संकट के समय ,देश की राजनीति को “अटल” सीख…

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आजकल का परिदृश्य ऐसा है, जिसमें देश संकटों से घिरा है ,और यह संकट ऐसा है कि जिसमें की पूरे देश को एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है और इस वैश्विक महामारी को भारत की सवा सौ करोड़ जनता को मिलकर लड़ने पर ही सफलता मिल सकती है समय ऐसा है कि जहां आवश्यकता इस बात की भी है कि देश के सभी राजनीतिक दल अपने वैचारिक मतभेद एवं महत्वाकांक्षा को दरकिनार करते हुए सरकार का कोराना संकट से निपटने के लिए एकमत होना ।

इस संकट की घड़ी में हर व्यक्ति को अपना धर्म ,जाति ,संप्रदाय से ऊपर उठकर मानवता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है ,आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा संसद में दिया गया भाषण वर्तमान परिदृश्य पर बिल्कुल सटीक बैठता है,ओर आवश्यकता है उसका अनुसरण करने की, क्योंकि राजनीति, धर्म ,जाति ,संप्रदाय से बड़ा देश होता है एवं राजनीति का मूल मंत्र भी यह कहता है कि लोकतंत्र में जनता की सुरक्षा एवं सेवा सर्वोपरि होती है और जब देश पर कोई संकट आता है तब राजनीति का कोई स्थान ,औचित्य एवं महत्व नहीं रह जाता, वहां मानवता एवं देशहित ही सर्वोपरि कहलाता है।


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