मध्यप्रदेश शासन और उज्जैन प्रशासन की नीतियों के खिलाफ मुखर हुए संत””शासन हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण ही क्यों करते हैं, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मस्जिद को क्यों नहीं – संत अवधेश पुरी महाराज,पीठाधीश्वर स्वस्तिक पीठ”
उज्जैन, उज्जैन प्रशासन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन शुल्क एवम शासन की किसी एक धर्म के लिए एकतरफा नीति पर संत हुए मुखर,कहा शासन हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण ही क्यों करते हैं, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मस्जिद को क्यों नहीं ?
स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर, संत अवधेश पुरी महाराज ने कहा कि तमाम तरह के प्रतिबंध शासन, प्रशासन हिन्दू सम्प्रदाय के लोगों एवम मंदिरों पर ही लगा रहा है ,उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में शासन ने 40 हजार मंदिरों का अधिग्रहण कर रखा है, जबकि दूसरे धर्म सम्प्रदाय के धार्मिक स्थलों को क्यों इससे दूर रक्खा गया है, हिंदू धर्म की परंपराओं से हिंदू धर्म की मान्यताओं से और हिंदू धर्म की श्रद्धा से छेड़छाड़ करने का अधिकार किसी प्रबंध समिति किसी शासन प्रशासन को नहीं है, शासन हिंदू धर्म के मंदिरों को ही अधिग्रहण कर निगरानी के लिए कैमरा लगाती है मनमाने निर्माण कार्य करती है एवं दर्शन के लिए टैक्स लगाती है लेकिन अन्य धर्मों के लिए यह नियम क्यों नहीं, शासन क्यों नहीं किसी मस्जिद पर कैमरा लगाती है ,नमाज पढ़ने पर शुल्क लगाती है यह लोकतंत्र है जहां आप किसी धर्म विशेष के लोगों को तरह-तरह के नियम लगाकर प्रताड़ित नहीं कर सकते, हम (संत समाज )शासन के हिंदू धर्म के धार्मिक स्थलों के अधिग्रहण की गलत नीति के खिलाफ आवाज उठाएंगे, संत अवधेश पुरी महाराज ने शासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि शासन बताएं की आपने किस गिरजाघर किस गुरुद्वारा किस मस्जिद का अधिग्रहण किया किस पर प्रार्थना करने एवं दर्शन करने के लिए टैक्स लगाया जब अन्य धर्म संप्रदाय के धार्मिक स्थल प्रतिबंध से मुक्त हैं तब हिंदू संप्रदाय पर ही सारे प्रतिबंध क्यों लागू के जाते हैं,शासन प्रशासन की नीतियों में हिन्दू धर्म की मर्यादा ओर शास्त्रों के खिलाफ हो रहा है ,ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आपने (शासन)हिन्दू धर्म के धार्मिक स्थलों का अधिग्रहण कर लिया है,ये सरकारीकरण के दुष्परिणाम हैं।
शासन द्वारा हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के अधिग्रहण करके मनमाने नियम और शर्तें हिंदू श्रद्धालुओं पर थोपना इन सारे सरकारी करण के दुष्परिणामों को दूर करने के लिए अब हमको जड़ पर वार करना पड़ेगा एवं हिंदुओं को जागना होगा और मठ मंदिरों के सरकारी करण के खिलाफ आवाज उठाना होगा अन्यथा 1 दिन ऐसा आएगा की अभी तो आप 100 और ₹500 देकर मंदिरों में दर्शन कर पाते हैं लेकिन आगे आप यह भी नहीं कर पाओगे।
शासन मंदिरों का अधिग्रहण कर करोड़ों रुपये शासन के कोष में जमा करते हो जिसका कोई हिसाब नहीं है, यह सरासर अनुचित है,हम(संत सम्प्रदाय)इसका विरोध करते हैं।
