परिश्रम और तन मन धन लगाने वाले ठेकेदारों को उनका मेहनताना देने में लाचार है और उसी के चपरासी से लगा कर उपरी हुक्मरान गले गले तक भरे पड़े हैं…तो ये कैसे हो रहा है…ख़ैर हम मुद्दे पर आते हैं…अब कोई भी व्यक्ति संस्था जो गलत काम कर रही हो जिस पर एक नहीं कई कई बार जुर्माने लगे हों वो दागी बस थोड़ा सा दान नरकनिगम(नगरनिगम) उज्जैन को करके सारे पाप तो धो ही सकते हैं साथ ही नाम की कंगाल संस्था से अपना विज्ञापन भी करवा सकते हैं…वो भी बिल्कुल मुफ़्त में….
तंगहाली और दान का दाग….
मसला कुछ यूं है कि फ्रीगंज स्थित पाकीजा शोरूम के संचालक की ओर से नगर निगम को 5000 कपड़े की थैली बनवाकर नागरिकों को निशुल्क वितरण कराने के लिए दी गई हैं….इस थैली पर एक ओर एक स्लोगन है “प्लास्टिक से दूरी झोला है जरूरी” और दूसरी ओर पाकीज़ा शो रूम का विज्ञापन है…जिसे देख ही लगता है कि अब उज्जैन नगर निगम के कर्णधार किस राह पर चल पड़े हैं…थैली के दूसरी ओर एक ऐसी निजी संस्था दुकान का विज्ञापन है जो कई बार अनियमितता के चलते इसी नगरनिगम के कोप का भाजन बन चुकी है और मोटा जुर्माना तक ठुका है इस पाकीज़ा पर…और आज नगरनिगम के हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि उसे इस तरह की कारगुजारी करनी पड़ रही है आर्थिक बोझ से बचने के लिए….????…
आख़िर इस कारगुजारी की जरूरत क्यों….
ये विचित्र कारगुजारी चिंतनीय और हास्यास्पद सी है…प्लास्टिक से मुक्त अभियान चलाना अच्छी बात है…पर यह खुद के बूते पर चलाई जाती तो कोई बात होती….लेकिन किसी संस्था के द्वारा दान में दी गई और उस पर संस्था का नाम कारगुज़ारों की मानसिकता का बखान खुद कर रहा है… नगर निगम खुद घर-घर जाकर संस्था का प्रचार फ्री में करेगी…..नगर निगम कोई प्राइवेट संस्था नहीं है….इस अभियान में निगम अपने कर्मचारियों को भी खपाएगी….
नम्बर वन का सपना देखने वालों…नम्बर वन वालों से ही सिख लेते….
ऐसे बेतुके निर्णय लेने से पहले जिम्मेदारों को गम्भीरता से सोचना तो था…नम्बर वन का सपना देखने वालों कम से कम नम्बर वन वालों से ही कुछ सिख लेते…हाल ही में स्वच्छ इंदौर में प्लास्टिक से मुक्त अभियान के लिए कलेक्टर, सांसद,विधायक और अन्य सामाजिक संस्थानों ने खुद सिलाई मशीन हाथ से चलाकर कपड़े के झोले बना कर जोर शोर से वितरण किए गए थे….जिस पर ये लिखवाया गया था कि “मैं हूंझोलाछाप इंदौरी”… इस झोले पर किसी संस्था का नाम नहीं था…और उज्जैन नरकनिगम (नगर निगम) ने इस से सीख लिए बग़ैर फ्री का माल बटोर कर प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाने निकल रहे हैं….
पाकीज़ा का नापाक इरादा….
वैसे पाकीजा को पता था कि इंदौर में हमारी दाल नहीं गलेगी इसलिए उसने उज्जैन की ओर रूख़ किया और यहाँ थैली छपवाकर भिजवा दी और बेचारी गम्भीर तंगहाल उज्जैन की नगर निगम ने इसके लिए तुरंत आनन फ़ानन में हामी भी भर दी….वाह रे निगम के ज़िम्मेदार हुक्मरानों गज़ब के मंदबुद्धि हो…वैसे इस सरकारी संस्था में सब अजब गज़ब ही चलता आया है और शायद ऐसे ही चलता रहेगा…खुद की खैराती (सरकारी) ज़मीनों के कब्ज़े धारियों के आगे अपने जमीरों के सौदे करके उन्हें छुट्टा छोड़ देते हैं…और खस्ताहाली का रोना रोते रहते हैं…
जिम्मेदारों को चाहिए कि इस प्रकार की शर्मिंदगी वाली हरकतों से बाज आकर खुद शर्मसार होने से बचें और सरकारी संस्थान को भी अपने निजी स्वार्थ से बचा कर रखें…
जो करना वो करो….
अगर प्लास्टिक से मुक्त अभियान चलाने कि इतनी ही निक्कमी नगर निगम की इच्छा है तो आज भी प्रतिबंधित थैली फल- फ्रूट,सब्जी ठेलों और कई दुकानों पर बेरोकटोक बट रही हैं…एक अरसा बीत गया कोई कार्रवाई नहीं हुई….दिखावटी और वसूली की कार्यवाही को छोड़ कर…थोक में अन्य प्रदेशों से बसों और अन्य माध्यम से रात-बिरात प्रतिबंधित थैलियां शहर में आयात होकर थोक व्यापारीयों के माध्यम से मार्केट में सप्लाई की जा रही हैं….इन सब से खबरदार होते हुए भी नगर निगम बेखबर है क्योंकि सब कुछ बैलेंस है….असल में प्लास्टिक से मुक्त अभियान तभी कारगार हो सकता है जब शहर में थोक बंद बसों से आने वाला माल जब्ती की कार्रवाई की गिरफ़्त में होगा….
चलिए अब चलता हूँ दुआओं में याद रखना…फिर मिलता हूँ तब तक आप सुधि अपना जलवा क़ायम रखें…दुनिया जले तो जलने दें….
जय कौशल
उज्जैन (म.प्र.)
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