वीर सावरकर भारत माता के ऐसे सपूत थे जिन्होंने अदभुत जीवट और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हुए इस देश को आज़ाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने एक भारत और मज़बूत भारत की कल्पना की जिसे साकार करने का संकल्प हर भारतीय के मन में है
एक बहुत निराले साहित्यकार थे। भाषा शुद्धि का काम और समाज सुधारने के लिए उन्होंने नींव का पत्थर का काम किया है। सावरकर जी पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेरणा देते रहेंगे, वीर सावरकर भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के महान क्रांतिकारी, चिंतक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता, दूरदर्शी राजनेता, इतिहासकार भी थे।
सावरकर का पालन पोषण उनके बड़े भाई गणेश ने किया. उन्होंने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेन से स्नातक की डिग्री हासिल की, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण अंग्रेजी हुकूमत (British Raj) ने इसे वापस ले लिया था. यही नहीं, लंदन के ग्रे इन कॉलेज से वकालत की डिग्री भी हासिल की थी, लेकिन इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से इनकार कर देने पर उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया।
भारत के राष्ट्रध्वज में सफेद पट्टी के बीच मौजूद चक्र का सुझाव सबसे पहले वीर सावरकर ने ही दिया, जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने तुरंत मान भी लिया था।
‘मन की बात’ कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को याद किया. पीएम मोदी ने कहा वीर सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए भारतीय वीरों के संघर्ष को देश की आजादी की पहली लड़ाई कहने की हिम्मत की।
हिंदुस्तान के वीर सपूत को कोटि कोटि नमन
