किसानों के छलके आंसू , फिर जगी है आशा की किरण…

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किसान अर्थात अन्नदाता दशकों से राजनेताओं के राजनैतिक दांव पेंच का हिस्सा बनता आ रहा हैं और उसका खामियाजा भी किसान ही को ही भुगतना पड़ रहा है, हर चुनाव किसानों को यह आस देता है कि किसान अब उन्नत होगा और उनकी फसलों का वाजिब दाम भी मिलेगा, लेकिन यह राजनीति है यहां “वादे हैं वादों का क्या”।

मध्य प्रदेश की बात करें तो बहादुर सिंह बोरमुंडला ,भाजपा  जिला अध्यक्ष ग्रामीण  उज्जैन ने कहा कि 18-19 में शिवराज सरकार ने चुनाव के ठीक पहले कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर ₹500 प्रति कुंटल की राशि सोयाबीन पर भावांतर के रूप में मंजूर की एवं भावांतर की राशि  डालने का प्रयोजन भी किया, 3 महीने तक भरे चुनाव में सोयाबीन की खरीदी हुई और जनवरी तक चली एवं उसके पश्चात कांग्रेस के एक बड़े नेता द्वारा भावांतर के न दे पाने की बात कही ,जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ आगे आकर उसका खंडन करते हुए किसानों को भावांतर की राशि देने का आश्वासन दिया, मार्च 19 में गेहूं की खरीदी प्रारंभ हुई जिसमें ₹160 प्रति क्विंटल का बोनस देने की घोषणा की गई लेकिन डेढ़ साल के पश्चात भी कमलनाथ सरकार ने ना तो भावांतर की राशि एवं नाही गेहूं के बोनस की 72 करोड़ की राशि किसानों को न देकर ,किसानों के साथ वादाखिलाफी की, जब किसानों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इसका समर्थन करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है ,वहीं इस बात पर आक्रोश भी जताया  कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 2लाख तक के कर्ज माफी के वादे के साथ कमलनाथ सरकार आई थी वह वादा भी पुरा न कर पाई।

बाहर हाल यह बात इसलिए कहीं जा रही है क्योंकि मार्च के बाद अप्रैल ने दस्तक दे दी है एवं किसानों की गेहूं की फसल तैयार हो गई है लेकिन देश पर आए कोरोनावायरस के संकट के चलते मार्च से ही लॉक डाउन है एवं अब प्रदेश में फिर शिवराज सिंह की सरकार है एवं किसानों को अब गेहूं के फसल कि बोनस की राशि की घोषणा एवं खरीदी कि,  शिवराज सरकार से आस लगाए बैठे हैं ,विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के किसानों की गेहूं की फसल की खरीदी एवं बोनस की घोषणा जल्दी कर सकते हैं जानकारी यह भी है कि उज्जैन, इंदौर, भोपाल, मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के हॉटस्पॉट बने हुए हैं इसके चलते 14 अप्रैल के बाद इन जिलों में छोड़कर बाकी के मध्यप्रदेश के जिलों में गेहूं की फसल की खरीदी की जा सकती है एवं उज्जैन, इंदौर और भोपाल के पंजीकृत किसानों के मोबाइल पर गेहूं खरीदी के बारे में मैसेज किए जा सकते हैं एवं उनके बोनस की राशि अग्रिम उनके अकाउंट में जमा की जा सकती है,  लॉक डाउन खुलने पर वे किसान अपनी गेहूं की फसल संबंधित सोसाइटी को बेच पाएंगे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले रोज सामने आ रहे हैं एवं इस माहौल को देखते हुए 14 अप्रैल को लॉक डाउन खत्म होने की संभावना कम ही है ,लॉक डाउन के बढ़ने पर भी किसानों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है किसानों की न सिर्फ गेहूं की फसल खरीदी जाएगी बल्कि प्रदेश सरकार किसानों की हर संभव मदद को  तैयार हैं।

किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के ₹2000 की पहली किस्त एवं ज्यादातर किसानों की दूसरी किस्त के ₹2000 भी किसानों के अकाउंट में आ गए हैं जिसके चलते अभी की परिस्थिति में किसानों को कुछ राहत मिली है ,वहीं ग्रामीण अंचल में गरीबों को 3 महीने का अग्रिम राशन भी मिल चुका है इससे भी गरीब किसान एवं मजदूर को राहत है।


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