आमतौर पर हर एक देश में 3 वर्ग विद्यमान होते हैं, उच्च वर्ग ,मध्यमवर्ग एवं निम्न वर्ग ,उच्च वर्ग जिसे सरकार अरबो रुपए की सहायता लोन के रूप में उपलब्ध कराता है उद्योग लगाने के लिए ,जिससे मध्यमवर्गीय एवं निम्न वर्गीय को रोजगार मुहैया होता है, वहीं इसका दूसरा पहलू यह है कि हर साल अरबों रुपयों का सरकार को चूना लगा कर कई लोग देश से चंपत हो जाते हैं। निम्न वर्ग को सरकार की तरफ से कई रियायतें एवं आर्थिक सहायता ,उनके भरण-पोषण के लिए ,इलाज के लिए , सरकार की तरफ से कई योजनाएं सुचारू रूप से चलती रहती है, जिसका लाभ निम्न वर्ग को मिलता है ,लेकिन इन सबके बीच में मध्यम वर्गीय हर सरकार की उपेक्षा का शिकार बनता है जबकि यही मध्यमवर्गीय देश की रीड की हड्डी कहलाता है।
मार्च महीने से कोरोनावायरस के चलते लॉक डाउन किया गया है एवं प्रधानमंत्री ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों एवं अनेक राजनीतिक दलों से मंत्रणा करने के बाद 3 मई तक इसे और बढ़ा दिया है ,कोरोनावायरस की महामारी एवं रोकथाम को देखते हुए, गरीब मजदूर किसान आदि निम्न वर्ग के लिए सरकार न सिर्फ उनके अकाउंट में पैसा जमा करके उनकी आर्थिक मदद कर रही है बल्कि उनके भरण-पोषण की भी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति निशुल्क की जा रही है जोकि सरकार का सराहनीय कदम है एवं कर्तव्य भी है।
लेकिन यहां हम बात मध्यमवर्गीय की करें तो सरकारी नौकरी करने वालों को छोड़कर मध्यम वर्गीय परिवार, प्राइवेट नौकरी एवं लघु व्यवसाय पर निर्भर है, आजकल के इस परिदृश्य को देखते हुए लगभग 1 साल तक मध्यम वर्गीय भी आर्थिक लाचारी से अछूता नहीं रह पाएगा ,पहले से ही लाखों युवा बेरोजगार घूम रहे हैं एवं लॉक डाउन के खत्म होने के बाद लाखों मध्यम वर्गीय लोगों के रोजगार छिन जाने की आशंका जताई जा रही है एवं उनके लघु व्यवसाय के चौपट होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, सरकार मध्यम वर्गीय के घर में चूल्हा जल रहा है या बुझने की कगार में है, यह जानने की कोशिश नहीं कर रही है जो कि चिंतनीय विषय है जबकि सत्य यह है कि वैश्विक आपदा ने हर वर्ग को प्रभावित किया है ऐसे में सरकार द्वारा मध्यमवर्ग की उपेक्षा कई सवाल खड़े कर रही है, वैश्विक कोरोनावायरस की महामारी के दौर में जहां पूरा देश सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ रहा है एवं सरकार भी लोगों की सहायता कर रही है ऐसे आपदा के समय में देश की रीड की हड्डी कहीं जाने वाले मध्यमवर्ग को भी सरकार से सहायता की अपेक्षा है एवं वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए मध्यम वर्गीय को भी कई क्षेत्रों में रियायत देने की सख्त आवश्यकता है ,अगर सरकार ने अपनी रीड की हड्डी अर्थात मध्यमवर्गीय को इस संकट से उबरने में सहायता नहीं की तो देश में भविष्य में सिर्फ 2 वर्ग ही रह जाएंगे एक उच्च एवं दूसरा निम्न।
मीडिया भी इससे अछूता नहीं है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जिसका की 90% से अधिक वर्ग मध्यम वर्गीय श्रेणी में आता है ,में जिला स्तर ,तहसील स्तर पर कई अखबार लगातार सरकार की उपेक्षा के चलते बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं, आधुनिकता के दौर में सरकार का कंधे से कंधा मिलाकर चौथे स्तंभ के रूप में काम करने वाले वेब न्यूज़ पोर्टल अपने अस्तित्व को तलाश रहे हैं, उन्हें ना तो सरकार से मान्यता दी जा रही है और ना ही सरकार उनकी आर्थिक मदद कर रही है, ऐसे में भारत, सूचना एवं प्रसारण के क्षेत्र में इस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के आधुनिक सूचना संचार माध्यम वेब न्यूज़ पोर्टलो के बंद होने के कारण पिछड़ सकता है, जहां एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की बात करती है वहीं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के डिजिटल संचार माध्यम वेब न्यूज़ पोर्टल की उपेक्षा कर रही है जिससे कई मध्यम वर्गीय परिवार जुड़े हुए हैं, के प्रभावित होने की संभावना है।
सरकार को मध्यम वर्गीय परिवार जो उपरोक्त प्राइवेट नौकरी या लघु व्यवसाय से जुड़े हुए हैं उनको इस महामारी के चलते आर्थिक संकट से उभारने के लिए सरकार को संज्ञान लेकर जरूरी क्षेत्रों में रियायत एवं आर्थिक सहायता करने की आवश्यकता है क्योंकि देश में मध्यम वर्गीय एक ऐसा वर्ग है जो देश को भविष्य में आर्थिक संकट से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
