ये क्या गज़ब हो रहा है,जबरन मरीज़ निकालो अभियान…

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चिलचिलाती तपती धूप एवं 45 डिग्री सेंटीग्रेड में बगैर सुरक्षा उपकरण सैनिटाइजर ,मास्क, हेयर सेफ्टी कैप, स्क्रीनिंग टॉर्च, spo2 क्लेचर के जन स्वास्थ्य रक्षक, आशा कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उज्जैन जिले एवं शहर में हर गली मोहल्ले में घर घर जाकर स्वास्थ्य सर्वे कर रहे हैं एवं परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी एकत्रित कर रही है। लेकिन जांच उपकरणों की कमी की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है, बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वे टीम पर दबाव बनाया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के मरीज क्यों नहीं निकल रहे हैं एवं कहा जा रहा है कि मरीज नहीं निकलने का मतलब स्वास्थ्य सर्वे ठीक से नहीं हो रहा है, सर्वे टीम द्वारा दबी जुबान में कहा  की इस प्रकार का दबाव एयर कंडीशनर में बैठे हुए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सर्वो टीम पर बनाया जा रहा है, मरीज बढ़ाने का दबाव बनाना बहुत से सवाल एवं स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर संदेह उत्पन्न कर रहे हैं ,और ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग मरीजों की संख्या क्यों बढ़ाना चाहता है।
इससे पूर्व स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही सामने आ चुकी है जिसमें स्वास्थ विभाग ने जिस कोरोना पॉजिटिव मरीज को मृत घोषित किया  वह बाद में जीवित पाया गया ,कोरोना संक्रमण की जांच के नतीजे भी संदेहास्पद पाए गए , आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज की घोर व्यवस्थाओं पर पर्दा डाला गया जिसके चलते कई मरीजों की जान चली गई ,बजाए मेडिकल कॉलेज पर कार्रवाई करने के मेडिकल कॉलेज में मरीजों के भर्ती करने का क्रम जारी रहा एवं स्वास्थ विभाग के स्टोर से अवैध सप्लाई की गई जिसकी सोशल मीडिया पर काफी चल जा रही, सामाजिक संगठनों द्वारा इसकी व्यापक जांच करने की मांग की जा रही है, इसी कड़ी में सामाजिक संगठन के सुरेंद्र चतुर्वेदी द्वारा न्यायालय में याचिका दायर की गई है जिसकी कल सुनवाई भी प्रारंभ हो चुकी है ,ऐसे में सरकार पर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज एवं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की व्यापक जांच कराने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
बाहर हाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वे टीम पर मरीज बढ़ाने का दबाव कई सवाल खड़े कर रहा है, एवं पर्दे के पीछे स्वास्थ विभाग पर बड़े घोटाले का संदेह उत्पन्न हो रहा है चूंकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमित पॉजिटिव एवं नेगेटिव  मरीजों की संख्या की वास्तविक स्थिति सिर्फ स्वास्थ्य विभाग को ही ज्ञात होगी एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर ही विश्वास करना होगा ,सर्वे टीम पर मरीज बढ़ाने का दबाव स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है एवं मरीजों की वास्तविक स्थिति की पारदर्शिता में भी संदेह उत्पन्न करता है एवं सर्वे टीम को जांच उपकरण ना उपलब्ध कराना जबकि हजारों की संख्या में जांच उपकरण एवं सुरक्षा उपकरण स्वास्थ्य विभाग को सरकार की तरफ से उपलब्ध कराए गए हैं लेकिन यह सर्वे टीम को नहीं दिए जा रहे हैं तो आखिर इनकी सप्लाई कहां हो रही है यह जांच का विषय है जिसकी सरकार को व्यापक जांच करानी चाहिए, सरकार समय रहते उचित कदम नहीं उठाती है तो जनता सीधे मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर इसकी शिकायत करने की बात कर रही है।

 

 


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