दिल्ली की कंपनी ओमैक्स ने फैलाया मायाजाल….झांसे में आए लोग असमंजस में….

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कृषि भूमि पर बग़ैर शासकीय स्वीकृति के सब्जबाज दिखा कर अब तक कर लिया करोड़ों का कारोबार…

फ़र्जी विज्ञप्ति अगर सही तो भी फंसे ओमैक्स के कर्णधार

झाँसेबाजों से ठगाए शिकायत के लिए तैयार

जय कौशल

उज्जैन…..दिल्ली की एक कन्स्ट्रक्शन कंपनी श्री विनायक सर्विस ने उज्जैन के देवास रोड स्थित नागझिरी क्षेत्र में लालपुर के समीप मायानगरी का मायाजाल बिछाया है जिसका नाम रखा है ओमैक्स सिटी। इस मायाजाल में शहर के कई भोले भाले उपभोक्ता झांसे में आ कर करोड़ों रुपए फंसा चुके हैं…दरअसल इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह की सख़्ती से भाग कर उज्जैन की ओर इस कंपनी ने रूख़ किया और अपने झांसे का जाल फैला कर लोगों को ठगने की कारगुजारी को अंजाम दे डाला…इंदौर की तर्ज़ पर डाउन शिप बसाने के सब्ज़बाग दिखाने वाली श्री विनायक कम्पनी ने लोगों को फंसाने के लिए फ्रीगंज टॉवर के सामने एलएम कॉम्प्लेक्स में बाकायदा ऑफिस खोल कर इस झाँसेबाजी को अंजाम दिया जा रहाहै। यहाँ से 20 बाय 40 के भूखंडों की बुकिंग की जा रही है वहीं स्पॉट लालपुर पर भी एजेंट बुकिंग करने में लगे हुए हैं। 5 लाख की राशि लेकर बुकिंग की जा रही है और आश्चर्य इस बात का है कि खरीदी गई ज़मीन से अधिक भूखंड बाज़ार में बेचे जा रहे हैं जिससे बाद अगर कॉलोनी कट भी गई तो खरीदारों में विवाद होने लाज़मी हैं। 20×40 का प्लॉट 1400 रुपए स्केयर फिट के हिसाब से 11 लाख 20 में बेचे जा रहे हैं और एडवांस 5 लाख जमा करवा कर शेष राशि किश्तों में वसूली जाएगी।

नियम कायदे सब तांक पर…

पहले तो यहाँ ये स्पष्ठ कर देना बेहतर होगा कि ओमैक्स सिटी खांका पूरा ही अवैध है क्योंकि भूमि की रजिस्ट्री नहीं,नामान्तरण नहीं,नगरनिगम की परमिशन नहीं,विकास अनुमति नहीं,कॉलोनाइजर लायसेंस का अता पता नहीं, रेरा नहीं,टीएनसीपी नहीं,। सब कुछ दलालों के हाथ में है पूरी तरह अवैध ओमेक्ससीटी की कीमतों को दलालों ने मोटी दलाली के चक्कर में रातों रात आसमान की हवा लगा दी है। जबकि रेरा का नियम है कि जब तक कॉलोनी पूरी तरह डेवलप नहीं हो जाती उसकी बुकिंग करना धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है ऐसे में कॉलोनी काटने वाले जल्द ही फंसेंगे और उपभोक्ताओं को भी फँसाएंगे।उपभक्ताओं को इंदौर की ओमैक्स सिटी के फोटो से सुसज्जित ब्रोशर दिखा कर यहाँ बड़ी टाउनशिप का सपना दिखाने वाले झाँसेबाज जेल की हवा जरूर खाएंगे जैसे ॐ साईं ॐ और अन्य मामलों के जालसाज जेल में आराम फरमा रहे हैं।

इस ज़मीन का है मसला

दरअसल नागझिरी देवास रोड लालपुर की भूमि सर्वे क्रमांक 94/1, 94/2/1, 94/2/2, 94/2/3, 94/2/4, 95/1, 95/2, 95/3 की कुल रकबा 20.242 ज़मीन पर उक्त ओमैक्स सिटी काटी जा रही है। जो इंदौर के सिक्योर रिटेल सप्लायर्स के नाम से 2005 से 2022 तक इंद्राज है जिसमें अभी ओमैक्स सिटी से खरीदी बिक्री का कोई ज़िक्र नहीं है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी किस तरह का फ्रॉड करने की जुगत में भिड़ी हुई है।बग़ैर किसी प्लानिंग के और कॉलोनाइजर ने कितनी ज़मीन खरीदी है इसका भी अब तक कुछ अता पता नहीं है। ऐसे में सिर्फ़ कागजों पर सब्ज़बाग दिखा कर ओमैक्स के जिम्मेदारों ने 350 करोड़ का कारोबार तो खड़ी फसल पर ही कर लिया है।

शासन और लोगों को चुना लगाने वाली कथित फ़र्जी टाउनशिप ओमैक्ससिटी की जगह अभी तो फसल खड़ी है।और रेरा और अन्य नियम कायदों को तो ये इठलाती फसल ही मुंह चिढ़ाती नज़र आ रही है। शासन प्रशासन के जिम्मेदार भी धृतराष्ट्र बने सब कुछ देख सुन और सिर्फ़ पढ़ रहे हैं।

ज़मीन पर हो रही खेती

शिकायतकर्ता पहुंचने लगे

इस सब्जबागी टाउनशिप में समझदार जो ठगाए महसूस कर रहे हैं वो जल्द ही शिकवों शिकायतों का मन बनाने लगे हैं और जल्द ही शिकायतों का दौर शुरू भी हो रहा है। पहले राउंड में दो शिक़ायतकर्ता मय दस्तावेज़ों के साथ शिकायत करेंगे।

ख़बर और रेवड़ी

मीडिया में ओमैक्स का सच आने के बाद पोल खुलती देख कंपनी ने धड़ाधड़ विज्ञापन की रेवड़ी बांटनी शुरू कर दी है और सच्चे झूठे विज्ञापनों से धूमिल होती छवि को छुपाने की पुरज़ोर कोशिश की जा रही है । ख़बर तो ये भी है किसी सर्जन एड एजेंसी को इस झाँसेबाजी की सर्जरी से बचाने के लिए एड की रेवड़ी बांटने की जिम्मेदारी दी गई है। जिसके मालिक कोई आदित्य हैं जो बख़ूबी इस काम में लग भी गए हैं। लेकिन रेरा और अन्य शासकीय नियम कायदों को दरकिनार रखते हुए बांटे जा रहे विज्ञापनों में सर्जन की सर्जरी भी धोखेबाज जालसाजों का सहयोगी बना रही है।

भूमि के सच्चे के मालिक…!!!

पुख़्ता सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि देवास रोड नागझिरी लालपुर में कट रही ओमैक्स सिटी की ज़मीन के मालिक शहर के चुन्नू मुन्नू सामने आ रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो शासन प्रशासन कुछ करे या ना करे माननीय न्यायालय से तो कुछ उम्मीद बनती ही है।

रेलवे का भी फंस सकता है पेंच

जहां ओमैक्स का सब्जबाज बसाने की झाँसेबाजी की जा रही है उस ज़मीन के क़रीब रेलवे क्रॉसिंग भी है जो उक्त कॉलोनी से बिल्कुल क़रीब ही रहेगी ऐसी स्थिति में हद से ज्यादा काटे गए प्लाट अगर रेलवे की ज़मीनी हद में आते हैं तो विवाद की स्थिति बनना तय है और कॉलोनीवासियों को गाड़ी की धड़ाधड़ फ्री में सुनने को मिलेगी। वहीं ऐसे में जब रेलवे की ज़मीन के क़रीब कॉलोनी कटेगी तो किसी भी अनुमति बग़ैर बेची गई इस कॉलोनी को रेलवे की अनुमति का पंच तो झेलना ही पड़ेगा। इस क्षेत्र में कॉलोनियों के विकास को देखते हुए आगामी सिंहस्थ में फ्लाईओवर भी निकलना है ऐसे में वो भी इस टाउनशिप के लिए चिंताजनक होगा।

खुराफ़ाती विज्ञप्ति

इसी बीच एक फ़र्जी विज्ञप्ति सोशल मीडिया पर चल रही है जो ओमैक्स लिमिटेड 58 ऑरबिट मॉल एबी रोड इंदौर के नाम से जारी हुई है। जिसमें जनता को सूचित किया गया है कि मेसर्स ओमैक्स लिमिटेड कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत एक प्रतिष्ठित रियल इस्टेट कंपनी है जिसने इंदौर में पहले ही कुछ आवासीय टाउनशिप विकसित की हैं। अज्ञात व्यक्ति द्वारा सन्देश भेजा गया है कि कंपनी नई परियोजना के साथ आ रही है जो पूरी तरह से असत्य और भ्रामक है । कंपनी द्वारा ऐसी जानकारी जारी नहीं की गई है। इसलिए जनता को ये सलाह दी जाती है कि इस पर गुमराह हुए बग़ैर विश्वास ना करे। किसी भी नई योजना को सक्षम अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करके ही शुरू किया जाएगा और इसके बारे में अधिकृत जानकारी आमजन को उपलब्ध करवाई जाएगी…. एम डी मेसर्स ओमैक्स लिमिटेड।

इस तरह की फ़र्जी विज्ञप्ति जारी करके ओमैक्स के झाँसेबाजों ने बचने का असफल प्रयास किया है। लेकिन इस तरह के गम्भीर अपराध को अंजाम देने वाली कंपनी का बचना मुश्किल है। अगर विज्ञप्ति को सही भी मान लिया जाए तो प्रश्न ये उठता है कि अगर परियोजना लॉन्च ही नहीं हुई है तो शहर में लगे तमाम होर्डिंग्स और लोक लुभावन विज्ञापन कैसे परोसे गए, लोगों से करोड़ों की उगाही कैसे की गई। इस तरह की ठगी पर प्रशासन को भी स्वतः संज्ञान का ज्ञान लेकर ठगौरी कंपनी के कर्ताधर्ताओं के साथ ही कथित ब्रोकरों जिन्हें 5 लाख के बदले डेढ़ लाख का मोटा कमीशन मिला और सर्जन एड एजेंसी के संचालक पर भी भारतीय दंड विधान की विभन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज होना ही चाहिए और जो लोग ठगाए हैं उन्हें भी आगे आकर आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाना चाहिए।

इसलिए ठगों झाँसेबाजों और कागज़ी घोड़े दौड़ाने वालों से रहें सावधान और मेहनत की कमाई इन ठगों के हवाले करने से अच्छा है कहीं और इन्वेस्ट करें और जिन्होंने कर दी है वो या तो झाँसेबाजों के झांसे में रहें या फिर अपना बयाना वापस लें और मुकरने की स्थिति में इन गिरोहबद्ध लुटेरों की शिकायत करें।


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