तारणहार के साथ अन्याय …

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वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे  विश्व की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया ,कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए लॉकडाउन के कारण भारत में भी इसका असर हुआ है ,भारत भी इन दिनों आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है ऐसे में  इस आर्थिक मंदी के दौर से उभरने के उपायों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

आवश्यकता इस बात की भी है कि लॉक डाउन खत्म होने के बाद अब लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा किये जाने की,लेकिन कुछ लोगों ने इस महामारी के चलते आर्थिक संकट से ग्रसित लोगों की मजबूरी का फायदा उठाना शुरू कर दिया है, हालात यह हैं कि एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ,दिहाड़ी मजदूर की दिहाड़ी मजदूरी से भी कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं, प्राइवेट सेक्टर  में काम करने वाले कर्मचारियों को उनकी आर्थिक तंगी का फायदा उठाकर ब्लैकमेल किया जा रहा है ,कंपनी के मालिकों द्वारा कर्मचारियों को खुले रूप में यह कहा जा रहा है की कोरोना काल के चलते उनके व्यवसाय को घाटा हुआ है और ऐसे में वह कर्मचारियों को पूर्वा अनुसार वेतन देने में असमर्थ हैं ऐसे में कर्मचारियों को आधे वेतन पर काम करना पड़ेगा, जो कर्मचारी नहीं कर सकता है वह स्वेच्छा से अपनी नौकरी छोड़ कर जा सकता ,इस प्रकार कर्मचारी मजबूरी वश आधे वेतन पर काम करने को मजबूर हैं और नौकरी से निकाले जाने के डर ने उनके मुंह को भी बंद कर दिया है सवाल अपने परिवार का पेट पालने का है, इस प्रकार के हालात प्राइवेट सेक्टर हॉस्पिटल, स्कूल ,कॉलेज ,होटल ,रेस्टोरेंट, उद्योग, सभी तरह के मार्केटिंग जॉब, आदि में काम करने वाले कर्मचारियों के हो रहे हैं, मरता क्या न करता वाली स्थिति कर्मचारियों के साथ बनी हुई है लेकिन सरकार सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनी हुई  ।

प्राइवेट सेक्टर के मालिकों का इस प्रकार का रवैया यह प्रदर्शित करता है कि वह स्वार्थी हो गए हैं और मौका परस्ती का प्रदर्शन कर अपने कर्मचारियों के साथ इंसाफ नहीं कर रहे हैं, इस बात से जान कर भी अंजान बने हुए हैं कि इन्हीं कर्मचारियों ने उनके व्यवसाय को दिन रात मेहनत करके उन्नति के शिखर पर पहुंचा कर करोड़ों का फायदा पहुंचाया और यही वे कर्मचारी भी होंगे जो उनके कोरोना काल के चलते हुए नुकसान की भरपाई करा कर पुनः उनके व्यवसाय को उन्नति के शिखर पर पहुंचाएंगे ,यह बात हर व्यवसाय के मालिक को समझने की आवश्यकता है क्योंकि एक कर्मचारी के पूरे परिवार की आस ,विपत्ति के समय व्यवसाय के मालिक पर टिकी होती है एवं उन्हें विश्वास होता है कि हर विपत्ति में मालिक उनके परिवार के साथ खड़ा हुआ और यही विश्वास उन्हें दिन रात मेहनत कर मालिक के व्यवसाय को चार चांद लगाने में सहायक होता है ।

बहरहाल,इसमें ध्यान देने वाली बात सरकार के लिए  यह है कि प्राइवेट सेक्टर के मालिक आधे वेतन की मौखिक घोषणा कर रहे हैं, कर्मचारियों को किसी प्रकार का कोई आधा वेतन किए जाने का लेटर नहीं दिया जा रहा है एवं कंपनी में वह कर्मचारी पूर्वा अनुसार वेतन पर ही कार्य करता हुआ दिखाया जा रहा है, ऐसे में कंपनी अपने कर्मचारियों के साथ यह अन्याय या अपराध कर रही है ,और ऐसे में सरकार के श्रम विभाग को चाहिए कि वह छापामार कार्रवाई करते वह इन विभिन्न प्राइवेट सेक्टर की जांच करें एवं कर्मचारियों के साथ इस प्रकार का आपराधिक कृत्य करने वाले व्यवसाय के मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ,क्योंकि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम पर कार्य करवाना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है।

 


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