पहला सुख निरोगी काया,
निरोगी काया के लिए न सिर्फ तन, बल्कि मन के भी स्वस्थ रहने की जरूरत है, ये दोनों एक-दूजे के पूरक हैं, यह मेडिकली सिद्ध हुआ है कि तनाव या परेशानी का असर आपके फिजिकल फिटनेस पर भी पड़ता है इसीलिए कम्प्लीट हेल्थ के लिए एक्सरसाइज व योग के साथ ही ‘मेडिटेशन या ध्यान” भी बहुत महत्वपूर्ण है, ऐसा माना जाता है कि मन और मस्तिष्क मिलकर शरीर के स्वास्थ्य का संकेत देते हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हम जैसा सोचते हैं, हमारा शरीर उसी के अनुकूल बनता है। हम जैसा महसूस करते हैं, जैसा काम करते हैं, हमारा शरीर भी उसी ढांचे के अनुरूप बन जाता है, इसे ही प्रायः माइंड और बॉडी कनेक्शन कहा जाता है, जब हम तनाव में होते हैं, परेशानियों से घिरते हैं या बेचैन होते हैं तो हमारा शरीर इसका संकेत हमें देना शुरू कर देता है कि शरीर के साथ कुछ असामान्य स्थिति है, कई लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सफल हो जाते हैं,इसके विपरीत कुछ लोग तनाव के क्षणों में, विपरीत स्थितियों में ‘ओवर रिएक्ट’ करने लगते हैं, वे किसी भी बात को दिल से लगा लेते हैं, गुस्सा हो जाते हैं, उदासी उन्हें घेर लेती है और चिड़चिड़े हो जाते हैं, उनका यह चिड़चिड़ापन, अवसाद में रहने की प्रवृत्ति उनके शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती है।
इस प्रकार की भावनात्मक अपरिपक्वता हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है। इस तरह के लोग जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं, उन्हें खांसी, जुकाम जैसी सामान्य बीमारियां बार-बार होती हैं, जब भी वे किसी संकट की घड़ी में होते हैं तो इसका असर उनके दिल-दिमाग पर ही नहीं, शरीर पर भी दिखने लगता है,
दरअसल, होता यह है कि जब हम तनाव में होते हैं या परेशान होते हैं उस समय अपने स्वास्थ्य के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं।
याद रखें मानसिक समस्याएं धीरे-धीरे हमारे शरीर पर गलत असर डालती हैं और इसकी वजह से हमें कब्ज, डायरिया, कमर दर्द, भूख न लगना, मुंह सूखना, ज्यादा थकान लगना, हाई ब्लडप्रेशर से दर्द, अनिद्रा, गहरी सांस आना, गर्दन में दर्द, पसीना आना, पेट खराब होना, वजन बढ़ना या कम होना जैसी तमाम समस्याएं हो सकती हैं,इसलिए समय है सचेत हो जाइए,अपनी समस्याओं का असर अपने शरीर पर न पड़ने दें।
इन दिनों कोरोना वायरस का संक्रमण न सिर्फ पूरे भारत के लोगों की जान का दुश्मन बना हुआ है बल्कि इसने पूरे विश्व के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है लेकिन यह भी सत्य है कि “चिंता ही चीता “का कारण बनती है ,भारत सरकार द्वारा कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जो लॉक डाउन किया है उसमें कई दिनों से घर में रहने पर कई लोग असहज महसूस कर रहे हैं, कोरोना के संक्रमण एवं लोगों के मरने की सूचना न्यूज़ चैनल पर देख कर उनका मन बहुत विचलित हो रहा है, और मन के विचलित होने और चिंतित होने का सीधा संबंध हमारे शरीर जुड़ा हुआ है, जितना हम चिंतित तो विचलित होंगे हमारा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही कम होती जाएगी।
आइए हम आपको बताते हैं ,घर में रहे लेकिन चिंता मुक्त और चिंता मुक्त रहने के कुछ उपाय हैं जो है आप घर पर रहकर अपने तन और मन को स्वस्थ रख सकते हैं, सुबह उठते हैं नित्य क्रिया के बाद योग एवं ध्यान करें, अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना करें, सात्विक भोजन करें, क्रोध एवं ईर्ष्या करने से बचें, अपने पसंदीदा काम को करें, जैसे संगीत सुने और सुनाएं ,किताबें पढ़ें ,पारिवारिक फिल्म परिवार के साथ देखें ,परिवार में खुशी एवं प्यार का वातावरण निर्मित करें और चिंता मुक्त रहें।
अगर किसी को स्वास्थ संबंधी कोई परेशानी भी हो तो उसे छिपाएं नहीं बल्कि प्रशासन द्वारा दिए चिकित्सकों से परामर्श लें एवं उनके दिए हुए निर्देशों का पालन करें, ज्ञात रहे कि कोरोना वायरस से सैकड़ों लोग लड़ कर उस पर विजय हासिल कर अपने घर लौटे हैं।
शोले फिल्म मैं गब्बर सिंह का एक डायलॉग बहुत मशहूर है” जो डर गया समझो मर गया ” जीवन के आजकल के इस परिदृश्य में यह डायलॉग बिल्कुल सटीक साबित होता है।
“खुश रहे मस्त रहें स्वस्थ रहें”
