मास्टर प्लान पर अखाड़ों के संतों से रायशुमारी नहीं करने पर संत समाज में नाराजगी व्याप्त

उज्जैन, मास्टर प्लान 2035 को लेकर लगाई गई 250 से ज्यादा आपत्तियां सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन को लेकर है, इनमें भी सबसे ज्यादा सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी क्षेत्र की जमीन को आवासीय व मिश्रित आवासीय घोषित करने के प्रस्ताव को लेकर है, इन आपत्तियों का क्या निराकरण किया गया यह अभी शासन प्रशासन द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया है नाही इस संबंध में अखाड़ों के संतों से कोई विचार विमर्श किया गया जिसके चलते संत समाज में नाराजगी देखी जा रही है।
गौरतलब है कि सिंहस्थ क्षेत्र करीब 150 हेक्टेयर में से आधी से ज्यादा जमीन मुक्त करने का प्रस्ताव किया है, यदि यह जमीन सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त हो जाती है तो यहां बड़ी कॉलोनियां, बाजार आदि विकसित होंगे, इसका नुकसान यह है कि सिंहस्थ-2028 में इसकी जगह दूसरी जमीन तलाशना होगी।
सिंहस्थ 2016 में लगभग 3500 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया गया था जबकि आने वाले 2028 सिंहस्थ के लिये प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार 4000 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी ,सिंहस्थ क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण की समस्या को देखते हुए तत्कालीन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने शासन को आपत्ती दर्ज कराई थी।
क्या है संतो का कहना

निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद जी महाराज ने बताया कि शासन प्रशासन को सिंहस्थ क्षेत्र से जुड़े मास्टर प्लान के बारे में संतो को विस्तार से जानकारी देना चाहिए संतो को विश्वास में लिए बगैर किसी भी मास्टर प्लान को लागू करना ठीक नहीं होगा इससे पहले भी शासन प्रशासन द्वारा महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार योजना में भी संतो को भरोसे में नहीं लिया गया था।
पीर महंत सुंदर पुरी महाराज दत्ता अखाड़ा, ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन उज्जैन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा उज्जैन का मास्टर प्लान के संबंध में संतो को किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन निकट भविष्य में सिंहस्थ क्षेत्र के संबंध में संतों की आवश्यक बैठक होना है इस बैठक में सिंहस्थ क्षेत्र के अंतर्गत मास्टर प्लान मैं शासन ने क्या बदलाव किए हैं उसकी संपूर्ण जानकारी संत समाज को शासन द्वारा दी जाए इसके लिए सभी संतो से रायशुमारी की जाएगी।

स्वस्तिक पीठाधीश्वर के क्रांतिकारी संत अवधेश पुरी महाराज ने बताया कि 1992 से लेकर 2016 के सिंहस्थ तक लगभग दो गुना क्षेत्रफल की आवश्यकता पड़ी है उज्जैन के मास्टर प्लान आने वाले 100 साल तक सिंहस्थ को लेकर समस्त संभावना को देखते हुए बनाना चाहिए ,सिंहस्थ का महत्व क्षिप्रा नदी से है, इसलिए मंगलनाथ से लेकर त्रिवेणी तक नदी के आसपास क्षेत्र को सिंहस्थ के लिए सुरक्षित कर देना चाहिए और पूरे क्षेत्र का समुचित सीमांकन किया जाए ताकि भविष्य में सिंहस्थ क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण ना हो, शासन प्रशासन को बैठक का आयोजन कर समस्त अखाड़े के संतो सिंहस्थ क्षेत्र से जुड़े मास्टर प्लान की विस्तृत जानकारी देना चाहिए संतो को विश्वास में लिए बगैर शासन कोई निर्णयसिंहस्थ क्षेत्र के लिए लेता है तो यह संतों का अपमान कहलाया जाएगा।

बहरहाल मास्टर प्लान को लेकर दावे-आपत्तियों को लेकर बुलाई बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव और विधायक पारस जैन के बीच मतभेद उभरे थे, सांसद अनिल फिरोजिया दिल्ली में होने से बैठक में नहीं आए, मास्टर प्लान में बिंदु क्रमांक 7.7 पर जीवनखेड़ी व कस्बा उज्जैन तथा सांवराखेड़ी व कस्बा उज्जैन की जमीनों को लेकर आवासीय, मिश्रित आवासीय, सार्वजनिक व अर्द्ध सार्वजनिक करने का प्रस्ताव है।
कॉलोनाइजरों की नजर चिंतामण रोड से होते हुए बड़नगर रोड तक है, इस कारण माना जा रहा है कि कॉलोनाइजरों के दबाव में मास्टर प्लान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है, कॉलोनाइजरों के दबाव में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है,इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि इतने बड़े विरोध के बावजूद यह प्रस्ताव लागू हो जाए,150 हेक्टेयर में से आधी जमीन को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त कर आवासीय व मिश्रित उपयोग का प्रस्ताव है।
