वक्त कहता है नीचे देखो,भविष्य कहता है ऊपर देखो…

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ये वक्त नहीं आसाँ ,बस इतना ही समझ लीजे,

इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।

कई सदियों बाद दुनिया पर ऐसा संकट आया है के जिसने मानव को उसकी हैसियत का अंदाजा करा दिया है, इंसान लाख अपने विज्ञान के चमत्कारों और अविष्कारों पर इतराता है लेकिन सृष्टि के रचयिता एवं प्रकृति का विज्ञान इससे कई गुना ऊंचा एवं श्रेष्ठ है, कहने का अर्थ यह है कि इंसान अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो चुका है वह प्रकृति से लगातार खिलवाड़ करता जा रहा है एवं प्रकृति के संतुलन को लगातार बिगड़ता जा रहा है इसी के चलते विश्व के प्राकृतिक परिदृश्य एवं जलवायु में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिल रहा है और इसी के दुष्परिणाम बाढ़  ,सुखा अत्यधिक तापमान, ओलावृष्टि , भूकंप एवं तूफान हम आए दिन देख रहे हैं और कुछ वर्षों के अंतराल के बाद महामारी विभिन्न बीमारियों का रूप लेकर मानव जीवन का विनाश कर रही है , प्रकृति के इन संकेतों को इंसान को समझने की आवश्यकता है ,वहीं आत्ममंथन करने की आवश्यकता भी है।

पिछले 2 महीनों से पूरा विश्व कोरोना संक्रमण के रूप में आई महामारी से लड़ रहा है एवं विश्व के कई देशों में इसने मानव जीवन को गहरी क्षति पहुंचाई है एवं मानव जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, विश्व के कई देशों की आर्थिक व्यवस्था को ध्वस्त हो गई है जिसके चलते विश्व आर्थिक आधार पर कई वर्ष पीछे चला गया।

भारत में भी कोरमा संक्रमण ने अपना प्रभाव दिखाया लेकिन भारत सरकार की दूरदर्शी कार्य योजनाओं एवं भारत के नागरिकों द्वारा संयम और धैर्य से संकट का सामना करने के कारण विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली क्षति को कम कर दिया।

लॉक डाउन अब खत्म हुआ है एवं भारत एक बार फिर से प्रगति की राह पर चल दिया है, लेकिन इस दौर में भारत के हर एक वर्ग को एक दूसरे का सहारा बनने की आवश्यकता है अर्थात इस महामारी ने क्षति हर वर्ग को पहुंचाई है लेकिन वक्त की मांग यह है कि” हर आदमी अपने से नीचे वाले व्यक्ति की परिस्थिति को देखें “और समझे एवं अपनी हैसियत के अनुसार उसकी मदद करें , इसमें कोई संशय नहीं है कि उद्योगपतियों को भी इस महामारी से नुकसान हुआ है लेकिन वह उद्योगपति अपने कर्मचारियों, मजदूरों की आर्थिक परिस्थितियों को समझते हुए उनकी मदद करें उनका हौसला बढ़ाएं और एक बार फिर से उनमें काम करने का हौसला जगाएं ,क्योंकि यही मजदूर उन्हें फिर से बुलंदी पर पहुंचा सकते हैं ,इसके अतिरिक्त सरकार भी गरीब मजदूर एवं किसानों की मदद कर रही है ।

इन परिस्थितियों में विशेषकर मध्यमवर्गीय परिवार अपना हौसला कम ना होने दें, देश की आर्थिक परिस्थितियों के उतार-चढ़ाव में हमेशा मध्यमवर्गीय, सरकार का प्रमुख सहारा बना है एवं मध्यमवर्ग ने देश की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया,ओर भविष्य में भी देश को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने में मध्यमवर्गीय का बड़ा योगदान होगा ,इसलिए “मध्यमवर्गीय भविष्य के लिए ऊपर देखते हुए” आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने की संभावनाएं तलाशे ,क्योकि जिसके पास हुनर होता है वह ही उज्ज्वल भविष्य का विश्वकर्मा कहलायेगा।

वहीं भारत सरकार को भी आर्थिक विकास का सपना साकार करने के लिए मध्यमवर्गीय को शुरुआती दौर में मदद करने की दरकार है।


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