उज्जैन की जनता करे पुकार,जान बचाने का जतन करो हे शिवराज…

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री तक आज अर्थात 40 दिन के लॉक डाउन एवं कोरोना हॉटस्पॉट बनने के बाद, उज्जैन के जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद की गुहार लगाई जा रही है, जब उज्जैन में कोरोना संक्रमण के बढ़ने के चलते हर दिन न सिर्फ मरीजों के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं बल्कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों की मृत्यु दर का आंकड़ा भी बढ़ रहा है ,शासन प्रशासन द्वारा एक ऐसे अस्पताल को चुने जाने की वजह से जहां न सिर्फ संसाधन की कमी है बल्कि डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों में भी कमी देखी जा रही है, वहीं यहां भर्ती किए जाने वाले मरीजों को गंभीर असुविधाओ का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते उज्जैन में लगातार मृत्यु दर का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है, हालात बिगड़ने की शुरुआत तब से हुई जब उज्जैन के माधव नगर अस्पताल से लोगों को आरडी गार्डी अस्पताल में शिफ्ट करना शुरू किया गया और दिन प्रतिदिन बिगड़ते हालातों पर प्रशासन काबू नहीं कर पाया।

आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक डॉ महाडिक का अपने बीमार भाई को इंदौर से उज्जैन लाने एवं कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी उनका इलाज आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ही किया जाना एवं बाद में पूरे आरडी गार्डी अस्पताल को कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए रिजर्व कर देना एवं शासन के निर्देशों पर 4 करोड रुपए प्रतिमाह पर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को शासन द्वारा अधिग्रहण किया जाना एवं उसके बाद लगातार स्थिति का बिगड़ना यह कुछ ऐसे सवाल है जिसने शासन प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगता है।

नेशनल लाइव ने जब जिला कलेक्टर शशांक मिश्र से आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्थाओं के बारे में सवाल किए और यह प्रश्न उठाया कि लगभग 15 लाख रुपए प्रतिदिन आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज पर खर्च किए जा रहे हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर वहां वेंटिलेटर तक मौजूद नहीं है जबकि वेंटिलेटर के अभाव में बेगम बाग निवासी स्वास्थ्य कर्मी नियाज खान की मृत्यु होने का कारण सामने आया था ,जवाब में कलेक्टर महोदय का कहना है कि कुछ मरीजों की मृत्यु हुई थी लेकिन उन्हें मरणासन्न स्थिति में ही लाया गया था एवं आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर की आवश्यकता अभी महसूस नहीं हो रही है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब वेंटीलेडर की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है तब मरीजों को माधव नगर अस्पताल से भारी भरकम खर्च पर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में क्यों शिफ्ट किया गया और सवाल यह भी है कि जब शासन ,प्रशासन लाखों रुपए रोज आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों पर खर्च कर रहा है तब मरीजों की जान क्यों नहीं बचा पा रहा है, मृत्यु दर लगातार बढ़ने का क्या कारण है?, उज्जैन की जनता के मन में आक्रोष सहित कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं , पुष्पा मिशन , बिरला हॉस्पिटल , माधव नगर अस्पताल,  चरक हॉस्पिटल  एवं सीएचएल अपोलो जैसे सर्व सुविधा युक्त अस्पताल होने के बावजूद अव्यवस्था से संपन्न आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को ही क्यों चुना, जनता का आक्रोश जब जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा तब जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से मदद की गुहार लगाई है और उज्जैन के विधायक पारस जैन का कहना है कि अस्पताल में परिवर्तन की आवश्यकता है एवं शासन अरविंदो हॉस्पिटल में भी उज्जैन के कोरोना पॉजिटिव मरीजों को शिफ्ट कर सकता है जबकि चर्चा शहर में यह भी है कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज का चयन जनप्रतिनिधियों की सहमति से ही हुआ था, जबकि इलाज में लापरवाही के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।

चर्चा आज यह भी गर्म है कि उज्जैन की तहसील बडनगर जो कोरोनावायरस हॉटस्पॉट बना हुआ है कई लोगों की कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि होने के चलते उन्हें बड़नगर में ही अस्पताल में इलाज के लिए रखा गया है एवं कुछ मरीजों की मृत्यु भी हो चुकी है वहीं सुबे के विधायक मुरली मोरवाल सहित अन्य लोगों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आ रही है लेकिन इसमें चर्चा इस बात पर गर्म है कि खुद विधायक भी कोरोना का इलाज उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में कराने से बचते नज़र आ रहे हैं उनका कहना है कि बड़नगर के कुछ लोग जो पॉजिटिव थे वे इंदौर में इलाज कराने पर स्वस्थ हो चुके हैं इसलिए उनकी भी मंशा यही है कि वह भी इंदौर में ही स्वास्थ्य लाभ लेंगें, इस चर्चा से स्पष्ट होता है कि अव्यवस्थाओं के चलते मशहूर हो गए आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में खुद जनप्रतिनिधि ही इलाज नहीं कराना चाहते ,तब आम जनता से वहां इलाज कराने की अपेक्षा क्यों की जा रही है, कांग्रेस भी अभी इस मुद्दे पर  चुप्पी साधे स्थिति  पर नज़र बनाए हुए हैं ,26 अप्रैल को  सूबे  के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज  की व्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश दिए थे  बावजूद दिन प्रतिदिन हालात बिगड़ते ही चले गए  हाल ही में उज्जैन के एक नौजवान पार्षद की भी इलाज के दौरान मृत्यु हो चुकी है।

अब फैसला मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को करना है की वह अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के पूर्व उज्जैन में बढ़ रहे मृत्यु दर की सुध ले ताकि व्यवस्थित अस्पताल में लोगों को शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ हो और इस तरह उज्जैन में कोरोना से हो रहे मृत्यु दर पर रोक लगाई जा सके।

चर्चा यह भी जोरों पर है कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर महाडिक जो अपने परिवार को न सिर्फ इंदौर से यहां लेकर आए बल्कि संक्रमण का विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ,इसकी शासन द्वारा जांच कराने की मांग भी जोर पकड़ रही है एवं दोषियों पर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।

उज्जैन की जनता की मांग है कि वक्त रहते हैं शिवराज सरकार उचित कदम उठाएं एवं इस महाकाल की नगरी में हो रहे विनाश पर रोक लगाएं


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