महाकालेश्वर मंदिर व्यवस्था में होंगे बड़े बदलाव
महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर हुई चर्चा
उज्जैन, कई वर्षों के बाद यह अवसर आया जब कोई महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक, महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्थाओं के विषय में चर्चा के लिए किसी संत के सन्मुख पहुंचे हों,4 दिसंबर को महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था के संबंध में परमहंस अवधेश पुरी महाराज से मुलाकात की और महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था का निरीक्षण करने के लिए उन्हें मंदिर पर आने के लिए निमंत्रित किया।
सूत्रों से खबर है कि महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन व्यवस्था को लेकर संत समाज मैं पिछले कुछ समय से असंतोष व्याप्त है जिसके चलते संतो ने विश्व विख्यात महाकालेश्वर मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचने के संकेत दिए थे संतों की ओर से कहा गया कि महाकालेश्वर मंदिर समिति मंदिर की व्यवस्था के संबंध में मनमाने फैसले ले रहे हैं जिसमें भस्म आरती दर्शन शुल्क ,प्रोटोकॉल दर्शन शुल्क, शीघ्र दर्शन शुल्क ,गर्भ ग्रह दर्शन शुल्क आदि कई प्रकार के दर्शन शुल्क लगाए जा रहे हैं, जिससे श्रद्धालुओं के मन में मंदिर प्रशासन द्वारा भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया गया और इन तमाम दर्शन शुल्क लगाने के बाद आए दिन महाकालेश्वर मंदिर समिति से जुड़े कर्मचारी, पंडे, पुरोहितों द्वारा मंदिर में दर्शन के लिए कई प्रकार के भ्रष्टाचार का खुलासा आए दिन हो रहा है ,जिसके चलते विश्व भर में महाकालेश्वर मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंच रही है जिसके चलते संत समाज मैं खासी नाराजगी देखी जा रही है।
कई वर्षों के बाद महाकालेश्वर मंदिर के किसी प्रशासक ने महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था के संबंध में किसी संत से राय मशवरा किया है सूत्रों की माने तो संत अवधेश पुरी महाराज ने महाकालेश्वर मंदिर की की व्यवस्था एवं महाकालेश्वर मंदिर विस्तार योजना के अंतर्गत हो रहे निर्माण कार्यों के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए जोकि मंदिर समिति की बैठक में प्रस्तुत करके मंदिर की व्यवस्था मैं कुछ आमूलचूल परिवर्तन किए जाएंगे।
महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है और हिंदू धर्म के मार्गदर्शक संत हैं इसलिए समय-समय पर संतो का मार्गदर्शन लेना अनिवार्य है मंदिर की व्यवस्था से संबंधित संतो के सुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।
सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि इस मुलाकात के पीछे का कारण पिछले दिनों संत डॉ अवधेशपुरी महाराज ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि जब उत्तराखंड और कर्नाटक सरकारें मठ मंदिरों को सरकारी करण से मुक्त कर सकती हैं , तो मध्य प्रदेश की धार्मिक सरकार क्यों नहीं कर सकती ? जब इस देश में एक भी मस्जिद , चर्च या अन्य धार्मिक स्थल सरकार द्वारा संचालित नहीं होते तो हिंदू धर्म स्थलों को ही सरकार क्यों संचालित करती है ? संवैधानिक रूप से जब हमें धार्मिक स्वतंत्रता एवं समानता का मूल अधिकार प्राप्त है तो आखिर हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता एवं समानता के अधिकार के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है ?
अब समय आ गया है कि केवल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिंदू मठ मंदिरों को हिंदुओं के हवाले कर देना चाहिए । जब अन्य धार्मिक लोग अपने धार्मिक स्थलों की व्यवस्था स्वयं कर सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं कर सकते ? अतः उत्तराखंड एवं कर्नाटक सरकार की तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार को भी हिंदू मठ मंदिरों को स्वतंत्र कर देना चाहिए । अब हिंदू इस असमानता के व्यवहार को सहन नहीं कर सकते ।
इससे पहले भी अवधेश पुरी महाराज ने महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा महाकालेश्वर मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर शुल्क निर्धारण किए जाने असंतोष एवं विरोध जाहिर किया है जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि बाबा महाकाल के दरबार में राजा और रंक एक समान होते हैं और यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालुओं के साथ एक समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
बहर हाल महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ और परमहंस डॉअवधेश पुरी महाराज की मुलाकात के क्या मायने हैं यह समय बताएगा लेकिन अवधेश पुरी महाराज ने निकट भविष्य में महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था में परिवर्तन होने के संकेत दिए हैं।

