मध्य प्रदेश विकलांग सहायता समिति द्वारा राहत कार्यों के साथ-साथ दिव्यांग बच्चों की देखभाल हेतु परामर्श
मध्य प्रदेश विकलांग सहायता समिति द्वारा दिव्यांग बच्चों व उनके परिवार हेतु कोविड 19 राहत कार्यों को उज्जैन जिले के अलावा राजगढ़ ,शाजापुर, आगर मालवा, देवास एवं इंदौर जिलों में भी संचलित किया गया।
समिति संचालक फादर जॉर्ज ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक कुल 406 परिवारों को राहत कार्यों के अंतर्गत आवश्यक कच्चा राशन ,मास्क एवं अन्य उपयोगी सामग्री प्रदान की गई तथा कुछ बच्चों को को आवश्यक दवाइयां भी पहुंचाई गई । कंटेनमेंट क्षेत्रों में पुलिस प्रशासन के सहयोग से सामग्री वितरित की गई । उन्होने कहा कि इस समय दिव्यांगजन एवं उनके परिवारों को सहयोग के साथ साथ मनोबल बढ़ाया जाना जरूरी है, इस हेतु संस्था द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
इसके अलावा अन्य जरूरतमंद लोगों को भी 5700 , मास्क 400 , दस्ताने तथा 600 बोतल सैनिटाइजर का वितरण किया जा चुका है । सामग्री वितरण के साथ साथ लाक डाउन अवधि में दिव्यांग बच्चों की उचित देखभाल सुरक्षा की आवश्यकता को देखते हुए संस्था की विशेष शिक्षकों की टीम द्वारा लगातार परामर्श प्रदान किया जा रहा है ।





प्रिय पालकगण
आशा करता हूं आप सभी अपने घरों में स्वस्थ व सुरक्षित हैं हम सब इस समय कोविड 19 के कारण अप्रत्याशित छुट्टी पर हैं और बच्चों के साथ यह समय किस प्रकार बिताया जाए इस विषय में विचार कर रहे होंगेl निसंदेह दिव्यांग बच्चों को इस समय संभालना कठिन कार्य है, फिर भी सामान्य बालकों के समान विकलांग बालकों को भी अच्छी आदतें सिखाना उनके भावी जीवन की सफलता के लिए अति आवश्यक है ।हम सब जानते हैं और मानते हैं कि घर ही मनुष्य की प्रथम पाठशाला है, किसी बच्चे की शिक्षा के बारे में सोचते ही हम एक ही स्कूल के बारे में सोचते हैं ,परंतु ऐसी कई क्षमताएं हैं जिन्हें बच्चे घर पर ही अपनी मां या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सीख सकता है| सीखने की क्रिया घर से ही शुरू हो जाती है इसलिए जो दिव्यांग बच्चे हैं और स्कूल नहीं जा सकते वे घर पर रहकर बहुत सी बातें सीख सकते हैं l मैं जानता हूं कि आप सभी अपने अन्य कार्यों में व परिवार की देखभाल में बहुत अधिक व्यस्त हैं ,ऐसा हो सकता है कि आपके पास बच्चों को सिखाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं है, इस बातों को ध्यान में रखते हुए, मैं आज आपको कुछ ऐसे सुझाव देना चाहता हूं जिनकी सहायता से आप अपने बच्चों को घर पर ही कुछ सिखा सकेंगे एवं उसके लिए अतिरिक्त समय देने की आवश्यकता नहीं होगी l यह सभी क्रियाकलाप घर के अंदर और दैनिक कार्यकलापों के साथ में शामिल किए जा सकते हैं और बच्चों को सिखाया जा सकता है l
कृपया आप लोग पढ़े
नित्य क्रिया और शिक्षा:-
हर रोज आपका बच्चा एक दैनिकचर्या पूरी करता है। हो सकता है, उसमें कभी-कभी कोई परिवर्तन आता हो। यह रोज की क्रियाकलाप आपको अपने बच्चे को बहुत सी चीजें सिखाने का सुनहरा अवसर देती हैl आपके घर में कई कमरे हो सकते हैं ,ऐसा भी हो सकता है कि घर में एक ही कमरा हो और उसी में सभी कामों के लिए अलग-अलग हिस्से बने हो। आप स्वयं हैरान हो जाएंगे कि किस प्रकार घर का एक कोना या कमरा आपके बच्चे का क्लास बन गया है। आप जैसे ही बच्चे के साथ दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाएंगे, आप उसे बहुत सी ऐसी बातें सिखा सकेंगे जो वह स्कूल में सीखता हैl
“जब आप बच्चे को नहलाते हैं”:-
सुबह उठते ही बच्चा सबसे पहले शौचालय का प्रयोग करता है, ब्रश करता है और नहाने को तैयार होता है, हो सकता है आपको उन कार्यों में उसकी सहायता करनी पड़े इसी समय आप अपने बच्चे का बच्चे को सिखाना शुरू कर सकेंगे
शरीर के अंग:-
आपका बच्चे शरीर के अंगों की पहचान कर सकता है, जैसे आंख, नाक, चेहरा,आदि। नहलाते समय आप उसे उसके शरीर के अंगों के नाम बताए| पहले वह अंगों के नाम सीखें, उसके बाद उन्हें पहचाने l
आप इसे एक खेल बना कर भी सिखा सकते हैं
पहले आप अपने शरीर के अंग दिखाकर उसका नाम बताएं फिर उसे इस प्रकार पूछिए -“अपनी बाहें ऊपर उठाओ ” ,शरीर के विभिन्न अंगों का काम भी खेल-खेल में सिखाया जा सकता है , जैसे, “जिससे देखते हो उसे धो डालो”, “मुंह में जिससे खाना चबाते हो उसे ब्रश करो” |
बाथरूम में रखी हुई वस्तुएं:-
आप बच्चे को बाथरूम में रखी वस्तुओं के नाम सिखा सकते हैं, जैसे यह मग है बाल्टी है,.नल है, साबुन है ,तथा तौलिया है| वह इन्हें पहचानना सीख सकता है| आप इन्हें आप उसे इन वस्तुओं का क्या उपयोग है यह भी सिखा सकते हैं, उदाहरण के तौर पर आप उससे पूछें कि नहाने के लिए किस चीज की जरूरत है, उससे पूछे “हम मग क्या करेंगे”, “अपने बदन को किससे सुखा करेंगे” आप अपने बच्चे को नहाने के लिए सामान इकट्ठा करना सिखा सकते हैं जैसे मग, साबुन, तौलिया लाओ| यदि बच्चा शारिरिक रुप से यह करने में अक्षम है तो वह इनकी तरफ इशारा कर सकता है| यदि वह तस्वीरों को पहचानता है तो आप उससे उनकी तरफ इशारा करने के लिए कह सकते हैं|
पानी के बारे में बातें करें उसे बताएं कि पानी से हम और क्या-क्या कर सकते हैं उसे यह बताएं कि पानी कहां से आता है उसे नल चलाना सिखाएं ताकि उस से पानी निकल आए यदि आप पानी, किसी ट्यूबवेल या कुएं से लेते हैं तो उसे दिखाएं| अगला कदम बच्चे को कुछ मुश्किल बातें सिखाने का है |
खालीऔर भरा :-
आप उसे खाली और भरे में फर्क करना सिखाए पहले उसे खाली बाल्टी दिखाएं “देखो बाल्टी खाली है”, आप बाल्टी पानी से भर दे ,उसे दिखाएं,” देखो अब बाल्टी पानी से पूरी भरी है”|
छोटा और बड़ा :- आप अपने बच्चे को बड़ा और छोटा पहचाना सिखा सकते हैं आप एक बड़ी और एक छोटी बाल्टी नहाने के रखें और आप बच्चे से पूछा कि “कौन सी बाल्टी में पानी भरे”, “मैं बड़ी बाल्टी में पानी भरूं या छोटी बाल्टी में”, उसके उत्तर और संकेत के अनुसार ही बाल्टी में पानी भरे| आप उससे बड़े छोटे का फर्क दोनों बाल्टियों को भर कर दिखा सकते हैं |बच्चे को बताइए कि छोटी पार्टी का पानी जल्दी खत्म हो जाता है इसी प्रकार आप उससे कम और ज्यादा भी सिखा सकते हैं , साथ ही साथ ऊपर-नीचे, आगे-पीछे , अंदर बाहर आदि भी सिखा सकते हैं| आरंभ मैं आप बच्चे को कुछ क्रियाएं करने दें ,उसे इन कामों को करने का निर्देश दें यदि आपका बच्चा शारीरिक रूप से इन कार्यों को करने में असमर्थ है तो उसकी सहायता करें |”पानी अपने सिर के ऊपर डालो ”
“मग को जमीन पर रख दो”, ” अपना हाथ साबुन पर रखो आदि|
शारीरिक और कार्य कार्य विकास:-
नहलाने जैसे कार्य आपको बच्चे की शारीरिक स्वच्छता तथा कार्यकारी विकास करने का अवसर देते हैं| आप उसे अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं , आप उसे कुछ कार्य स्वयं करने का अवसर दें, आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता अवश्य करें, परंतु धीरे-धीरे सहायता को कम करते जाइए |
स्वास्थ्य संबंधी:-
नहलाते समय बच्चों को स्वास्थ्य शिक्षा देने का तथा सफाई का महत्व बताने का मौका मिलता है |आप बच्चे का एक हाथ धोएं और दूसरे हाथ से तुलना करके बताइए कि यह हाथ कितना साफ है ,दूसरा हाथ जो नहीं धोया है गंदा है |आप उसे बताएं कि खाना खाने से पहले हाथ धो लें नहीं तो बीमारी हो जाएगी| आप अपने बच्चे को शीशा देखने दे, उसे समझाएं कि साफ सुथरा चेहरा कितना सुंदर लगता है, “देखो तुम्हारा चेहरा कितना साफ लगता है”
जब आप बच्चे को कपड़े पहनाते हैं :-
कपड़े पहनना भी एक महत्वपूर्ण शारीरिक क्रिया है| नहलाने की तरह यह भी बहुत कुछ सिखाने का मौका देती है |कपड़े पहनाना एक मुश्किल काम है, आप बच्चे को धीरे-धीरे सिखाएं तथा एक-एक कदम आगे बढ़ाएं, कपड़ों के नाम बताएं, जब बच्चा कपड़े पहन रहा हो तो आप प्रत्येक कपड़े के नाम उसे बताती जाए “यह कमीज है”, “यह पैंट है,”
कपड़े पहनाते समय आपको पहले सिखाए गए कुछ बातों को दोहराने का मौका मिलेगा “अपनी बाहों पर उठाओ” “अपनी बांह कमीज की बांह में डालो”| कपड़ों का ढेर लगा कर उसमें से बच्चे को अपनी पसंद का कपड़ा चुनने का अवसर दें एवं स्वयं पहनने के लिए प्रोत्साहित करे| बच्चे को अलग-अलग कपड़े दिखाएं जितनी बार आप उनसे कपड़े दिखाएं उसका नाम भी दोहराए इससे उसे याद करने में सहायता मिलेगी |”अब बताओ तुम्हें क्या पहनना है”? पहले कमीज या पैंट? “ठीक है पहले कमीज पहनो”|
रंगों की पहचान :-
जब बच्चा कपड़े पहन चुका हो तो उसे पहले कपड़ों के रंग बताएं,यह रंगों की पहचान सिखाने का आसान तरीका है| आप कुछ कपड़े एक रंग के ही रख ले, अब आप बच्चे से उस रंग के कपड़े उठाने के लिए कहे, अगर बच्चे को रंग का नाम नहीं मालूम तो कोई बात नहीं, धीरे-धीरे वह रंग पहचानना सीख जाएगा |
कपड़े अपने आप पहनना:-
आप अपने बच्चे को पूरी तरह अपने आप से कपड़े पहनना सिखाए यदि किसी शारीरिक अक्षमता के कारण यह संभव नहीं तो वह कुछ सहायता तो कर ही सकता है, कपड़े पहनाते समय वह अपनी बांह आगे कर सकता है या फिर पैर आगे बढ़ा सकता है|
” अपने हाथ ऊपर उठाओ ताकि मैं तुम्हें कमीज पहना सकू”
” अपने पैर आगे करो ताकि मैं तुम्हें मोजे पहना सकूं|”
आप याद रखें आपके बच्चे में वस्तुओं को हाथ से पकड़ने की क्षमता होनी चाहिए| काम को छोटे-छोटे भागों में बांट दीजिए| उसे सबसे छोटे और आसान काम दीजिए| बच्चे को स्पष्ट और संक्षिप्त निर्देश दीजिए| बच्चे को पहले काम में सफल होने में सहायता करें | उदाहरण के लिए जब आप उसे मोजे पहनना सिखाए तो पहला भाग होगा कि आप मोजे उसके पांव में डालें फिर उसे ऊपर खींचने के लिए कहे| हाथ को जरा पीछे करते हुए वह मोजे को घुटने तक ऊपर खींचे| उसके बाद उसे एडी से ऊपर खींचना है| आखिर कदम पर उसे मोजे अपने आप पहननी है |मोजे पहनना सिखाते समय छोटे छोटे कदम और हर बच्चे की क्षमता के अनुसार बदले जा सकते हैं| कपड़े पहनने के अलावा भी कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें उल्टी तरफ से सिखाया जा सकता है ,ऐसी स्थिति में आखिरी कदम को पहला कदम समझें इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि बच्चे को प्रोत्साहित करें | जब उससे कार्य नहीं हो रहा हो उसे असफल होकर निराश ना होने दें परंतु हर छोटी से छोटी प्रयास पर प्रोत्साहित अवश्य करें |
आशा करता हूं कि आप इन कार्यों को बच्चे की दैनिक चर्या में अवश्य शामिल करेंगे एवं हर समय कुछ नया कुछ अलग सिखाने का प्रयास करेंगे| मेरे द्वारा दिए गए सुझावों का आप सभी को और बच्चों को लाभ हो इसी आशा के साथ
फादर जार्ज
मनोविकास विशेष विद्यालय


